Haryana Congress EVM Issue: कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व और प्रदेश इकाई हरियाणा के चुनाव नतीजे को मानने के लिए तैयार नहीं है। उनका स्पष्ट रूप से कहना है कि हरियाणा के चुनाव नतीजों में गड़बड़ी की गई है और यह तंत्र की जीत है ना कि लोकतंत्र की। पार्टी ने EVM की बैटरी को लेकर भी सवाल उठाया है और कहा है कि जिन जगहों पर EVM की बैटरियां 99% तक चार्ज थी, वहां पार्टी को हार मिली जबकि जहां पर EVM की बैटरी 60 से 70% तक चार्ज थी, वहां कांग्रेस जीत गई।
पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि जब पोस्टल बैलेट की गिनती शुरू हुई तो कांग्रेस हर जगह आगे चल रही थी लेकिन जब ईवीएम की गिनती शुरू हुई तो कांग्रेस पिछड़ गई।
कांग्रेस ने पहले हरियाणा की सात विधानसभा सीटों में मतगणना में गड़बड़ियों की शिकायत होने की बात चुनाव आयोग से कही थी। अब पार्टी ने 13 और सीटों पर शिकायतों के साथ एक ज्ञापन आयोग को भेजा है।
इन 13 में से 12 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली जबकि एक सीट इनेलो के खाते में गई। 13 में से 11 सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला हुआ जबकि एक पर इनेलो और कांग्रेस के बीच और एक सीट पर बीजेपी और निर्दलीय उम्मीदवार के बीच चुनावी जंग हुई।
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आइए, इन 13 सीटों पर मतदान और जीत कैसे हुई और पिछले कुछ चुनावों में यहां कैसे नतीजे रहे, इसे देखते हैं।
उचाना कलां: इस सीट पर हरियाणा में सबसे कम (32 वोट से) अंतर से जीत हुई है। यहां से पूर्व उपमुख्यमंत्री और जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला चुनाव लड़ रहे थे। दुष्यंत 7,950 वोट पाकर पांचवें स्थान पर रहे और अपनी जमानत भी नहीं बचा सके। कांग्रेस के उम्मीदवार बृजेंद्र सिंह और बीजेपी के प्रत्याशी देवेंद्र चतर भुज अत्री के बीच कांटे का मुकाबला हुआ, जिसमें अत्री सिर्फ 32 वोटों से चुनाव जीत गए। बीजेपी 2014 में इस सीट पर जीती थी तब बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता ने 50,000 वोटों से जीत हासिल की थी। 2019 में यहां से दुष्यंत चौटाला जीते थे।
पटौदी: इस सीट से कांग्रेस प्रत्याशी पर्ल चौधरी और बिमला चौधरी के बीच मुकाबला था। यहां बिमला चौधरी ने पर्ल को 46,530 वोटों से हराया है। कांग्रेस ने पिछली बार 2005 में यह सीट जीती थी, जब पर्ल चौधरी के पिता भूपेंद्र चौधरी ने इनेलो के गंगा राम को हराया था।
इंद्री: बीजेपी 2014 से इस सीट पर जीतती आ रही है। तब बीजेपी के कर्ण देव कांबोज यहां इनेलो के खिलाफ 24,000 वोटों से जीते थे। इस बार राम कुमार कश्यप ने कांग्रेस के राकेश कांबोज को 15,149 वोटों के अंतर से हराया है।
बड़खल: यहां भी 2014 से बीजेपी जीतती आ रही है। 2019 में बीजेपी की सीमा त्रिखा नजदीकी मुकाबले में कांग्रेस के विजय प्रताप सिंह से जीती थीं। इस बार यहां बीजेपी के उम्मीदवार धनेश अदलखा को 79,476 वोट मिले और वे 6,181 वोटों के अंतर से जीते। उन्होंने कांग्रेस के विजय प्रताप सिंह को हराया।
फरीदाबाद NIT: 2014 में इनेलो के नागेंद्र भड़ाना यहां से जीते थे। 2019 में कांग्रेस के नीरज शर्मा ने उन्हें 3,000 वोटों से हराया था। इस बार बीजेपी के सतीश कुमार फागना ने कांग्रेस के नीरज शर्मा को 33,217 वोटों से शिकस्त दी।
नलवा: 2019 में बीजेपी के रणबीर गंगवा ने कांग्रेस के रणधीर पनिहार को 10 हजार वोटों से हराया था। इस बार रणधीर पनिहार बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े और उन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी अनिल मान को 12,144 वोटों से हराया था।
रानियां: 2014 में इनेलो के राम चंद कांबोज ने हलोपा के गोबिंद कांडा को हराकर यह सीट जीती थी। 2019 में निर्दलीय रंजीत सिंह यहां से जीते थे। इस बार अभय सिंह चौटाला के बेटे और इनेलो उम्मीदवार अर्जुन चौटाला ने कांग्रेस प्रत्याशी सर्व मित्र कांबोज को 4,191 वोटों से हराया है।
पलवल: 2019 में बीजेपी के दीपक मंगला ने कांग्रेस के करण सिंह दलाल को 28,000 वोटों से हराया था। इस बार बीजेपी के गौरव गौतम ने करण सिंह दलाल को 33,605 वोटों से हराया है।
बल्लभगढ़: बीजेपी के मूलचंद शर्मा 2014 से इस सीट पर जीतते आ रहे हैं। इस बार उन्होंने निर्दलीय शारदा राठौर को 17,730 वोटों से हराया। कांग्रेस की उम्मीदवार पराग शर्मा को केवल 8,674 वोट मिले और वह चौथे स्थान पर रहीं।
बरवाला: 2014 में इनेलो यहां जीती थी लेकिन 2019 में जेजेपी के जोगी राम सिहाग इस सीट से जीत गए थे। इस बार बीजेपी के रणबीर गंगवा ने कांग्रेस के रामनिवास घोड़ेला को 26,942 मतों से हराया।
घरोंडा: इस सीट पर 2014 से बीजेपी के हरविंदर कल्याण जीत रहे हैं। 2019 में उन्होंने कांग्रेस के अनिल कुमार को 18,000 वोटों से हराया था, जबकि इस बार उन्होंने कांग्रेस के वरिंदर सिंह राठौर को 4,531 वोटों से हराया।
कोसली: यहां भी बीजेपी 2014 से जीत रही है। इस बार बीजेपी के उम्मीदवार अनिल यादव ने कांग्रेस के जगदीश यादव को 17,209 मतों से हराया है।
बादशाहपुर: गुरुग्राम जिले की इस सीट पर 2014 में बीजेपी के राव नरबीर सिंह ने इनेलो के राकेश दौलताबाद को 18,000 वोटों से हराया था। 2019 में निर्दलीय राकेश दौलताबाद ने बीजेपी के मनीष यादव को 10,000 वोटों से हराया। इस बार बीजेपी के राव नरबीर सिंह ने कांग्रेस के वर्धन यादव को 60,705 वोटों से हराया है।