हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार सलाहकारों की मदद लेगी। केंद्र सरकार इसके लिए जल्द ही नियमों में संशोधन करने जा रही है। नए नियम इस प्रावधान को सुनिश्चित करेंगे कि हरित ऊर्जा के लिए राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में सलाहकार नियुक्त किए जा सके। सलाहकार का कार्यकाल न्यूनतम छह साल के लिए होगा और कामकाज आंकलन के आधार पर इनका कार्यकाल तय किया जाएगा। इन प्रावधानों में संशोधन के लिए केंद्रीय विद्युत विनियामक आयोग (सीईआरसी) ने प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।
नए प्रावधानों को केंद्रीय विद्युत विनियामक आयोग (सलाहकार नियुक्त) (छठा संशोधन) नियम 2025 के नाम से जाना जाएगा। नए प्रावधान के तहत तैनात किए जाने वाले सलाहकारों को दो साल का अतिरिक्त समय दिया जाएगा। नए प्रावधान के लिए सीईआरसी ने आम जनता से सलाह मांगी है। इस सलाह के बाद प्रक्रिया पूर्ण हो जाने पर अधिसूचना के साथ ही नए प्रावधान को लागू कर दिया जाएगा।
इन सैलरी पर रखे जाएंगे सलाहकार
तय प्रावधानों के मुताबिक किसी भी व्यक्तिगत श्रेणी में सलाहकार अधिकतम दो लाख रुपए के वेतन पर रखा जा सकेगा और इसमें सेवा शुल्कों को भी शामिल रखा गया है। यह पर वरिष्ठ सलाहकार के पद का होगा। इसके लिए सलाहकार के लिए एक लंबा अनुभव होना जरूरी होगा। प्रधान सलाहकार के पद पर तैनात होने वाले अधिकारी के देय शुल्क को भी दस से बीस लाख रुपए किए जाने का प्रस्ताव नए संशोधन में किया गया है। नए नियम अन्य श्रेणी में होने वाली तैनातियों और इनके अनुभव के प्रावधानों को भी सुनिश्चित करेगा।
तय प्रावधानों के मुताबिक तीन साल के अनुभव वाले व्यक्ति (रिसर्च एसोसिएट) को 50 हजार मासिक, तीस से सात के अनुभव के साथ (रिसर्च आफिसर) 75 से 1.10 लाख और सात से दस साल का अनुभव (वरिष्ठ रिसर्च अधिकारी) वाले को 1.15 से 1.15 लाख रुपए, दस साल से अधिक अनुभव वाले अधिकारी (प्रधान अध्ययन अधिकारी ) को 1.30 से 1.80 लाख रुपए तक का मासिक भुगतान किया जा सकेगा। रिसर्च एसोसिएट के लिए एक साल का अच्छा अनुभव होने की स्थिति में उसके लिए 64 हजार रुपए का वेतन तय किया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त इन अधिकारियों को स्वास्थ्य समेत अध्ययन के लिए जरूरी सहायता भी उपलब्ध कराई जाएगी।