हरियाणा में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होने के साथ ही बीजेपी, कांग्रेस समेत अन्य राजनीतिक दलों ने भी प्रत्याशियों के नाम फाइनल करने का काम तेज कर दिया है। राज्य में बीजेपी और कांग्रेस के बीच होने जा रहे जोरदार मुकाबले में कई सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों की अहम भूमिका रहेगी। इसके अलावा छोटे राजनीतिक दल भी कुछ सीटों पर जीत हासिल कर सकते हैं।
हरियाणा में निर्दलीयों और छोटी पार्टियों के चलते ही 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस अपने दम पर बहुमत हासिल नहीं कर सके थे।
पिछले विधानसभा चुनाव में 7 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार जीते थे और इसमें से कई विधायकों ने तत्कालीन मनोहर लाल खट्टर सरकार को समर्थन दिया था। हरियाणा में विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं।
2019 में 19 सीटों पर निर्दलीय व छोटी पार्टियों को मिली थी जीत
राजनीतिक दल | मिली सीटें |
बीजेपी | 40 |
कांग्रेस | 31 |
जननायक जनता पार्टी | 10 |
निर्दलीय | 7 |
इनेलो | 1 |
हरियाणा लोकहित पार्टी | 1 |
इस बार भी हरियाणा के विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर निर्दलीय विधायक और छोटी पार्टियों के नेता पूरी मजबूती के साथ ताल ठोकने जा रहे हैं।
पिछली बार इन सीटों पर जीते थे निर्दलीय विधायक
विधानसभा सीट | निर्दलीय जीते विधायक का नाम |
पूंडरी | रणधीर सिंह गोलन |
नीलोखेड़ी (एससी) | धर्मपाल गोंदर |
महम | बलराज कुंडू |
बादशाहपुर | राकेश दौलताबाद |
पृथला | नयनपाल रावत |
दादरी | सोमवीर सांगवान |
रानियां | रणजीत सिंह चौटाला |
महम से फिर लड़ेंगे कुंडू, पत्नी को भी उतारा मैदान में
इस बार के विधानसभा चुनाव में बलराज कुंडू ने एक बार फिर महम हलके से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। बलराज कुंडू हरियाणा जन सेवक पार्टी के अध्यक्ष भी हैं। कुंडू ने यह भी ऐलान किया है कि उनकी पत्नी परमजीत कुंडू जुलाना हलके से चुनाव मैदान में उतरेंगी।
बलराज कुंडू एक बड़े व्यवसायी भी हैं और सामाजिक कार्यों की वजह से चर्चा में रहे हैं। वह रोहतक, जींद और इसके आसपास के इलाकों में छात्राओं को कॉलेज लाने-ले जाने के लिए फ्री बस चलाते हैं। बलराज कुंडू ने 2019 में चुनाव आयोग को जो हलफनामा दिया था, उसमें बताया था कि उनकी कुल संपत्ति 141 करोड़ है।

चार बार के विधायक को हराया था चुनाव
बलराज कुंडू ने 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी से टिकट मांगा था लेकिन टिकट न मिलने पर वह निर्दलीय ही चुनाव मैदान में उतर गए थे और तब उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार आनंद सिंह दांगी को 12047 वोटों से चुनाव हरा दिया था। आनंद सिंह दांगी चार बार विधायक का चुनाव जीत चुके थे।
रानियां से फिर निर्दलीय लड़ सकते हैं चौटाला
देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल के पोते और हरियाणा के कई बार मुख्यमंत्री रहे ओमप्रकाश चौटाला के बेटे रणजीत सिंह चौटाला भी ऐलान कर चुके हैं कि वह रानियां सीट से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। इस सीट पर बीजेपी के सहयोगी दल हरियाणा लोक हित पार्टी (हलोपा) की भी नजर है लेकिन रणजीत सिंह चौटाला कह चुके हैं कि बीजेपी चाहे उन्हें टिकट दे या ना दे, वह चुनाव मैदान में जरूर उतरेंगे। रणजीत सिंह चौटाला इस साल मार्च में बीजेपी में शामिल हो गए थे।
चौटाला ने पिछली बार हलोपा के सुप्रीमो गोपाल कांडा के भाई गोबिंद कांडा को 19 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया था। इस बार गोबिंद कांडा ने अपने बेटे धवल कांडा को यहां से प्रत्याशी बनाने का ऐलान किया है।
अगर यह सीट हलोपा के खाते में जाती है तो निश्चित रूप से रणजीत सिंह चौटाला यहां से निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरेंगे और ऐसी स्थिति में रानियां में एक बार कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है।

