साल 2009 में जब लोकसभा चुनाव होने वाले थे उस वक्‍त जॉर्ज फर्नांड‍िस मुजफ्फरपुर (ब‍िहार) से सांसद हुआ करते थे। उन द‍िनों उनकी तबीयत बहुत खराब रहा करती थी। फ‍िर भी, वह चुनाव नहीं लड़ने के मन में नहीं थे, लेक‍िन पार्टी अध्‍यक्ष शरद यादव ने उन्‍हें ट‍िकट नहीं द‍िया। इसे जॉर्ज ने अपना अपमान माना और इसके ल‍िए नीतीश कुमार को ज‍िम्‍मेदार मानते हुए मुजफ्फरपुर से न‍िर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर द‍िया।

आरोप लगा क‍ि जॉर्ज ने अपनी करीबी जया जेटली के उकसाने पर न‍िर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला क‍िया। जॉर्ज के कुछ करीबी लोगों ने जया के जर‍िये ही उन्‍हें मैदान से हटने के ल‍िए राजी करवाने की कोश‍िश की, पर सारी कोश‍िशें बेकार गईं। चुनाव में उनकी जमानत जब्‍त हो गई। लेक‍िन, नीतीश कुमार ने उन्‍हें राज्‍यसभा भेजने का वादा न‍िभाया।

जया चाहती थीं ऑफर ठुकरा दें फर्नांड‍िस

पेंग्‍व‍िन बुक्‍स से प्रकाश‍ित क‍िताब The Life and Times of George Fernandes में राहुल रामागुंडम ल‍िखते हैं क‍ि जया जेटली चाहती थीं क‍ि जॉर्ज नीतीश का ऑफर ठुकरा दें। जया ने तर्क द‍िया क‍ि समाजवादी नेता कभी राज्‍यसभा नहीं जाते। उन्‍होंने यह भी कहा क‍ि क्‍या नीतीश ने जो अपमान क‍िया, वह कम है? पर जॉर्ज नहीं माने। उन्‍होंने पटना की फ्लाइट पकड़ ली।

पटना में नीतीश के स्‍वागत और भीड़ की नारेबाजी के बीच जॉर्ज ने पर्चा भरा। लेक‍िन, तनाव ने उनकी सेहत को बुरी तरह प्रभाव‍ित क‍िया था। उस रात जॉर्ज पटना के फाइव स्‍टार मौर्या होटल के सुइट में ठहरे थे। फ्रेड्र‍िक डीसा और लंबे वक्‍त से मददगार रहे दुर्गा उनके साथ थे।

फाड़ डाले अपने कपड़े

जॉर्ज अपने कमरे में अचानक उग्र हो गए और च‍िल्‍लाने लगे। वह जबरदस्‍त गुस्‍से में थे और बेकाबू हो गए थे। उन्‍होंने अपने कपड़े फाड़ डाले, पायजामा में पाखाना कर द‍िया और उसी हालत में बैठ गए। फ‍िर वह नंगे पूरे कमरे में धम-धम कर चलने लगे। पूरी रात न खुद सोए और न उनके सहयोगी सो सके। सुबह जब वह शांत हुए तब उनकी सफाई वगैरह की गई।

जुलाई 2009 में जब वह राज्‍यसभा सांसद की शपथ लेने गए तब भी उनकी सेहत बुरी तरह ब‍िगड़ी थी। उनसे शपथ पत्र तक नहीं पढ़ा जा रहा था। लेक‍िन, उस द‍िन एक और बात हुई। लंबे समय से अलग रह रहीं पत्‍नी लीला फर्नांड‍िस भी वहां आई हुई थीं। वह उनके साथ थीं और उनके साथ से काफी खुश द‍िखते हुए उनसे करीबी जताने की भी कोश‍िश की। उस द‍िन के बाद से लीला का जॉर्ज के घर आना बढ़ गया और जया का कम हो गया।

