आजादी के वक्त भारत में 565 रियासतें (Princely States) थीं। उन्हीं राजाओं, महाराजाओं, नवाबों और निजामों का उस वक्त भारत की चौथाई आबादी पर शासन था। हैदराबाद (Hyderabad) के निजाम या कश्मीर (Kashmir) के महाराजा जैसे कुछ रजवाड़ों का शासन इतनी बड़ी-बड़ी रियासतों पर था जो विस्तार और आबादी में पश्चिमी यूरोप के बड़े-बड़े देशों टक्कर दे दें। हालांकि 400 से अधिक रजवाड़े ऐसे थे जिनकी रियासतों का विस्तार 20 वर्ग मील से अधिक नहीं था।

चर्चित इतिहासकार डोमिनिक लापियर (Dominique Lapierre) और लैरी कॉलिन्स (Larry Collins) अपनी किताब ‘फ्रीडम ऐट मिडनाइट’ (Freedom at Midnight) में बताया है कि भारत के रजवाड़ों के पास अकूत दौलत और बहुत सारा फालतू समय था। फिजूलखर्ची इन रईसजादों को एक बिरादरी में बांधे रखती थी। इनकी इच्छाओं में शिकार, महंगी गाड़ियां, खेलकूद, महल और हरम जैसी चीजे तो शामिल थी लेकिन उन्हें सबसे ज्यादा लगाव हीरे-जवाहरात से था।

सोने का कपड़ा पहनते थे बड़ौदा के महाराजा

बड़ौदा के महाराजा (Maharaja of Baroda) सोने और हीरे-जवाहरात के बहुत शौकीन थे। महाराजा दरबार में जो पोशाक पहनकर आते थे, वह सोने के तार की बुनी होती थी। सोने की तार से महाराजा का पोशान बुनने के लिए रियासत में एक परिवार को चुना गया था। उस परिवार के अलावा किसी और महाराजा की पोशाक तैयार करने की इजाजत नहीं थी।

नाखून से बुनी जाती थी पोशाक

बड़ौदा के महाराजा के आदेशानुसार उस परिवार के सदस्य अपने नाखूनों को इतना लंबा बढ़ाते थे कि उनमें कंधियों जैसे दांत बनाए जा सकें। फिर परिवार के लोग कंधी की तरह हो चुके अपने नाखूनों से सोने के तार का ताना बाना बनाते थे और महाराजा के लिए पोशाक तैयार करते थे।  

बड़ौदा महाराजा के पास था दुनिया का 7वां सबसे बड़ा हीरा

बड़ौदा रियासत में हीरे जवाहरात का ऐतिहासिक संग्रह था। बड़ौदा के महाराजा के पास दुनिया का सातवां सबसे बड़ा हीरा सितार-ए-दकन था। उनके पास वह हीरा भी था जो फ्रांस के बादशाह नेपोलियन तृतीय ने अपनी प्रेमिका यूजीन को दिया था। उनके रत्न भंडार का सबसे बहुमूल्य चीज वह परदे थें, जिन पर लाल और हरे जवाहरात से खूबसूरत बेल-बूटे बने हुए थे।