अमेरिका के ट्रैरिफ वॉर और यूरोपीय संघ में कार्बन टैक्स के कारण बढ़ते व्यापार प्रतिबंधों के बीच, भारत ने पश्चिम एशिया में अपने निर्यात का बढ़ाने के लिए 18 दिसंबर को ओमान के साथ एक ट्रेड डील साइन किया है। यह डील मोदी सरकार की उस रणनीति का हिस्सा है, जो तेजी से फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स (एफटीए) को बढ़ावा दे रही है, जिससे अमेरिका के साथ ट्रेड डील टेंशन के बीच नए बाजार में कदम रखे जा सकें।

भारतीय निर्यातकों के लिए यूरोपीय संघ (ईयू) की तुलना में अरब देशों में कम सख्त मानकों के कारण रास्ता बनाया जा रहा है। इससे न केवल निर्यातकों के लिए अनुपालन की लागत बढ़ेगी बल्कि यह एक नॉन-टैरिफ बैरियर (एनटीबी) के रूप में भी काम करेगा। ओमान के साथ यह डील ऐसे समय में हुई है जब गल्फ कॉर्पोरेशन काउंसिल (जीसीसी) के साथ ट्रेड डील की बातचीत सफल नहीं हो पाई। बता दें कि जीसीसी में बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं। अब भारत का जीसीसी के दो सदस्यों, ओमान और संयुक्त अरब अमीरात के साथ समझौता होगा।

भारत-ओमान डील क्यों अहम?

हालांकि यूएई की तुलना में ओमान छोटा बाजार है, लेकिन इसकी रणनीतिक स्थिति ऐसी है कि यहां भारतीय प्रोडक्ट गल्फ देशों और अफ्रीका के अन्य बाजारों तक पहुंच सकते हैं। जानकारी दे दें कि ओमान का कुल वार्षिक आयात करीब 40 अरब डॉलर है, लेकिन यह अपने मशीनरी सामानों का करीब दो-तिहाई हिस्सा ही आयात करता है। ओमान मुख्य रूप से ऊर्जा निर्यातक है।

अमेरिका से है ओमान का एफटीए

गौर करने वाली बात है कि ओमान का अमेरिका के साथ 2009 से फ्री ट्रेड एग्रीमेंट है। इस डील के तहत ओमान से अमेरिका में टैक्स फ्री सामान बड़ी मात्रा में पहुंचाया जा सकता है। ओमान के टॉप निर्यातक अमेरिका में इंडस्ट्रियल सप्लाई, एलुमीनियम, खाद, आभूषण, तेल और प्लास्टिक के प्रोडक्ट भेजते हैं। भारत सरकार रत्न और आभूषण के निर्यात को बढ़ावा देने पर ध्यान दे रही है, जिन्हें अभी टैरिफ संबंधी अधिक परेशानी झेलनी पड़ रही है।

पांच सालों में बढ़ा भारतीय निर्यात

भारतीय निर्यात पिछले पांच सालों में तीन बिलियन डॉलर से छह बिलियन डॉलर पहुंच गया है। इनमें मुख्य रूप से मशीनरी और पार्ट्स शामिल है। नेफ्था और पेट्रोल के अलावा भारत के प्रमुख निर्यातों में मशीनरी, विमान, चावल, लोहा और इस्पात के सामान, ब्यूटी और पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स और सिरेमिक प्रोडक्ट्स शामिल थे।

ओमान ने शून्य टैक्स की पेशकश की

ओमान ने अपनी 98 प्रतिशत टैरिफ लाइन पर शून्य टैक्स की पेशकश की है, इसलिए इस डील से भारतीय औद्योगिक निर्यात की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार होने की उम्मीद है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि निश्चित रूप से, ओमान के छोटे बाजार में भारत का दबदबा उसके क्वालिटी अपग्रेड और उत्पाद विविधीकरण पर निर्भर करेगी।

ओमान मुख्य रूप से कच्चा तेल, लिक्विड नेचुरल गैस और उर्वरक, मेथिल अल्कोहल और एनहाईड्रस अमोनिया जैसे रासायनिक पदार्थ, साथ ही पेट्रोलियम कोक का निर्यात करता है। ये चीजें भारत के एनर्जी सेक्टर के लिए अहम हैं और भारत के अन्य एफटीए के तहत पहले से ही इन पर कम टैरिफ लागू हैं।

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