25 करोड़ लोगों के गरीबी से बाहर न‍िकलने, 2029 तक देश को व‍िश्‍व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था बनाने , शानदार व‍िकास दर हास‍िल करने और 2047 तक व‍िकस‍ित भारत बनाने जैसे दावों के बीच एक भयावह सच सामने आया है। सच यह है क‍ि देश की आधी आबादी को तीन वक्‍त का खाना नसीब नहीं हो पा रहा।

सरकार ने जून 2024 में जो पार‍िवार‍िक उपभोग व्‍यय सर्वेक्षण 2022-23 (Household Consumption Expenditure Survey 2022-23) की र‍िपोर्ट जारी की है, उसमें बताया गया है क‍ि गांव हो या शहर, करीब आधे लोग ही सुबह नाश्‍ते के साथ दोपहर और रात का भी खाना खा पाते हैं।

सर्वे में लोगों से एक सीधा सवाल पूछा गया क‍ि वे द‍िन में क‍ितनी बार खाते हैं? पता चला क‍ि 56 प्रत‍िशत लोग तीन बार और 43 फीसदी दो बार खाते हैं। गांव और शहर के आधार पर बात करें तो गांवों में 58 प्रत‍िशत और शहरी इलाकों में 51 प्रत‍िशत लोग द‍िन में तीन बार खाते हैं।

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कम शिक्षित लोगों में बेरोजगारी दर में गिरावट आई है। (PC – X)

हालांक‍ि, सर्वे में यह स्‍पष्‍ट क‍िया गया है क‍ि स्‍नैक्‍स, नाश्‍ता/ट‍िफ‍िन या हाईटी आद‍ि को खाने में नहीं ग‍िना गया। खाना मतलब ज्‍यादा मात्रा व वैरायटी का खाना। इस गणना के ह‍िसाब से बड़ी संख्‍या में मजदूरों को उनके माल‍िकों से म‍िलने वाले नाश्‍ते का पैकेट आद‍ि खाने की ग‍िनती में नहीं आएगा।

सबका साथ, सबका व‍िकास- वाकई साकार हो रहा यह नारा?

यह सर्वे र‍िपोर्ट अमीरों और गरीबों के बीच की खाई क‍ितनी चौड़ी है, इसका भी संकेत भी देती है। ग्रामीण व शहरी इलाकों में सबसे अमीर पांच प्रत‍िशत और सबसे गरीब पांच प्रत‍िशत लोगों के औसत मास‍िक प्रत‍ि व्‍यक्‍त‍ि खर्च (Monthly per capita expenditure – MPCE) में 9-10 गुना का अंतर है। सबसे गरीब पांच प्रत‍िशत ग्रामीण लोगों का औसत एमपीसीई 1373 रुपये और शहरी लोगों का 2001 रुपये बताया गया। वहीं, सबसे अमीर पांच फीसदी लोगों के मामले में यह ग्रामीण इलाकों में 10501 रुपये व शहरी इलाकों में 20824 रुपये है।

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भारत में बेरोजगारी की स्थिति (Source- Express)

करदाताओं पर बोझ

बैंक बाजार के सीईओ आद‍िल शेट्टी ने ल‍िखा है क‍ि 12 साल से इनकम टैक्‍स स्‍लैब नहीं बदला है। 30 साल में स्‍लैब का यह दूसरा सबसे बड़ा ठहराव है। लोग 10 लाख रुपये पर 43226 रुपये ज्‍यादा टैक्‍स दे रहे हैं। साल 2012-13 में अगर 10 लाख कमाते थे तो महंगाई के चलते आज 18.15 लाख रुपये कमाएंगे तो उस समय के बराबर क्रय शक्‍त‍ि रहेगी।

30 प्रत‍िशत का स्‍लैब 18 लाख से शुरू होना चाह‍िए। सरकार ने दो तरह की टैक्‍स व्‍यवस्‍था (ओल्‍ड और न्‍यू टैक्‍स र‍िजीम) दी है। लेक‍िन, महंगाई को ध्‍यान में रख कर गणना करें तो लोग 20 लाख आय पर ओल्‍ड टैक्‍स र‍िजीम में 1.84 लाख और न्‍यू टैक्‍स र‍िजीम में 67,978 रुपये ज्‍यादा टैक्‍स दे रहे हैं।

Unemployment in india
मैन्‍यूफैक्‍चर‍िंग सेक्‍टर में सात साल में करीब 9.3 प्रत‍िशत इकाइयां हुई बंद।

स्‍टार्टअप्‍स का बुलबुला

अप्रैल 2024 में केंद्रीय मंत्री जीतेंद्र स‍िंह ने बताया था क‍ि 2014 में देश में 300 स्‍टार्टअप्‍स कंपन‍ियां थीं, जो 300 गुना बढ़ गईं। 2016 में 416 स्‍टार्टअप्‍स थे जो 2024 (अप्रैल) में 127433 हो गए। लेक‍िन, 2018 में आईबीएम इंस्‍टीट्यूट फॉर ब‍िजनेस वैल्‍यू और ऑक्‍सफोर्ड इकोनॉम‍िक्‍स की एक र‍िपोर्ट में कहा गया था क‍ि भारत में 90 फीसदी स्‍टार्टअप्‍स पांच साल के भीतर ही बंद हो जाते हैं।

द‍िसंबर 2023 में चंडीगढ़ में लीपअहेड स्‍टार्ट-अप सम‍िट में बोलेते हुए पैडअप वेंचर्स के संस्‍थापक पंकज ठक्‍कर ने कहा था क‍ि यह बेहद अफसोसनाक है क‍ि 95 फीसदी स्‍टार्टअप्‍स फेल हो जाते हैं और केवल पांच फीसदी ही कामयाबी देख पाते हैं।