आपातकाल के दौरान पूछताछ के लिए पुलिस ने उतार दिए थे कपड़े

2009 में तो बीमारी और गुस्‍से के चलते जॉर्ज ने कपड़े उतार ल‍िए थे, लेक‍िन एक बार 1976 में भी जॉर्ज फर्नांड‍िस के कपड़े उतारे गए थे। तब मामला कुछ और था। वह छ‍िप कर कोलकाता (तब कलकत्‍ता) में एक चर्च में रह रहे थे। वह 10 मार्च, 1976 को द‍िल्‍ली से कलकत्‍ता गए थे और तीन महीने बाद 10 जून को पुल‍िस की ग‍िरफ्त में आ गए थे।

पुल‍िस उन्‍हें द‍िल्‍ली लेकर आई। हवाईअड्डे से एक वैन में ब‍िठा कर उन्‍हें पूछताछ (पटर‍ियां उड़ाने आद‍ि के ल‍िए डायनाइट का इंतजाम करने के आरोप में) के ल‍िए ले जाया गया। उनकी आंखों पर पट्टी बंधी थी और हाथों में हथकड़ी लगी थी। ठ‍िकाने पर ले जाकर पुल‍िस ने उनके सारे कपड़े उतरवा द‍िए और केवल एक कंबल ओढ़ा द‍िया। पुल‍िस ने उनसे पूछताछ की, पर जॉर्ज ने इसके स‍िवा कुछ नहीं कहा क‍ि वह तानाशाही के ख‍िलाफ लड़ रहे हैं।

फर्नांड‍िस को ह‍िसार जेल ले जाया गया। वहां दीवार पर इंद‍िरा गांधी की एक तस्‍वीर देखी। उसे देखते ही वह गुस्‍से से लाल हो गए और जेलर पर च‍िल्‍ला पड़े- आप लोग इस मह‍िला का हुक्‍म बजा रहे हो, पर जान लो कल यह मह‍िला जेल में होगी। इसके बाद उन्‍हें त‍िहाड़ जेल भेज द‍िया गया।

अकेलेपन में ली आखिरी सांस

जॉर्ज फर्नांड‍िस जीवन के आख‍िरी सालों में अल्‍जाइमर्स (भूलने की बीमारी) से पीड़‍ित रहे। लेक‍िन, 80 साल की उम्र में उन्‍होंने बचपन की एक कड़वी याद साझा की थी। उन्‍होंने बताया था क‍ि जब वह आठ साल के थे तो मां को प‍िता के हाथों प‍िटते देखा करते थे।

उन्‍होंने कहा था, ‘मेरी बुआ अक्‍सर मेरे प‍िता से मां की श‍िकायत करती थीं। वह रोने लगती थीं। प‍िता गुस्‍सा हो जाते थे और अपनी बहन की बातों में आकर मेरी मां को पीटने लगते थे। मुझे कुछ समझ नहीं आता था। बचपने में मैं समझ नहीं पाता क‍ि ऐसा क्‍यों होता था। मैं देखता, मां रो रही होती थीं और प‍िता उन्‍हें दीवार में सटा कर दबोचे रहते थे।’

घर पर ऐसा कुछ न कुछ अक्‍सर होता ही रहता था जो अच्‍छा नहीं लगता था। इससे बचने के ल‍िए जॉर्ज ज्‍यादा वक्‍त नन‍िहाल में ब‍िताया करते थे। जॉर्ज का पारिवारिक जीवन आगे भी उलझनों से ही भरा रहा। पत्‍नी लीला फर्नांड‍िस भी उनके साथ नहीं रह सकीं। बेटा सीन फर्नांड‍िस भी 1993 में अमेर‍िका चले गए और प‍िता से बहुत मतलब नहीं रखने लगे।

2007 में चाचा पॉल फर्नांड‍िस के कहने पर सीन जॉर्ज से म‍िलने कनाडा गए थे। तब जॉर्ज टोरंटो (कनाडा) डॉक्‍टरी जांच के ल‍िए गए थे। सीन बस एक रात रुके और प‍िता की डॉक्‍टरी जांच पूरी होने से पहले ही लौट गए थे।  सीन जया जेटली से काफी नाराज रहा करते थे और मानते थे क‍ि जया के चलते ही उनका परिवार ब‍िखर गया।

1930 में 3 जून को जन्‍मे जॉर्ज फर्नांड‍िस ने 2019 में 29 जनवरी को अकेलेपन में ही आखि‍री सांस ली थी।