भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) मानते हैं कि बचपन में ही उन पर एक अनपढ़ ग्रामीण महिला का गहरा प्रभाव पड़ा था। उस महिला ने चंद्रचूड़ के परिवार के लिए लगभग 40 वर्षों तक काम किया किया।

The Week की अंजुली मथाई को दिए इंटरव्यू में डीवाई चंद्रचूड़ बताते हैं, “वह मेरे जन्म से पहले रत्नागिरी से आई थीं। उन्होंने मुझे ग्रामीण महाराष्ट्र के बारे में बहुत कुछ बताया। उन्होंने जो बताया वह कई मायनों में ग्रामीण भारत की तस्वीर थी। वह मुझे गांवों में लोगों की आकांक्षाओं के बारे में बताती थीं। हालांकि वह पूरी तरह अनपढ़ थीं। उन्होंने हमारे घर में ही पढ़ना-लिखना सीखा। मेरी बहन, मां और मैं उन्हें पढ़ाया। हालांकि उनकी कोई औपचारिक शिक्षा नहीं थी। लेकिन आप उनके आदर्शों को जानकर आश्चर्यचकित रह जाएंगे।”

उन्होंने जो सिखाया…

चंद्रचूड़ आगे बताते हैं, “उन्होंने मुझे जो सिखाया वह कुछ ऐसा था, जो उन दिनों कोई शिक्षित व्यक्ति नहीं सिखा सकता था। वह बहुत ही उदार और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक महिला थीं। उन्होंने यह तय किया कि स्कूल में मेरे दोस्त समाज के उसी वर्ग के बच्चे हों, जिस वर्ग से वह आती थीं। इसलिए मेरे सबसे अच्छे दोस्त हमारे स्टाफ क्वार्टर में रहने वाले बच्चे थे। मेरे माता-पिता मुझे उनके घर जाने और उनके साथ खेलने के लिए प्रोत्साहित करते थे। मैं उन दोस्तों के घर जाता था। अपनी छुट्टी के दिन उनके साथ खाने और खेलने में बिताता था।”

डीवाई चंद्रचूड़ मानते हैं कि उनके माता-पिता ने उन्हें एलीट तरीके से नहीं बड़ा किया। वह कहते हैं, “वे (माता-पिता) बेहद उदार थे, हालांकि कुछ मायनों में बहुत पारंपरिक भी थे। उन्होंने मुझे और मेरी बहन को बिल्कुल एक तरह से पाला। मैं और मेरी बहन अंग्रेजी माध्यम स्कूल में गए, जो हमारे परिवार में एक नई बात थी। मेरे माता-पिता दोनों मराठी माध्यम के स्कूलों में गए। उन्होंने अंग्रेजी क्लास सात या आठ के बाद सीखी।”

बहन को थी अधिक स्वतंत्रता

चंद्रचूड़ की शिकायत है कि लाइफस्टाइल के मामले में उनकी बहन को उनकी तुलना में घर से अधिक स्वतंत्रता थी। जस्टिस चंद्रचूड़ की बहन उनसे 14 साल बड़ी हैं। अब वह इंडियाना में रहती हैं। उन्होंने भी लॉ किया था। वह बॉम्बे यूनिवर्सिटी की टॉपर रही हैं। 1971 में अपनी शादी के बाद वह अमेरिका में बस गईं।

चंद्रचूड़ की दिनचर्या

चंद्रचूड़ अपने पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ बीच न सिर्फ संतुलन रखते हैं, बल्कि हॉबी को समय देते हैं। साल 2019 में मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपनी दिनचर्या के बारे में बताया था, “मैं लोगों से बहुत मिलता-जुलता नहीं हूं। मैं रोज सुबह 3.30 बजे उठता हूं और यह मेरे दिन का सबसे अच्छा हिस्सा होता है। इस समय मैं अपने  ज्यादातर काम करता हूं।  मैं सुबह 9.30 या 10 बजे तक काम खत्म करने की कोशिश करता हूं।” डीवाई चंद्रचूड़ रात में सोने से पहले एक-दो घंटे पढ़ना पसंद करते हैं। विस्तार से पढ़ें- D.Y. Chandrachud Lifestyle: सुबह 3:30 बजे उठते हैं CJI डी वाई चंद्रचूड़, रात में दो घंटे करते हैं पढ़ाई, जानिए कैसी है लाइफस्टाइल