सेना में फौजियों के काम का आकलन करने के लिए ‘360 डिग्री अप्रेजल’ का तरीका लाने पर विचार चल रहा है। सेना ‘360 डिग्री अप्रेजल’ में साथियों और अधीनस्थों के इनपुट को भी शामिल करेगी। 

वरिष्ठ अफसरों का कहना है कि मई में हुई आर्मी कमांडर्स की कॉन्फ्रेंस में इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी। सेना ने अप्रेजल के इस नए सिस्टम के लिए अपनी सभी कमांड्स से अपनी राय देने के लिए कहा है। 

अप्रेजल का यह तरीका वैसा ही हो सकता है जैसा केंद्र सरकार संयुक्त सचिव या उससे ऊपर के पद पर पैनल में शामिल करने के लिए ऑल इंडिया सर्विसेस और अन्य ग्रुप ए की सेवाओं में कार्यरत अफसरों के काम का आकलन करने के लिए अपनाती है।

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‘3 टियर हाइरार्कियल मॉडल’

मौजूदा वक्त में सेना में काम का आकलन ‘3 टियर हाइरार्कियल मॉडल’ के आधार पर होता है। इनीशिएटिव अफसर (आईओ) वह व्यक्ति होता है जो जिस व्यक्ति का मूल्यांकन किया जाना है, उसका वरिष्ठ होता है। वह वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) लिखता है और इसमें मेडिकल और डिसीप्लिनरी पैरामीटर को भी शामिल किया जाता है। 

इस रिपोर्ट की समीक्षा दो वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की जाती है। यह अधिकारी- समीक्षा अधिकारी और वरिष्ठ समीक्षा अधिकारी होते हैं। 

जूनियर कमीशन अधिकारी (जेसीओ) और गैर कमीशन अधिकारी (एनसीओ) के मामले में आईओ कंपनी कमांडर होता है। समीक्षा अधिकारी यूनिट का कमांडिंग अफसर होता है और वरिष्ठ समीक्षा अधिकारी ब्रिगेड कमांडर को बनाया जाता है। 

अफसरों के मामले में उनके काम के आकलन की शुरुआत और उसकी समीक्षा उनके वरिष्ठों द्वारा की जाती है। मेजर जनरल्स के मामले में वरिष्ठ समीक्षा अधिकारी सेना प्रमुख होते हैं। भारतीय वायु सेना में भी इसी तरह का 3 टियर अप्रेजल सिस्टम लागू है। 

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कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश (Source- PTI)

दो मॉडल आए सामने

भारतीय सेना में जिस ‘360 डिग्री अप्रेजल’ सिस्टम की बात पर विचार चल रहा है, उसके तहत दो मॉडल सामने आए हैं। पहला मॉडल नेवी के द्वारा पहले ही लागू किया जा चुका है और इसमें एसीआर के बाद अधीनस्थ के द्वारा आईओ को फीडबैक देना शामिल है।

जिस दूसरे मॉडल पर विचार किया जा रहा है, उसे ‘पीयर ग्रुप परसेप्शन मॉडल’ कहा जाता है। यह भारतीय सेना के सशस्त्र बलों के कई प्रशिक्षण प्रतिष्ठानों में चल रहे मौजूदा सिस्टम की तर्ज पर ही है। इसमें अफसरों का मूल्यांकन उनके विभाग में और अन्य विभागों में कार्यरत उनके साथियों और समकालीन लोगों द्वारा किया जाता है। 

अफसरों का कहना है कि एक निश्चित समय में जुटाए गए ऐसे डाटा का उपयोग किसी व्यक्ति का पूरी तरह और व्यापक अप्रेजल करने के लिए किया जा सकता है। 

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अग्निपथ योजना के विरोध में है विपक्ष।(Source-PTI)

कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने एक याचिका के जवाब में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) को बीते साल बताया था कि वह सिविल सर्वेंट्स की नियुक्ति के लिए ‘360 डिग्री अप्रेजल’ सिस्टम का इस्तेमाल नहीं करता है। 

कैट ने 2017 में एक संसदीय पैनल को बताया था कि उसने अप्रैल, 2016 में अपने दिशा-निर्देशों में संशोधन किया है और ऐसा इसलिए किया गया है कि कम से कम पांच स्टेकहोल्डर्स से मल्टी सोर्स फीडबैक (एमएसएफ) को भी शामिल किया जा सके। यह स्टेकहोल्डर्स वरिष्ठ, कनिष्ठ, साथी, बाहरी स्टेकहोल्डर और सेवारत सचिव हो सकते हैं। 

संसद में अगस्त, 2017 में पेश की गई कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय पर संसदीय स्थायी समिति की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि इसे ‘360 डिग्री रिव्यू’ के रूप में पहचाना जाता है और यह एमएसएफ की तरह ही है। 

कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि ‘360 डिग्री अप्रेजल’ सिस्टम पारदर्शी नहीं है।