द्रौपदी मुर्मू देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बन चुकी हैं। भारत की चौथी नागरिक (राज्यपाल) रह चुकीं मुर्मू 25 जुलाई, 2022 से देश की प्रथम नागरिक बन गयी हैं। अब वह एक खास तरह की कार से यात्रा करेंगी जिस पर नंबर प्लेट की जगह अशोक स्तंभ लगा होता है, सोने की परत चढ़ी बग्घी से राष्ट्रपति भवन में घूमेंगी, उनकी सुरक्षा में खास तरह के गार्ड होंगे, जिसमें सिर्फ सिख और राजपूत शामिल होते हैं। बहुत कुछ बदल जाएगा द्रौपदी मुर्मू की जिंदगी में। आइए एक-एक कर जानते हैं…
यात्रा से जुड़े प्रोटोकॉल
राष्ट्रपति की यात्रा अपने आप में एक विशेष तरह का आयोजन होता है। राष्ट्रपति पद की गरिमा और सुरक्षा को ध्यान में रखकर खास प्रोटोकॉल तैयार किए गए हैं, जिसे उनकी हर यात्रा के दौरान फॉलो करना होता है। राष्ट्रपति की यात्राएं दो प्रकार की होती हैं। 1. सार्वजनिक यात्रा 2. आधिकारिक यात्रा
वैसे तो राष्ट्रपति कहीं की भी यात्रा पर जाएं, वह आधिकारिक यात्रा ही कहलाती है। लेकिन पद संभालने के बाद जो पहली यात्रा होती है उसे सार्वजनिक यात्रा माना जाता है। किसी भी यात्रा पर जाने से पहले राष्ट्रपति का पूरा कार्यक्रम तय होता है। कार्यक्रम में शामिल होने वालों लोगों से लेकर उनकी उनकी संख्या तक सब कुछ पहले से तय होती है। कार्यक्रम में शामिल होने वालों की एक सूची राष्ट्रपति भवन भेजी जाती है। कार्यक्रम तय हो जाने के बाद आम तौर उसमें कोई बदलाव नहीं किया जाता है। अगर राष्ट्रपति किसी राज्य की यात्रा पर जाते/जाती हैं तो एयरपोर्ट पर उनका स्वागत राज्यपाल और मुख्यमंत्री करते हैं।
बेहद खास होती है राष्ट्रपति की सुरक्षा
आम तौर पर कड़ी सुरक्षा के लिए SPG और NSG को ही जाना जाता है। लेकिन राष्ट्रपति की सुरक्षा में उनकी कोई भूमिका नहीं होती है। प्रेसिडेंट की सुरक्षा खास तरह के बॉडीगार्ड करते हैं, जिन्हें PBG कहा जाता है। PBG यानी प्रेसिडेंट बॉडीगार्ड। यह भारतीय सेना की एक विशेष यूनिट है। फिलहाल इस दस्ते में 176 जवान शामिल हैं। यह दुनिया की एकमात्र घुड़सवारी सैन्य इकाई है। राष्ट्रपति की सुरक्षा में सिर्फ जाट, सिख और राजपूत ही शामिल हो सकते हैं क्योंकि इन्हीं जातियां को मार्शल रेस का माना जाता हैं।
बम से भी नहीं उड़ाई जा सकती राष्ट्रपति की कार
द्रौपदी मुर्मू मर्सिडीज एस-600 पुलमैन गार्ड कार से यात्रा करेंगी। सुरक्षा के मद्देनजर कार का मॉडल और रजिस्ट्रेशन नंबर गोपनीय रखा जाता है। नंबर प्लेट की जगह राजकीय चिन्ह अशोक स्तंभ लगा होता है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यह कार VR9 लेवल की बैलिस्टिक सुरक्षा देती है। बम, विस्फोटक और गैस हमले की स्थिति में भी यह कार राष्ट्रपति को सुरक्षित रखेगी। किसी हमले अगर 44 कैलिबर के हैंडगन या मिलिट्री राइफल का भी इस्तेमाल होता है, तो कार में बैठे व्यक्ति के कुछ नहीं होगा।
सोने की परत चढ़ी बग्घी
राष्ट्रपति की सेवा में एक खास तरह की बग्घी भी होती है। ब्रिटिश राज में सोने की परत चढ़ी इस बग्घी की सवारी वायसराय करते थे। पहले इस बग्घी को 6 ऑस्ट्रेलियाई घोड़े खींचते थे, अब घोड़ों की संख्या चार कर दी गई है। आजाद भारत में इस बग्घी की पहली सवारी 1950 में गणतंत्र दिवस के मौके प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने की थी।
छुट्टी मनाने की जगह
वैसे तो राष्ट्रपति दुनिया में कहीं भी छुट्टी मनाने के लिए जा सकते हैं, लेकिन भारत में दो जगहों पर विशेष इंतजाम हमेशा रहता है। राष्ट्रपति के लिए भारत में दो वेकेशन रिट्रीट मौजूद हैं। एक उत्तर भारत के शिमला के मशोबरा में है। दूसरा, दक्षिण भारत के हैदराबाद के बोलारम में है। शिमला वाले इमारत का नाम द रिट्रीट बिल्डिंग है। हैदराबाद वाले इमारत का नाम निलयम भवन है। दोनों ही बेहद खास और सुविधा-संपन्न हैं। निलयम में तो राष्ट्रपति के लिए सिनेमा हॉल भी बनाया गया है।
राष्ट्रपति की शक्तियां
भारत में राष्ट्रपति को राष्ट्राध्यक्ष माना जाता है। उनका अपना अधिकार क्षेत्र है। कार्यपालिका पूरी तरह राष्ट्रपति के नियंत्रण में काम करती है। राष्ट्रपति को तीनों सेनाओं का सर्वोच्च सेनापति भी माना जाता है। राष्ट्रपति अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर मनी बिल के अलावा किसी भी बिल को पुनर्विचार के लिए लौटा सकता है। इस पद पर बैठे व्यक्ति के पास प्रधानमंत्री को पद से हटाने और लोकसभा को भंग करने का भी अधिकार होता है। इसके अलावा राष्ट्रपति के पास लोकसभा में दो सदस्यों और राज्यसभा में 12 सदस्यों को मनोनीत करने का विशेष अधिकार होता है। किसी विषम परिस्थिति में राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के ही देश में आपातकाल लगाया जा सकता है।
राष्ट्रपति पद पर बैठे व्यक्ति के खिलाफ देश के किसी अदालत में मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। ना ही उनकी गिरफ्तारी हो सकती है, ना अदालत जेल की सजा सुना सकता है। राष्ट्रपति के किसी फैसले को चुनौती भी नहीं दी जा सकती।
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