हिंसा और तनाव भरे माहौल के बीच बांग्लादेश में अगले आम चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं। सवाल यह है कि बांग्लादेश की कमान कौन संभालेगा?

छात्रों के नेतृत्व में हिंसक प्रदर्शन के बाद जब पांच अगस्त, 2024 को तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग की सरकार गिर गई तो नए राजनीतिक हालात में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) एक बार फिर से ताकतवर और मुख्य दल बनकर उभरी है।

बीएनपी के कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान को लेकर कहा जा रहा है कि वे मुल्क के अगले प्रधानमंत्री हो सकते हैं। तारिक रहमान लगभग 17 सालों तक लंदन में रहे। 60 साल के रहमान पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया (80) के बेटे हैं। बांग्लादेश में 12 फरवरी को आम चुनाव होने हैं।

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बीएनपी जीत सकती है सबसे ज्यादा सीटें

अमेरिका स्थित इंटरनेशनल रिपब्लिकन इंस्टीट्यूट द्वारा दिसंबर में किए गए एक सर्वे से पता चलता है कि बीएनपी संसद में सबसे अधिक सीटें जीत सकती है। जमात-ए-इस्लामी पार्टी भी सरकार बनाने की दौड़ में शामिल है। शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को चुनाव में भाग लेने से प्रतिबंधित कर दिया गया है।

इंटरनेशनल रिपब्लिकन इंस्टीट्यूट के सर्वे में बीएनपी को 30 प्रतिशत समर्थन मिला जबकि जमात-ए-इस्लामी 26 प्रतिशत समर्थन के साथ दूसरे स्थान पर है। सर्वे के मुताबिक, एनसीपी के पास 6 प्रतिशत समर्थन है। बांग्लादेश में संसद की 300 सीटें हैं। प्रोथोम आलो अखबार की ओर से किए गए सर्वे में सामने आया था कि 47 प्रतिशत लोगों का मानना ​​है कि तारिक रहमान अगले प्रधानमंत्री होंगे।

तारिक रहमान उस्मान हादी की कब्र पर जाएंगे। उस्मान हादी की हाल में ढाका यूनिवर्सिटी सेंट्रल मस्जिद के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। रहमान को 2007 की कार्यवाहक सरकार के शासन के दौरान गिरफ्तार कर लिया गया था। लगभग 18 महीने तक जेल में रहने के बाद 2008 में वह इलाज के लिए ब्रिटेन चले गए थे।

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बीएनपी के लिए तारिक रहमान का वापस आना महज घर वापसी नहीं बल्कि जीवनदान है। उनकी मां खालिदा जिया की हालत गंभीर है। बीएनपी के कार्यकर्ताओं को उम्मीद है कि तारिक रहमान के चुनाव लड़ने का असर मतदाताओं पर होगा और दो दशक बाद बीएनपी की सत्ता में वापसी होगी।

12 फरवरी का चुनाव बांग्लादेश के इतिहास में सबसे अलग है। 2024 के छात्र विद्रोह के बाद यह पहला चुनाव होगा। तारिक रहमान की वापसी 2026 के चुनाव के लिए निर्णायक कड़ी है। क्या वह बीएनपी को संसदीय चुनाव में बहुमत दिला पाएंगे? रहमान को बांग्लादेश के लोगों को यह भरोसा दिलाना होगा कि वे मुल्क के बदतर हालात को ठीक कर सकते हैं।

जमात-ए-इस्लामी को भी मिल रहा समर्थन

बीएनपी के अलावा, चुनाव मैदान में जमात-ए-इस्लामी को युवाओं का जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश की सबसे बड़ी इस्लामी पार्टी है। ढाका विश्वविद्यालय में छात्र संघ के चुनावों में इसने शानदार जीत हासिल की। ​​

नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) भी चुनाव लड़ रही है। यह पार्टी 2024 के विद्रोह से निकली है। पार्टी का दावा है कि शेख हसीना को सत्ता से बेदखल करने में उसकी अहम भूमिका है। हालांकि, ढाका विश्वविद्यालय में छात्र संघ के चुनावों में यह एक भी सीट जीतने में नाकाम रही।

अगर जमात-ए-इस्लामी और एनसीपी शहरी और युवा मतदाताओं के वोट हासिल कर लेती हैं तो बांग्लादेश में त्रिशंकु संसद की स्थिति बन सकती है और बीएनपी को इनमें से किसी एक दल के साथ गठबंधन करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।

हिंसा से जूझ रहा बांग्लादेश

लगभग डेढ़ साल की उथल-पुथल के बाद राजनीतिक स्थिरता बहाल करने के लिए बांग्लादेश में इस चुनाव को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यूनुस सरकार ने शांतिपूर्ण चुनाव का वादा किया है लेकिन मीडिया संस्थानों पर हालिया हमलों और छिटपुट हिंसा ने कानून व्यवस्था को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं। शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद बांग्लादेश में बीते दिनों बड़े पैमाने पर हिंसा हो चुकी है।

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