लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी शुक्रवार सुबह करनाल में एक ऐसे परिवार से मिलने पहुंचे जिनके बेटे अमित कुमार का अमेरिका में एक्सीडेंट हुआ था। अमित कुमार डंकी रूट के जरिए अमेरिका गया था। अमित की मां ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई को बताया कि अमित घर की जमीन और जरूरी चीजें गिरवी रखकर विदेश गया था और डंकी रूट के रास्ते विदेश जाने के लिए उसने 42 लाख रुपए खर्च किए थे।
ऐसे में सवाल यह है कि आखिर क्या है यह डंकी रूट जिसके जरिए लोग दुनिया के अपने पसंदीदा देश तक पहुंचना चाहते हैं। सीधे शब्दों में समझ लीजिए कि डंकी रूट का मतलब होता है किसी देश में अवैध तरीके से पहुंचने की कोशिश करना। यह देश अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, मैक्सिको सहित कोई भी हो सकता है।
शाहरूख की डंकी फिल्म
पिछले साल फिल्म अभिनेता शाहरुख खान की डंकी फिल्म आई थी और इसमें ऐसे लोगों की कहानी दिखाई गई थी जिन्हें किसी भी कीमत पर विदेश जाना है। वे लाखों रुपये लगाकर अपने पसंदीदा मुल्क जाना चाहते हैं जबकि वे जानते हैं कि डंकी रूट से जाने में उनकी जान भी जा सकती है।
एनआरआई कहलाने की ख्वाहिश
आप सोचिए कि इतना पैसा लगाकर विदेश में अपने चहते मुल्क पहुंचने की ख्वाहिश रखने वाले लोग इस बात को जानते हुए भी कि उनके अपनी मंजिल तक पहुंचने की कोई गारंटी नहीं है, फिर भी वह वहां पहुंचना चाहते हैं लेकिन क्यों। इसके पीछे वजह यह बताई जाती है कि इन लोगों में दुनिया के अपने पसंदीदा देश में रहने के लिए बड़ा आकर्षण होता है। वे खुद को एनआरआई कहलाना चाहते हैं।
कई कहानियां आई सामने
बहरहाल, हरियाणा के कई गांवों से अमित कुमार जैसी कहानियां सामने आ चुकी हैं। इनके बारे में भी आपको बताते हैं। हरियाणा के करनाल जिले के घोलपुरा गांव में कई युवक डंकी रूट से विदेश पहुंचकर अपना नुकसान करा चुके हैं।
गांव के रहने वाले उदय सिंह घोलिया 6 महीने तक पनामा के जंगलों से होते हुए मैक्सिको तक पैदल गए। नाव के जरिए उन्होंने अवैध रूप से मैक्सिको जाने की कोशिश की लेकिन सुरक्षा अफसरों ने उन्हें और उनके साथ 300 से ज्यादा लोगों को वापस भारत भेज दिया। अब वह हरियाणा में अपने गांव में गायों की देखभाल सहित घर के काम कर रहे हैं। ऐसी ही कहानी मुकेश कुमार की है। वह ऑस्ट्रिया के एक कैंप में 3 महीने तक रुके और फिर 3 महीने जेल में भी रहे। दिसंबर 2022 में वह वापस आ गए।
15 से 60 लाख तक किए खर्च
हैरानी की बात है कि इस सबके बाद भी इस गांव के बहुत सारे लड़के विदेश जाना चाहते हैं। इस गांव की जनसंख्या लगभग डेढ़ हजार है और यहां के 150 युवा विदेश जा चुके हैं। इनमें से लगभग 80% लोग डंकी रूट से गए हैं और इसके लिए उन्होंने स्थानीय एजेंट को 15 से 60 लाख रुपए तक दिए हैं। गांव का जब कोई युवा अमेरिका पहुंच जाता है तो गांव के लोग पटाखे फोड़ कर उसका स्वागत करते हैं।
पंजाब और हरियाणा में ऐसे कई युवाओं की कहानी सामने आ चुकी है जो डंकी रूट के जरिए अपने पसंदीदा देश पहुंचने के चक्कर में लाखों रुपए गंवाने के साथ ही कीमती वक्त का भी नुकसान कर चुके हैं। पंजाब और हरियाणा के अलावा गुजरात से भी लोग अब डंकी रूट के जरिए उस देश में जाना चाहते हैं, जहां रहना उनकी ख्वाहिश है।
लैटिन अमेरिका के देश पहुंचने की चाहत
भारत में सबसे पॉपुलर डंकी रूट के जरिए लोग लैटिन अमेरिका के किसी देश तक पहुंचना चाहते हैं। इक्वेडोर, बोलिविया और गुयाना जैसे देश भारतीयों को वीजा देते हैं और कुछ और देश जैसे- ब्राजील और वेनेजुएला टूरिस्ट वीजा देते हैं। लेकिन लैटिन अमेरिका के देशों तक पहुंचने के लिए लोग ‘एजेंट’ से संपर्क करते हैं और पहुंचने का रास्ता इस पर निर्भर करता है कि एजेंट के उन देशों में मानव तस्करी नेटवर्क से कैसे लिंक हैं।
कुछ एजेंट दुबई से सीधे मैक्सिको का वीजा दिला देते हैं लेकिन मैक्सिको पहुंचने पर सबसे ज्यादा खतरा गिरफ्तार होने का रहता है इसलिए ज्यादातर एजेंट अपने क्लाइंट्स को किसी लैटिन अमेरिका देश में उतारते हैं। फिर उन्हें कोलंबिया ले जाते हैं। कोलंबिया से उन्हें पनामा के जंगलों में ले जाया जाता है और इस दौरान उन्हें डारियन गैप नाम का एक खतरनाक जंगल पार करना होता है।
जंगल में होती है लूटपाट और रेप की घटनाएं
इस जंगल में पानी की कमी तो है ही, जंगली जानवरों और क्रिमिनल गैंग्स का भी खतरा है। विदेश पहुंचने का सपना रखने वाले लोग इस रास्ते पर लूटपाट का शिकार होते हैं और यहां रेप की भी घटनाएं होती हैं। लेकिन इन घटनाओं की कोई रिपोर्ट नहीं होती है और अपराध करने वालों को सजा भी नहीं मिलती है।
सब कुछ ठीक रहा तो 8 से 10 दिन में यह पूरा रास्ता पूरा हो जाता है लेकिन अगर किसी शख्स की मौत हो गई तो उसका शव अंतिम संस्कार के लिए उसके घर तक नहीं भेजा जा सकता।
ग्वाटेमाला पहुंचने पर लोगों को तस्करों के हवाले कर दिया जाता है और इसके बाद वे उन्हें मैक्सिको और फिर अमेरिका की ओर ले जाते हैं।
अमेरिका और मैक्सिको के बीच 3,140 किलोमीटर लंबी सीमा है और इस पर तारबाड़ होती है। लोगों को इसे पार करना होता है। कई लोग रियो ग्रांडे नदी पार करने की कोशिश करते हैं। अवैध रूप से घुसने की कोशिश करने वाले ऐसे लोगों को अमेरिकी अधिकारी हिरासत में ले लेते हैं और फिर उन्हें शरणार्थी कैंपों में रखा जाता है।
जिस तरह लोग डंकी रूट के जरिए अमेरिका और मैक्सिको पहुंचते हैं, इसी तरह वे यूरोप के देशों में भी जाने लगे हैं।