‘लाइटहाउस जर्नलिज्म’ को एक वीडियो मिला, जिसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बड़े पैमाने पर शेयर किया जा रहा था; यह दावा किया जा रहा था कि यह वीडियो नेपाल में हाल ही में हुए विरोध-प्रदर्शनों से संबंधित है।
जांच के दौरान, हमने इस दावे को झूठा पाया। यह वीडियो पुराना है और हाल के विरोध-प्रदर्शनों का नहीं है।
क्या है दावा?
एक्स (X) यूजर ‘राजस्थान वन’ ने अपने प्रोफाइल पर एक झूठे दावे के साथ यह वीडियो शेयर किया।
अन्य सोशल मीडिया यूजर्स भी यही वीडियो शेयर कर रहे हैं।
जांच पडताल:
हमने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपलोड किए गए ऐसे कई वीडियो के कमेंट सेक्शन की जांच की।
हमें एक कमेंट मिला, जिसमें लिखा था: ‘यह अतीत का एक पुराना वीडियो है। वे अपना स्थानीय त्योहार/जात्रा मना रहे हैं। हाल की स्थिति यहाँ की है।’ (That is an old video from the past. They are celebrating their local festival/ jatra. The recent condition is over here)
हमें एक्स (X) पर अपलोड किया गया एक और वीडियो मिला, जिसमें लिखा था: ‘रात में पशुपतिनाथ में मौजूदा स्थिति। पशुपति शांतिपूर्ण है। सेना सुरक्षा प्रदान कर रही है। हम लगातार निगरानी कर रहे हैं। चिंता न करें। कोई भी पशुपति को छू नहीं सकता।’
इसके बाद, हमने वीडियो से प्राप्त की-फ्रेम्स पर रिवर्स इमेज सर्च किया।
हमें टिकटॉक (TikTok) पर अपलोड किया गया एक वीडियो मिला।

हमें 9 सितंबर को फेसबुक (Facebook) पर अपलोड किया गया वीडियो भी मिला।
इसके कैप्शन में लिखा था: ‘यह वीडियो आज का या अभी का नहीं है, आंदोलन का नहीं, बल्कि मेले का है। यह वीडियो/फोटो हमारी ‘पाहा चहरे जात्रा’ का है, जो नेवार समुदाय का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इसमें कोई हमला या अप्रिय घटना नहीं हुई है और हर कोई सुरक्षित है। यह वीडियो/फोटो त्योहार के दौरान लिया गया एक साधारण दृश्य है। इसलिए, किसी को भी इसके बारे में डरने या आतंकित होने की जरूरत नहीं है। मैं आपसे यह भी अनुरोध करता हूँ कि आप भ्रमित न हों और भ्रम न फैलाएं।’
यह वीडियो सबसे पहले जुलाई में इस पेज द्वारा अपलोड किया गया था।

पाहा चहरे जात्रा (Paha Chahre Jatra), जिसे ‘पहन चरहे’ (Pahan Charhe) या ‘पासा चरहे’ (Pasa Charhe) भी कहा जाता है, नेपाल की काठमांडू घाटी में नेवार समुदाय द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण तीन दिवसीय धार्मिक त्योहार है। इसका हिंदी में अनुवाद ‘मेहमानों को आमंत्रित करना’ है। यह त्योहार नेपाली महीने चैत्र के कृष्ण पक्ष के 14वें दिन पड़ता है।
निष्कर्ष: नेपाल में एक त्योहार का पुराना वीडियो देश में हुए हालिया विरोध-प्रदर्शनों का बताकर शेयर किया जा रहा है। वायरल दावा झूठा है।