India-Pakistan Tension: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्ते काफी खराब हो चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मंगलवार को हुई एक अहम बैठक में सेना को खुली छूट दे दी है, जोर देकर कहा गया है कि समय और टारगेट सेना को ही तय करना है। प्रधानमंत्री मोदी का यह इशारा बताने के लिए काफी है कि पाकिस्तान के खिलाफ निर्णायक और कड़ी कार्रवाई होने वाली है।
लेकिन इस बीच पाकिस्तान खुद कई सारे गृह युद्ध से घिरा हुआ है। अगर भारत उसके साथ युद्ध ना भी करे तो भी अपनी अंदरुनी चुनौतियों की वजह से वो बर्बाद हो जाएगा। यहां जानने की कोशिश करते हैं कि ऐसे कौन से चार गृहयुद्ध हैं जो पाकिस्तान को अंदर से पूरी तरह खोखले कर रहे हैं-
पहला गृह युद्ध- बलूचिस्तान में बवाल
पाकिस्तान के बलूचिस्तान में कई दशकों से आजादी की लड़ाई छिड़ी हुई है। यहां के लोग पाकिस्तान से अलग होना चाहते हैं। यह एक ऐसा इलाका बन चुका है जहां पर पाकिस्तान की सेना भी जाने से करराती है। इस पूरे इलाके में बलूच लिबरेशन आर्मी का बोलबाला रहता है, यह संगठन ना सिर्फ आजादी की लड़ाई लड़ रहा है बल्कि समय-समय पर पाक सेना पर भी हमले करते रहता है। इस संगठन के अलावा बलोच लिबरेशन फ्रंट, यूनाइटेड बलोच आर्मी और बलोच रिपब्लिकन आर्मी भी सक्रिय है।
असल में बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है, प्राकृतिक संसाधन का धनी यह इलाका हमेशा से ही विकास से वंचित रहा है। यहां के लोगों को ना रोजगार मिला और ना ही गरीबी से ऊपर उठने का सही मौका। इसके ऊपर पाकिस्तान पर आरोप लगता है कि इसने अपने फायदे के लिए बलूचिस्तान के संसाधनों का दुरुपयोग किया है, वहां की जनता को परेशान किया है। अब तक बलूचिस्तान के लोग अपनी आजादी के लिए कई युद्ध लड़ चुके हैं, अभी भी उनकी तरफ से आंदोलन किए जाते हैं। नाराजगी की वजह यह भी है कि पाकिस्तानी संसद में बलूचिस्तान का प्रतिनिधित्व मात्र 6 फीसदी है।
दूसरा गृह युद्ध- खैबर पख्तूनख्वाह में बवाल
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वाह इलाके में भी लंबे समय से अशांति चल रही है। यहां पर दो सबसे बड़ी चुनौतियां चल रही हैं, एक रही आतंकवाद और दूसरी रही आम जनता की नाराजगी। इस इलाके में भयंकर गरीबी है, वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक 48 फीसदी के करीब आबादी गरीबी रेखा से नीचे चल रही है। पाकिस्तान के अंदर ज्यादातर जो भी आतंकी हमले होते हैं, उसके तार इसी इलाके से जुड़ते हैं। खैबर में दो आतंकी संगठन सक्रिय चल रहे हैं- तहरीक-ए- तालिबान पाकिस्तान और इस्लामिक स्टेट खुरासन प्रोविंस।
ये दोनों ही आतंकी संगठन पाकिस्तान में शरिया कानून चाहते हैं, पूरे खैबर पख्तूनख्वाह इलाके में उन्हें अपना कब्जा चाहिए और पाक सेना पर हमला करते ही रहते हैं। इस समय खैबर पख्तूनख्वाह में ‘पश्तून तहाफूज आंदोलन’ भी चल रहा है। असल में इस इलाके की जनता एक हाईड्रो प्रोजेक्ट का जमकर विरोध कर रही है, आरोप लगा है कि पाकिस्तान की सरकार ने यहां के लोगों की जमीन तो प्रोजेक्ट ली, लेकिन उन्हें मुआवजे का पैसा नहीं दिया गया।
तीसरा गृह युद्ध- गिलगित-बालिस्तान में बाल्टिस्तान
पाक अधिकृत गिलगित-बाल्टिस्तान इलाके में भी जनता जमीन पर उतर चुकी है, पाक सरकार की जमकर फजीहत हो रही है। चेतावनी तक दी गई है कि अगर पाकिस्तान ने यहां आकर एक इंच जमीन पर भी कब्जा किया तो उनकी कब्र यहीं पहाड़ों पर बना दी जाएगी। असल में गिलगित-बाल्टिस्तान में लोग खनिज, जमीन और बिजली संकट को लेकर पाकिस्तान सरकार को जमकर कोस रहे हैं, उन पर गंभीर आरोप लगे हैं। हथियारों के साथ आंदोलन करने की बात कही जा रही है।
चौथा गृह युद्ध- सिंध-पंजाब में बवाल
पाकिस्तान के दक्षिणी प्रांत सिंध में भी इस समय बवाल की स्थिति है। वहां पर विवादास्पद चोलिस्तान नहर परियोजना के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। ये परियोजना सेना समर्थित ग्रीन पाकिस्तान इनिशिएटिव (जीपीआई) का हिस्सा बताई जा रही है। अब क्योंकि सिंध और पंजाब क्षेत्र में जल बंटवारे को लेकर संघर्ष बढ़ता जा रहा है, इसी वजह से वहां पर लोग आमने-सामने आ चुके हैं। हिंसक प्रदर्शन में कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं।
युद्ध के समय भारत की सेना कितनी ताकतवर है?
असल में पाकिस्तान इस परियोजना के जरिए रेगिस्तानी भूमि में सिंचाई करना चाहता है। कुल छह नहरे हैं- सिंधु से पांच और भारत नियंत्रित सतलुज से एक। इनके जरिए ही सिचाई को व्यापक स्तर तक पहुंचाने की कोशिश है। लेकिन एक तरफ पाकिस्तान को भारत ने इंडस वाटर ट्रीटी से पीछे हट झटका दिया है, इसके ऊपर इस परियोजना को लेकर कहा जा रहा है कि इससे जल संकट और ज्यादा गहरा सकता है।
पांचवा गृह युद्ध- कर्ज जाल में फंसा पाकिस्तान
पाकिस्तान इस समय कर्ज के जाल में भी बुरी तरह फंस चुका है। लगातार पैसे मांगने की आदत ने पाकिस्तानी सरकार के खजाने को तो खाली किया ही है, इसके अलावा वहां की जनता पर महंगाई की जबरदस्त मार भी पड़ी है। पाकिस्तान को कर्ज का भारी भरकम बोझ जिन देशों को चुकाना या सेटल करना है उनमें सऊदी अरब (5 बिलियन अमरीकी डॉलर), चीन (4 बिलियन अमरीकी डॉलर), यूएई (3 बिलियन अमरीकी डॉलर) और कुवैत (700 मिलियन अमरीकी डॉलर) से हैं।
पाकिस्तान की हालत ज्यादा खराब इसलिए भी चल रही है क्योंकि उसके पास सिर्फ तीन महीने से कुछ ज्यादा समय के लिए देश चलाने का पैसा बचा है। पाक वित्त मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि इस समय पाकिस्तान का फॉरेक्स रिजर्व 15.436 अरब डॉलर चल रहा है, हर साल वो एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट पर 54 अरब डॉलर खर्च कर रहा है। ऐसे में उसका खजाना फुल स्पीड से खाली हो रहा है।