ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) को लेकर सियासी संग्राम छिड़ गया है। एक पक्ष का दावा है कि सर्वे के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद में उस जगह शिवलिंग मिला है, जहां मुसलमान वुजू करते हैं। वहीं, दूसरा पक्ष कह रहा है कि ये शिवलिंग नहीं बल्कि फव्वारा है। दावा यह भी किया जा रहा है ज्ञानवापी, प्राचीन ‘बिशेश्वर’ मंदिर का हिस्सा है, जिसे औरंगजेब ने तोड़ दिया था और इसी के ऊपर मस्जिद बनवा दी थी।

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मस्जिद की दीवारों पर खुदे हैं चित्र: चर्चित लेखक रेव. एम.ए शेरिंग की साल 1868 में प्रकाशित किताब ‘द सेक्रेड सिटी ऑफ हिंदूज: एन अकाउंट ऑफ बनारस’ (The Sacred City of Hindus: An Account of Benares) में बनारस के इतिहास से लेकर संस्कृति, मंदिरों और घाटों के बारे में विस्तार से जिक्र है, जिसमें ज्ञानवापी और  ‘बिशेश्वर’ मंदिर भी शामिल है। रेव. एम.ए शेरिंग अपनी किताब में लिखते हैं ज्ञानवापी की दीवारों पर तमाम छोटी-छोटी मूर्तियां और चित्र खुदे हैं, जो हाल-फिलहाल के नहीं लगते हैं। संभावना है कि इन्हें पुराने ‘बिशेश्वर’ मंदिर से लिया गया है।

पश्चिमी दीवार पर दिखती है मंदिर की झलक: ब्रिटिश भारत में ईसाई मिशनरी के तौर पर काम करने वाले शेरिंग लिखते हैं कि ज्ञानवापी की पश्चिमी दीवार पर अभी भी पुराने ‘बिशेश्वर’ मंदिर के अवशेष और निशान को साफ-साफ देखा जा सकता है, जिसे औरंगजेब ने 17वीं शताब्दी में ध्वस्त कर दिया था। वे लिखते हैं कि इन अवशेषों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि पुराना ‘बिशेश्वर’ मंदिर कितना भव्य और बड़ा रहा होगा। अकेले आंगन ही मौजूदा मंदिर से 4-5 गुना बड़ा रहा होगा। शेरिंग के मुताबिक ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे चार कोनों पर चार मंडप भी हैं।

शेरिंग के मुताबिक ज्ञानवापी मस्जिद की सबसे दिलचस्प बात इसके गुंबद के ठीक सामने के पिलर हैं जो हिंदू मंदिर या बौद्ध स्तंभ जैसे दिखते हैं। ज्ञानवापी मस्जिद और  ‘बिशेश्वर’ मंदिर (जीर्णोद्धार के बाद विश्वनाथ) के बीच ही चर्चित कुआं है, जिसे ‘ज्ञान वापी’ या ज्ञान ‘कूप’ कहा जाता है। मान्यता है कि ये भगवान शंकर का निवास स्थान है।

क्या है ज्ञानवापी की कहानी? शेरिंग अपनी किताब में लिखते हैं कि ऐसी मान्यता है कि एक बार बनारस में 12 सालों तक बारिश नहीं हुई। इससे जनता परेशान हो गई। इसके बाद एक ऋषि ने ठीक इसी जगह खुदाई करनी शुरू की और यहां से जल की धारा फूट पड़ी। वे लिखते हैं कि मान्यता यह भी है कि जब औरंगजेब की सेना प्राचीन बिशेश्वर मंदिर को तहस-नहस कर रही थी, तब एक साधू ने शिवलिंग की रक्षा के लिए उसे इसी कुएं में फेंक दिया था।

प्राचीन मंदिर तोड़ा तो बना ‘आदि बिशेश्वर’: शेरिंग लिखते हैं कि ज्ञानवापी मस्जिद से महज 150 मीटर की दूरी पर ‘आदि बिशेश्वर’ मंदिर है, जो तब बना था जब औरंगजेब ने प्राचीन बिशेश्वर मंदिर तोड़ डाला था और उसके अवशेष पर मस्जिद का निर्माण किया था।

औरंगजेब के निशाने पर ‘बिशेश्वर’ ही नहीं पूरा बनारस था:  रेव. एम.ए शेरिंग लिखते हैं बनारस के मंदिरों पर शोध के दौरान उनके सामने कई चौंकाने वाले तथ्य। वे लिखते हैं कि अब बनारस में आपको मंदिर मिल जाएंगे, लेकिन साल 1658 से 1707 तक जब तक औरंगजेब गद्दी पर था, बनारस में कुल 20 मंदिर भी नहीं बचे थे। वजह- औरंगजेब के निशाने पर ‘बिशेश्वर’ ही नहीं पूरे बनारस के मंदिर थे। 

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First published on: 18-05-2022 at 17:49 IST