निर्दलीय ही लड़ेंगे नयनपाल रावत
फरीदाबाद जिले में पड़ने वाली पृथला विधानसभा से पिछली बार नयनपाल रावत चुनाव जीते थे। उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार रघुवीर तेवतिया को 16429 वोटों से हराया था। इस बार भी नयनपाल रावत निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर ही विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। पिछले कई महीनों से उन्होंने क्षेत्र में जबरदस्त जनसंपर्क अभियान छेड़ दिया है।
समालखा से जोर दिखा रहे मछरौली
पानीपत जिले की समालखा विधानसभा सीट से रविंदर मछरौली इस बार फिर चुनाव मैदान में हैं। रविंदर मछरौली 2014 में विधानसभा का चुनाव जीते थे लेकिन 2019 में उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा था। इस बार वह फिर से निर्दलीय मैदान में उतरने के लिए तैयार हैं। रविंदर मछरौली सामाजिक कार्यों में भी काफी सक्रिय रहे हैं। लड़कियों की शादी में सहयोग करना, सिलाई मशीन देना, गरीबों को खाना खिलाना जैसे काम भी वह लगातार करते रहे हैं। उन्हें समालखा में मजबूत नेता के रूप में जाना जाता है।
कांग्रेस से टिकट की आस में हैं सांगवान
2019 के विधानसभा चुनाव में दादरी सीट से सोमवीर सांगवान ने निर्दलीय चुनाव जीता था। तब उन्होंने दूसरे नंबर पर रहे जेजेपी के उम्मीदवार सतपाल सांगवान को 14272 वोटों से हराया था। सोमवीर सांगवान इस बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
इसके अलावा पिछली बार निर्दलीय जीते धर्मपाल गोंदर इस बार भी नीलोखेड़ी से और रणधीर गोलन पूंडरी से कांग्रेस के टिकट की आस में हैं।
कुमुदिनी लड़ रहीं बादशाहपुर से चुनाव
गुरुग्राम जिले की बादशाहपुर विधानसभा सीट से पिछला चुनाव राकेश दौलताबाद जीते थे। बीजेपी के उम्मीदवार मनीष यादव को उन्होंने लगभग 10 हजार वोटों से हराया था। राकेश दौलताबाद का कुछ महीने पहले निधन हो गया था और इस सीट से उनकी पत्नी कुमुदिनी राकेश दौलताबाद चुनाव लड़ रही हैं।
पिछले चुनाव में 10 सीटें जीतने वाली जेजेपी के पास हालांकि 3 विधायक ही रह गए हैं लेकिन वह फिर से मैदान में जोश-खरोश के साथ उतरी है। इसके अलावा इनेलो भी कुछ सीटों पर पूरी ताकत लगा रही है।

राजकुमार सैनी, विनोद शर्मा भी हैं मजबूत उम्मीदवार
इन नेताओं के अलावा लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी के अध्यक्ष राजकुमार सैनी इंद्री सीट से, हरियाणा जन चेतना पार्टी के अध्यक्ष विनोद शर्मा अंबाला शहर सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं। हलोपा ने पिछले चुनाव में सिरसा सीट जीती थी लेकिन इस बार वह बीजेपी के साथ गठबंधन में है और छह सीटें मांग रही है।
2019 में बनी थी गठबंधन सरकार
बीजेपी ने कुछ निर्दलीय विधायकों और जननायक जनता पार्टी को साथ लेकर सरकार चलाई थी। अगर इस बार भी हरियाणा में छोटी पार्टियों ने अच्छा प्रदर्शन किया और निर्दलीय विधायकों ने भी ज्यादा सीटें जीती तो एक बार फिर राज्य में गठबंधन और निर्दलीयों के भरोसे चलने वाली सरकार देखने को मिल सकती है और ये बीजेपी-कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकते हैं।