अंकिता देशकर

लाइटहाउस जर्नलिज्म को विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर शेयर किया जा रहा एक पोस्ट मिला, जिसमें दावा किया जा रहा है कि ‘मंत्रालय’ व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर आदि जैसे प्लेटफार्मों की निगरानी करेगा। यह भी दावा किया गया कि सरकार या किसी प्रमुख व्यक्ति के खिलाफ सोशल मीडिया पोस्ट करने पर सजा होगी। हालांकि हमने अपनी जांच में य पाया कि दावा गलत है।

क्या वायरल हो रहा है?

X यूजर RAMGEECRR ने वायरल पोस्ट को अपने वॉल पर शेयर किया है।

अन्य यूजर्स भी इसी तरह की पोस्ट को विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर कर रहे हैं।

कैसे हुई पड़ताल?

हमने कुछ कीवर्ड को गूगल पर सर्च कर पड़लात की शुरुआत की। हमें कोई ऐसी न्यूज रिपोर्ट नहीं मिली, जिसमें यह बताया गया हो कि चुनाव की घोषणा होने के बाद सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को मॉनिटर करेगा।

इसके बाद हम भारत निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर गए। वहां आचार संहिता के पालन के संबंध में राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को लेकर जो गाइडलाइन जारी की गई है, उसे देखा।

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आदर्श आचार संहिता के निर्देशों में हमें कहीं भी नहीं मिला कि सरकार या राजनेता या राजनीतिक दलों के खिलाफ सोशल मीडिया पोस्ट लिखने या शेयर करने वालों पर मुकदमा चलाया जाएगा।

हमें एक रिपोर्ट मिली जिसमें सुझाव दिया गया था कि आदर्श आचार संहिता और उसके राजनीतिक विज्ञापन से जुड़े नियम सोशल मीडिया पर भी लागू होंगे।

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जांच के अगले चरण में हमने नागपुर के पुलिस आयुक्त डॉ. रविंदर सिंगल से कॉन्टेक्ट किया। उन्होंने हमें बताया कि विभाग को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट करने वाले लोगों के खिलाफ मुकदमा चलाने के संबंध में ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली है।

निष्कर्ष: सरकार या राजनीतिक हस्तियों के खिलाफ लिखने वाले लोगों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए कोई ‘मंत्रालय’ सोशल मीडिया अकाउंट्स की निगरानी नहीं कर रहा है, वायरल दावा गलत है।