दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के एक फैसले से आम आदमी पार्टी सरकार के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन को बड़ा झटका लगा है। उप राज्यपाल ने जैन के खिलाफ 7 करोड़ रुपए की रिश्वत लेने के आरोप में जांच की सिफारिश की है। यह मामला दिल्ली में सीसीटीवी लगाने में हो रही देरी से जुड़ा है।
बताना होगा कि सत्येंद्र जैन मनी लांड्रिंग के मामले में बीते साल फरवरी से जेल में हैं। वह दिल्ली सरकार में पीडब्ल्यूडी जैसा अहम विभाग संभालते थे और दिल्ली में पार्टी का प्रमुख चेहरा थे।
दिल्ली और पंजाब में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी पहले से ही कथित आबकारी घोटाले को लेकर बुरी तरह फंसी हुई है। इस मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया लंबे वक्त से जेल में हैं। पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह इसी कथित घोटाले को लेकर 6 महीने जेल की सजा काट चुके हैं।

आम आदमी पार्टी का कहना है कि कथित आबकारी घोटाले में एक भी पैसे की गड़बड़ी नहीं हुई है और बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार के इशारे पर जांच एजेंसियां उसके नेताओं को परेशान कर रही हैं।
ईडी ने केजरीवाल को बताया सरगना
दूसरी ओर, जांच एजेंसी ईडी सुप्रीम कोर्ट के सामने कह चुकी है कि अरविंद केजरीवाल कथित आबकारी घोटाले के मुख्य साजिशकर्ता और सरगना हैं। ईडी ने दावा किया है कि केजरीवाल अपने मंत्रियों और आम आदमी पार्टी के नेताओं के साथ मिले हुए थे और उन्होंने शराब नीति में शराब व्यवसायियों को फायदे दिए जाने के बदले रिश्वत की मांग की थी। ईडी ने इस मामले में मनीष सिसोदिया को भी मुख्य साजिशकर्ता बताया है।
ईडी के इस तरह के गंभीर आरोपों के बाद निश्चित रूप से आम आदमी पार्टी के लिए इस मामले में कानूनी लड़ाई लड़ना मुश्किल साबित हो रहा है।
दिल्ली जल बोर्ड के कथित घोटाले को लेकर भी मुश्किल
इसके अलावा दिल्ली जल बोर्ड में हुए कथित घोटाले को लेकर भी जांच एजेंसी ईडी लगातार छापेमारी कर रही है। इस मामले में दिल्ली सरकार की एंटी करप्शन ब्रांच ने आरोप लगाया है कि राष्ट्रीय राजधानी में 10 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के अपग्रेडेशन को लेकर 1943 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है। जांच एजेंसी ईडी ने इस साल अप्रैल में कहा था कि कथित दिल्ली जल बोर्ड के घोटाले में जो रिश्वत ली गई है उसका पैसा आम आदमी पार्टी के चुनाव प्रचार में इस्तेमाल किया गया है।
एजेंसी ने आरोप लगाया था कि दिल्ली जल बोर्ड के पूर्व मुख्य इंजीनियर जगदीश कुमार अरोड़ा ने रिश्वत के रूप में लिए गए दो करोड़ रुपए बोर्ड में काम करने वाले अपने सहयोगियों और आम आदमी पार्टी को चुनाव फंड के रूप में दिए थे।
आम आदमी पार्टी को ऐसी उम्मीद थी कि अरविंद केजरीवाल को जेल में डाले जाने की वजह से उसे दिल्ली और पंजाब में सहानुभूति का फायदा मिलेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

