सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने कहा है कि दिल्ली सरकार का राज्य के प्रशासनिक अफसरों पर कंट्रोल होगा। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्णा मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की बेंच ने बहुमत से यह फैसला दिया है। बेंच ने अपने जजमेंट में कहा कि दिल्ली सरकार का प्रशासनिक अफसरों पर कंट्रोल होगा, भले ही सरकार ने उनका रिक्रूटमेंट ना किया हो।
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि जमीन, पुलिस और लॉ एंड ऑर्डर के अलावा बाकी सभी सभी मामलों में एलजी (उप राज्यपाल) दिल्ली सरकार का आदेश मानने को बाध्य होंगे।
बेंच ने क्या कहा?
संविधान पीठ ने अपने आदेश में कहा कि लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार का प्रशासनिक अफसरों पर कंट्रोल होना चाहिए। यदि एक चुनी गई सरकार को प्रशासनिक अफसरों को कंट्रोल करने और उन्हें जिम्मेदार ठहराने का अधिकार नहीं होगा तो विधायिका और जनता के प्रति जवाबदेही का कोई मतलब नहीं रह जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसले की क्या वजह बताई?
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने इस फैसले की वजह बताते हुए कहा कि दिल्ली के उपराज्यपाल, राष्ट्रपति द्वारा प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल प्रशासनिक तौर पर कर सकते हैं लेकिन कार्यकारी प्रशासन केवल उन मामलों तक ही विस्तारित हो सकता है जो विधान सभा के दायरे से बाहर है। लेकिन इसका मतलब संपूर्ण एनसीटी दिल्ली पर प्रशासन नहीं हो सकता है। अन्यथा, दिल्ली में एक अलग निर्वाचित सरकार होने का उद्देश्य व्यर्थ हो जाएगा।
चुनी गई सरकार का अफसरों पर कंट्रोल
बेंच ने कहा- लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार का अपने अधिकारियों पर नियंत्रण होगा। यदि लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को अपने अधिकारियों को नियंत्रित करने और उन्हें जवाबदेह ठहराने की अनुमति नहीं है, तो विधायिका और जनता के प्रति इसकी जिम्मेदारी कम हो जाती है। अगर अधिकारी सरकार को जवाब नहीं दे रहे हैं, तो सामूहिक जिम्मेदारी कम हो जाती है। यदि अधिकारियों को लगता है कि वे निर्वाचित सरकार से अछूते हैं, तो वे मानने लगते हैं कि उनकी जवाबदेही है ही नहीं।”
केंद्र अपने हाथ में न ले राज्यों का कानून
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में आगे एक और महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। कहा है कि संविधान की समवर्ती सूची के विषयों पर राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के पास कानून बनाने की शक्ति है, लेकिन यह मौजूदा केंद्रीय कानून के अधीन होगा। लेकिन यह सुनिश्चित करना होगा कि केंद्र सरकार, राज्यों का कानून अपने हाथ में न ले ले।
क्या कहता है Article 239AA का सब क्लॉज?
न्यायालय ने आगे कहा कि अनुच्छेद 239AA का उप-खंड (बी) स्पष्ट करता है कि संसद के पास तीन सूचियों में से किसी में भी एनसीटी से संबंधित किसी भी विषय पर कानून बनाने की शक्ति है। यदि विधान सभा द्वारा बनाए किसी कानून और केंद्र सरकार द्वारा बनाए कानून के बीच कोई विरोध है, तो जो पहले बना है, वो वॉइड हो जाएगा।
2018 में क्या कहा था?
सुप्रीम कोर्ट ने साल 2018 में अनुच्छेद 239AA के उप-खंड (बी) को परिभाषित किया था और तब कहा था कि दिल्ली के उपराज्यपाल, मंत्री समूह की राय अथवा सुझाव के बिना स्वतंत्रत तौर पर कोई फैसला नहीं ले सकते हैं।
