अंकिता देशकर
सोशल मीडिया पर एक पत्र तेजी से वायरल हो रहा है, जिसका संबंध राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से बताया जा रहा है। कथित पत्र में मुस्लिम लड़कियों को लुभाने और उन्हें हिंदू धर्म में परिवर्तित करने तारीका बताया गया है।
क्या वायरल हो रहा है?
दावों को ट्विटर और फेसबुक पर भारी संख्या में शेयर किया जा रहा है।
दावों की पड़ताल में क्या आया सामने?
जनसत्ता ने पड़ताल की शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल की जांच से की।
हमें आरएसएस के आधिकारिक हैंडल पर कोई अपील या पत्र नहीं मिला। ट्विटर पर कीवर्ड सर्च करने पर हमें VSK Bharat का एक ट्वीट मिला। ट्वीट में कहा गया है कि वायरल पत्र फर्जी है। विश्व संवाद केंद्र (वीएसके) को आरएसएस का मीडिया विंग माना जाता है।
हमने व्यापक रूप से साझा किए जा रहे लेटरहेड पर मौजूद लोगो की तुलना भी की। हमने गूगल पर लेटरहेड पर छपे पता “केशव कुंज, झंडेवाला, देशबंधु गुप्ता मार्ग, नई दिल्ली” को सर्च किया, जो राजधानी दिल्ली में आरएसएस कार्यालय का पता है। इस गूगल सर्च ने हमें RSS के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर किये गए एक पोस्ट पर पहुंचा दिया।
वायरल लेटरहेड पर चस्पा किए गए लोगो और असली लोगो में अंतर देखा जा सकता है। पड़ताल के अगले चरण में हमने आरएसएस के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नरेंद्र कुमार से संपर्क किया।
उन्होंने कहा, “यह फेक लेटर है। संघ को बदनाम करने की साजिश है। संघ की ओर से इस तरह का कोई पत्र जारी नहीं किया गया है और न ही इस तरह के विषय पर किसी बैठक में कोई चर्चा हुई है।” उन्होंने यह भी कहा कि लेटरहेड के हेडर को स्कैन किया गया है और संस्था को बदनाम करने की कोशिश की गयी है।
निष्कर्ष
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ पदाधिकारियों का कहना है कि उनके संगठन द्वारा मुस्लिम लड़कियों या महिलाओं से संबंधित ऐसा कोई पत्र जारी नहीं किया गया है।