भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को चाय बहुत पसंद है। वह अक्सर शाम के चार बजते ही अपने साथी वकीलों से पूछते हैं, “क्या आप लोगों को एक कप चाय की तलब महसूस नहीं हो रही?” द वीक (The Week) में प्रकाशित एक रिपोर्ट में चाय को लेकर जस्टिस चंद्रचूड़ के प्रेम के बारे में लिखा गया है।
रिपोर्ट में लिखा है कि एक शाम घड़ी में जैसे ही चार बजा, जस्टिस चंद्रचूड़ ने चाय के लिए अपने प्यार के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि कैसा उन्हें कोर्ट का समय खत्म होते ही चाय की तीव्र तलब लालसा महसूस होती है।
उन्होंने याद किया कि जब वे बॉम्बे हाईकोर्ट में एक वकील थे, तो अपनी चाय स्टाफ कैंटीन में पीते थे जो एक अदालत कक्ष के ठीक बगल में थी। जब वह बॉम्बे हाईकोर्ट में जज बन गए, तो उन्हें उसी अदालत के उसी कमरे में बैठना होता था, जिसके ठीक बगल में कैंटीन था। उन्हें काम के बीच में ही कैंटीन से चाय बनने की गंध आती रहती थी। हालांकि जज बनने के बाद वह कैंटीन में जाकर चाय नहीं पी सकते थे।
जब चाय पीने के लिए वरिष्ठ वकीलों को टोका
अगस्त 2021 की बात है। सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और पराग पी त्रिपाठी एक कंपनी द्वारा टोल संग्रह के मामले में एक दूसरे से भिड़े हुए थे। लेकिन वहीं जस्टिस चंद्रचूड़ अपनी चाय के लिए उठना चाह रहे थे, क्योंकि घड़ी में शाम के चार बच चुके थे।
उन्होंने वकीलों को बीच में ही टोकते हुए कहा, “मुझे नहीं पता कि आप सभी एक कप चाय लिए बिना शाम 4 बजे कैसे रह सकते हैं? कम से कम, मैं ऐसा नहीं कर सकता। मुझे अपनी चाय पीनी है, यही मुझे पूरे दिन चलाता है।”
जस्टिस चंद्रचूड़ ने बॉम्बे हाईकोर्ट के कैंटीन वाला किस्सा अभिषेक मनु सिंघवी और पराग पी त्रिपाठी से भी साझा किया। उन्होंने कहा, “बॉम्बे उच्च न्यायालय की पहली मंजिल पर एक कोने में एक कोर्ट रूम है, जिसके बगल में स्टाफ कैंटीन है। बतौर वकील मैं उस कैंटीन में जाकर चाय पीता था। लेकिन दिक्कत तब हुई जब मैं वहां जज बन गया और इस कैंटीन से सटे कोर्ट रूम में बैठने लगा।
रोज सुबह 11 बजे कैंटीन में चाय बनने लगती थी और मुझे अपने कचहरी में ताजी चाय की महक आती थी। लेकिन मैं एक जज था और लंच ब्रेक से पहले नहीं उठ पाता था। और साथ ही एक न्यायाधीश के रूप में, मैं अब कैंटीन में प्रवेश नहीं कर सकता था।”
जस्टिस शाह ने चाय पर ली चुटकी
अपने चाय प्रेम पर आगे बात करते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने बताया कि उन्हें शाम में चार बजते ही चार की तलब होने लगती है, यही सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही पूरा होने का समय भी होता है। इसके बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने साथ बेंच साझा कर रहे जस्टिस एमआर शाह से पूछा, “भाई, शाम को चाय की तलब नहीं होती?” इस पर शाह ने चुटकी लेते हुए कहा, “मैं गुजरात से आता हूं जहां आपको केवल चाय मिलती है और कुछ नहीं”
जज लोया मामले में सुनवाई के बीच…
साल 2018 की बात है। सुप्रीम कोर्ट में हाई-वोल्टेज जज लोया मामले की सुनवाई चल रही थी। तभी जजों ने अचानक ही सुनावई के बीच में 10 मिनट का ब्रेक लिया। जजों की बेंच में डीवाई चंद्रचूड़ भी थे, उन्होंने ब्रेक लेते हुए कहा, “आप लोग (वकीलों को संबोधित करते हुए) भाग्यशाली हैं… आप एक कॉफी ब्रेक पर जा सकते हैं लेकिन हम ऐसा नहीं कर सकते।”