हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम (AIMIM) महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में 16 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। तेलंगाना के बाहर महाराष्ट्र ही एक ऐसा प्रदेश है जहां पर AIMIM का मजबूत आधार है। लेकिन सवाल यह है कि AIMIM इस बार कम सीटों पर चुनाव क्यों लड़ रही है? 2019 के विधानसभा चुनाव में AIMIM ने 44 और 2014 के विधानसभा चुनाव में 22 सीटों पर चुनाव लड़ा था। कम सीटों पर चुनाव लड़ने के पीछे पार्टी की क्या रणनीति है?

तेलंगाना से बाहर निकलकर AIMIM ने उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों में चुनाव लड़ा लेकिन वहां उसे उम्मीद के मुताबिक कामयाबी नहीं मिल सकी।

AIMIM को MVA में नहीं मिली जगह

महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में AIMIM ने बहुत कोशिश की थी कि उसे महा विकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन में शामिल कर लिया जाए लेकिन शायद कांग्रेस और MVA के बाकी राजनीतिक दल इसके लिए तैयार नहीं थे। महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में महायुति (बीजेपी, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना, उपमुख्यमंत्री अजित पवार की एनसीपी) और MVA (कांग्रेस, शरद पवार की एनसीपी, उद्धव ठाकरे की शिवसेना) के बीच जोरदार टक्कर हो रही है। ऐसे में AIMIM के 16 सीटों पर लड़ने से महायुति को फायदा होगा या MVA को नुकसान होगा, इस पर एक अलग राजनीतिक बहस महाराष्ट्र की राजनीति में चल रही है।

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AIMIM को उम्मीद है कि वह विधानसभा चुनाव में 5 से 7 सीटें जीत सकती है। महाराष्ट्र AIMIM के अध्यक्ष और औरंगाबाद के पूर्व सांसद इम्तियाज जलील ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, “हमारे पास टिकटों के लिए 230 आवेदन आए थे लेकिन हमने फैसला किया कि हमें सिर्फ उन सीटों पर ध्यान देना चाहिए जिन पर हम जीत दर्ज कर सकते हैं।” जलील ने कहा कि हम जिन सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं हमें उम्मीद है कि वहां पर नतीजे निश्चित रूप से हमारे लिए अच्छे होंगे।

जलील ने कहा कि ऐसी संभावना है चुनाव में किसी को भी स्पष्ट बहुमत नहीं मिलेगा। ऐसे में जिस पार्टी के पास 5-7 विधायक होंगे वह, किंगमेकर बन जाएगी। AIMIM ने मुस्लिम-दलित वोटों पर फोकस किया है। पार्टी ने आरक्षित सीटों पर दलित समुदाय के उम्मीदवारों को टिकट दिया है और चुनाव में मॉब लिंचिंग, अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न और हिजाब को मुद्दा बनाया है।

2019 में औरंगाबाद से जीते थे जलील

2019 के लोकसभा चुनाव में इम्तियाज जलील ने शानदार प्रदर्शन करते हुए औरंगाबाद लोकसभा सीट से चुनाव जीता था लेकिन उस समय उनका प्रकाश आंबेडकर की पार्टी वंचित बहुजन अघाड़ी के साथ गठबंधन था। इस बार दोनों दलों का गठबंधन नहीं हुआ है लेकिन जलील को उम्मीद है कि दलित समुदाय उन्हें समर्थन देगा। जलील 2024 के लोकसभा चुनाव में औरंगाबाद सीट से चुनाव हार गए थे।

AIMIM के दलित उम्मीदवारों के अलावा औरंगाबाद पूर्व, औरंगाबाद मध्य, भिवंडी पश्चिम, वर्सोवा, भायखला, मुंब्रा, मानखुर्द-शिवाजी नगर, मालेगांव, धुले, सोलापुर, नांदेड़ दक्षिण और करंजा से मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। मालेगांव और धुले सीटें फिलहाल AIMIM के पास हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में AIMIM औरंगाबाद सेंट्रल, औरंगाबाद ईस्ट, भायखला और सोलापुर सिटी सेंट्रल में दूसरे नंबर पर रही थी।

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कांग्रेस के आरोपों का दिया जवाब

AIMIM पर कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दल आरोप लगाते हैं कि वह बीजेपी की बी टीम है और उनके चुनाव मैदान में उतरने से अल्पसंख्यक वोटों का बंटवारा होता है और इस बंटवारे से सीधा फायदा बीजेपी को होता है। लेकिन ओवैसी और उनकी पार्टी के नेता इन आरोपों को नकारते हैं। लेकिन AIMIM के एक नेता ने कहा, “महाराष्ट्र में अगर हमें MVA के वोटों में सेंध लगानी होती तो हम 230 सीटों पर चुनाव लड़ते लेकिन हम ऐसा नहीं चाहते। कांग्रेस हम पर इसलिए आरोप लगाती है क्योंकि वह नहीं चाहती कि मुस्लिम नेतृत्व खड़ा हो। हम महाराष्ट्र में एक संजीदा खिलाड़ी हैं।”

11.56% हैं मुस्लिम मतदाता

महाराष्ट्र की कुल आबादी 11.24 करोड़ है और इसमें मुस्लिम मतदाता 11.56% हैं। इस तरह महाराष्ट्र में मुस्लिम समुदाय की आबादी 1.3 करोड़ है। महाराष्ट्र में विधानसभा की कुल 288 सीटें हैं और इसमें से 15 सीट ऐसी हैं जिनमें मुस्लिम समुदाय की आबादी 30% से ज्यादा है।

2019 के विधानसभा चुनाव में 15 सीटों के नतीजे

Asaduddin Owaisi AIMIM

2014 में AIMIM 22 सीटों पर चुनाव लड़कर दो सीटों पर जीती थी। तब पार्टी को 0.93% वोट ही मिले थे। यह दो सीटें औरंगाबाद सेंट्रल और भायखला थीं। लेकिन 2019 में AIMIM ने अपना आधार बढ़ाया और 44 सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन उसे दो ही सीटों पर जीत मिली। उस चुनाव में 13 सीटें ऐसी थीं जहां पर AIMIM को हार और जीत के अंतर से ज्यादा वोट मिले।

2019 में वे 13 सीटें जहां AIMIM को जीत-हार के अंतर से ज्यादा वोट मिले

2019 में इन सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी AIMIM

महाराष्ट्र में 38 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां पर मुस्लिम समुदाय की आबादी कम से कम 20% है और इसमें से ही 9 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम समुदाय की आबादी 40% से ज्यादा है। पिछले 25 सालों के आंकड़े को देखेंगे तो 1999 में 13 मुस्लिम विधायक जीतकर विधानसभा पहुंचे थे जबकि 2019 में यह आंकड़ा 10 था।