लोकसभा चुनाव में आप को नहीं मिला साथ
लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को जमानत दी थी और केजरीवाल ने दिल्ली और पंजाब में पार्टी के उम्मीदवारों के पक्ष में खुलकर चुनाव प्रचार किया था। केजरीवाल ने जनता से आम आदमी पार्टी के लिए जोरदार समर्थन मांगा था लेकिन इसका कोई खास असर नहीं दिखाई दिया।
दिल्ली में पार्टी ने कांग्रेस के साथ मिलकर चार सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन उसे एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई। जबकि 13 लोकसभा सीटों वाले पंजाब में उसने अकेले चुनाव लड़ा और यहां वह सिर्फ तीन सीटें ही जीत सकी।
पंजाब के विधानसभा चुनाव में मिली प्रचंड जीत के मुकाबले आम आदमी पार्टी का यह प्रदर्शन खराब माना जा रहा है।
2024 लोकसभा चुनाव में पंजाब के नतीजे
राजनीतिक दल | मिली सीटें |
आप | 3 |
कांग्रेस | 7 |
बीजेपी | 0 |
शिअद | 1 |
निर्दलीय | 2 |
मालीवाल के मारपीट प्रकरण से मुश्किल में पार्टी
आम आदमी पार्टी के सामने एक मुश्किल पार्टी के भीतर हो रहे कुछ घटनाक्रम भी हैं। पार्टी की राज्यसभा सांसद और दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने अरविंद केजरीवाल के पीए विभव कुमार पर मुख्यमंत्री आवास के भीतर मारपीट के आरोप लगाए थे। इस मामले में पार्टी दो धड़ों में बंट गई थी।
स्वाति मालीवाल ने मारपीट के प्रकरण को लेकर पार्टी के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया था। स्वाति मालीवाल पार्टी का प्रमुख चेहरा हैं और मारपीट के इस प्रकरण को मालीवाल और बीजेपी ने जिस तरह बड़े पैमाने पर उठाया है, उससे पार्टी को जवाब देना भारी पड़ रहा है।
दिल्ली में कुछ ही महीनों के भीतर विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। आम आदमी पार्टी यहां तीन बार लगातार सरकार बना चुकी है। पिछले दो चुनाव में उसका प्रदर्शन जबरदस्त रहा है।
साल | बीजेपी को मिली सीटें | आप को मिली सीटें | कांग्रेस को मिली सीटें |
2013 विधानसभा चुनाव (70 सीटें) | 31 | 28 | 8 |
2014 लोकसभा चुनाव (7 सीटें) | 7 | 0 | 0 |
2015 विधानसभा चुनाव (70 सीटें) | 3 | 67 | 0 |
2019 लोकसभा चुनाव (7 सीटें) | 7 | 0 | 0 |
2020 विधानसभा चुनाव (70 सीटें) | 8 | 62 | 0 |
2024 लोकसभा चुनाव (7 सीटें) | 7 | 0 | 0 |
राष्ट्रीय पार्टी के दर्जे पर भी संकट?
अगर दिल्ली में विधानसभा चुनाव के नतीजे पार्टी के लिए मनमुताबिक नहीं रहते हैं तो आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय पार्टी के दर्जे पर भी संकट खड़ा हो सकता है क्योंकि आम आदमी पार्टी को जब राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला था तो इसके पीछे आधार दिल्ली, गोवा, पंजाब और गुजरात में किया गया उसका प्रदर्शन था।
अगर दिल्ली में पार्टी का प्रदर्शन खराब होता है तो उसके लिए राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा बरकरार रख पाना आसान नहीं होगा।
पिछले तीन चुनाव में दिल्ली की सभी सातों लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज करने वाली बीजेपी इस बार किसी भी सूरत में विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करना चाहती है। दिल्ली से लगे राज्य हरियाणा में बीजेपी को पांच सीटों का नुकसान हुआ है जबकि दिल्ली के चुनाव नतीजे बताते हैं कि दिल्ली में बीजेपी के खिलाफ ऐसी कोई नाराजगी नहीं दिखाई दी है। तीसरी बार सभी सातों सीटें जीतने के बाद बीजेपी पूरे दमखम के साथ चुनाव मैदान में उतरने को तैयार है।

कौन संभालेगा पार्टी की कमान?
अगर, अगले कुछ महीनों में अरविंद केजरीवाल जेल से बाहर नहीं आते हैं तो इससे सवाल यह खड़ा होगा कि विधानसभा चुनाव में पार्टी की अगुवाई कौन करेगा। क्योंकि पिछले दो चुनाव में पार्टी को दिल्ली में जिस तरह की प्रचंड जीत मिली थी, उसके सूत्रधार अरविंद केजरीवाल ही थे।
ऐसे में निश्चित रूप से कानूनी मामलों और पॉलिटिकल फ्रंट पर आम आदमी पार्टी के सामने चुनौतियां ज्यादा हैं। देखना होगा कि पार्टी इन मुश्किलों का किस तरह मुकाबला करती है।