देश की आजादी के बाद हुए पहले लोकसभा चुनाव (1952) के बाद से ही हर लोकसभा चुनाव में संसद पहुंचने वाले नेताओं में से औसतन आधे से ज्यादा सांसद ऐसे रहे हैं, जो पहली बार लोकसभा का चुनाव जीते थे। अब तक की सभी लोकसभाओं को मिलाकर यह आंकड़ा औसतन 54.5% रहा है।
इमरजेंसी के बाद साल 1977 में जब छठी लोकसभा के लिए चुनाव हुए थे, तो पहली बार संसद पहुंचने वालों का आंकड़ा 68% तक पहुंच गया था। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च ने यह जानकारी सामने रखी है।
रिसर्च से यह भी पता चला है कि 13वीं लोकसभा यानी 1999 से 2004 के बीच पहली बार संसद पहुंचने वाले नेताओं का आंकड़ा सबसे कम 35% रहा था, जबकि 17वीं लोकसभा के लिए यह आंकड़ा 49% है। 1999 को छोड़ कभी ऐसा नहीं हुआ कि पहली बार सांसद बनने वाले नेताओं का आंकड़ा 40 फीसदी से कम रहा हो। 1952 के बाद से अब तक 5,126 सांसद ऐसे रहे हैं जिन्हें सिर्फ एक बार लोकसभा पहुंचने का मौका मिला है और यह अब तक चुने गए कुल 9445 सांसदों का 58 प्रतिशत है।

क्या है इसकी वजह?
सवाल यह है कि हर लोकसभा चुनाव में संसद पहुंचने वाले नेताओं में से लगभग औसतन आधे सांसद नए क्यों होते हैं? इसके कई कारण होते हैं। जिताऊ उम्मीदवारों पर फोकस, राजनीतिक सौदेबाजी के तहत दलबदलुओं को टिकट देने की मजबूरी, सांसद के पार्टी नेतृत्व से समीकरण, उनका राजनीतिक प्रदर्शन और ताकत आदि।
बीजेपी के 303 लोकसभा सांसदों में से लगभग 100 सांसद 2024 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। इनमें मोदी सरकार के 11 मंत्री भी शामिल हैं।
केंद्रीय मंत्री का नाम | लोकसभा सीट का नाम |
वीके सिंह | गाजियाबाद |
मीनाक्षी लेखी | नई दिल्ली |
अश्विनी चौबे | बक्सर |
दर्शना जरदोश | सूरत |
प्रतिमा भौमिक | त्रिपुरा पश्चिम |
राजकुमार रंजन सिंह | इनर मणिपुर |
जॉन बारला | अलीपुरद्वार |
एम. मुंजापारा | सुरेंद्रनगर |
बिश्वेश्वर टुडू | मयूरभंज |
रेमेश्वर तेली | डिब्रूगढ़ |
ए. नारायणस्वामी | चित्रदुर्ग |
बीजेपी ने इस लोकसभा चुनाव में ऐसे 10 केंद्रीय मंत्रियों को भी मैदान में उतारा है, जिन्होंने या तो अप्रैल के पहले सप्ताह में अपना राज्यसभा सांसद का कार्यकाल पूरा कर लिया है या अभी भी वे सांसद हैं।
सांसद का नाम | लोकसभा सीट |
पीयूष गोयल | मुंबई उत्तर |
ज्योतिरादित्य सिंधिया | गुना |
धर्मेंद्र प्रधान | संबलपुर |
वी मुरलीधरन | अट्टिंगल |
भूपेन्द्र यादव | अलवर |
परषोत्तम रूपाला | राजकोट |
मनसुख मंडाविया | पोरबंदर |
सर्बानंद सोनोवाल | डिब्रूगढ़ |
एल मुरुगन | नीलगिरी |
राजीव चन्द्रशेखर | तिरुवनंतपुरम |
इसी तरह कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में बस्तर लोकसभा सीट से प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज का टिकट काट दिया है। गोवा से मौजूदा कांग्रेस सांसद फ्रांसिस्को सरदिन्हा को भी लोकसभा चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिला है।
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इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने कई बड़े चेहरों को भी पहली बार अपने टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ने का मौका दिया है। इनमें विधायक और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन की बहू सीता सोरेन, कुरुक्षेत्र से कांग्रेस के पूर्व सांसद नवीन जिंदल आदि शामिल हैं।
चुनाव में उतारे जाते हैं हाई प्रोफाइल चेहरे
कई बार राजनीतिक दल गैर राजनीतिक हाई प्रोफाइल चेहरों को भी चुनाव मैदान में उतारने की रणनीति अपनाते हैं और इस वजह से कई मौजूदा सांसदों का टिकट कट जाता है। जैसे मेरठ संसदीय क्षेत्र से बीजेपी ने इस बार तीन बार के सांसद राजेंद्र अग्रवाल का टिकट काटकर रामायण धारावाहिक में राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल को उम्मीदवार बनाया है।
इसी तरह साल 2019 में बीजेपी ने क्रिकेटर से राजनेता बने गौतम गंभीर को पूर्वी दिल्ली की सीट से चुनाव मैदान में उतारा था और यहां के तत्कालीन सांसद महेश गिरी का टिकट काट दिया था। दिल्ली की एक और सीट उत्तर-पश्चिमी दिल्ली से बीजेपी ने तत्कालीन सांसद उदित राज का टिकट काटकर जाने-माने पंजाबी गायक हंसराज हंस को चुनाव मैदान में उतारा था। गौतम गंभीर और हंसराज हंस चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे।
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मौजूदा लोकसभा के चर्चित चेहरे जो पहली बार बने सांसद
2019 के लोकसभा चुनाव में कई ऐसे बड़े चेहरे थे जो पहली बार संसद पहुंचे थे। इसमें गौतम गंभीर, प्रज्ञा ठाकुर के अलावा बसीरहाट से नुसरत जहां का नाम शामिल है। लेकिन ये सभी चेहरे दूसरी बार लोकसभा पहुंचने में नाकाम रहे। बीजेपी ने गौतम गंभीर की जगह हर्ष मल्होत्रा को टिकट दिया है।
इसी तरह साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को बीजेपी ने पिछली बार भोपाल से उम्मीदवार बनाया था जहां से उन्होंने कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को शिकस्त दी थी। इस बार पार्टी ने उनकी जगह आलोक शर्मा को टिकट दिया है। टीएमसी ने मौजूदा सांसद नुसरत जहां की जगह पूर्व सांसद हाजी नुरुल इस्लाम को चुनाव मैदान में उतारा है।
टीएमसी ने इस बार हाई प्रोफाइल चेहरों में पूर्व क्रिकेटर युसूफ पठान को बहरामपुर, शत्रुघ्न सिन्हा को आसनसोल सीट से टिकट दिया है।
चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटों का आंकड़ा हासिल करने के लिए राजनीतिक दल जिताऊ उम्मीदवारों पर फोकस करते हैं। इसके तहत पार्टियां दलबदलुओं यानी दूसरे दलों से आने वाले नेताओं को टिकट देने से भी परहेज नहीं करते। जैसे तेलंगाना में नगरकुर्नूल के सांसद पोथुगंती रामुलु जैसे ही अपने बेटे भरत प्रसाद के साथ बीजेपी में शामिल हुए, पार्टी ने प्रसाद को नगरकुर्नूल से ही लोकसभा का टिकट दे दिया जबकि तेलंगाना में ही जहीराबाद के सांसद बीबी पाटिल को पार्टी में शामिल होते ही उम्मीदवार बना दिया गया।