हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने रविवार को बड़ा ऐलान करते हुए कहा है कि राज्य की सरकार अब सभी 23 फसलों को एमएसपी पर खरीदेगी। अब तक राज्य सरकार 14 फसलों को एमएसपी पर खरीद रही थी।
सैनी ने किसानों के 133 करोड़ रुपए का कर्ज माफ करने का भी ऐलान किया है। सैनी के इन बड़े ऐलानों को विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है।
सीएम सैनी ने किसानों को साधने की मंशा से यह भी ऐलान किया कि हरियाणा के सभी किसानों को राज्य सरकार नए ट्यूबवेल कनेक्शन देगी और ट्रांसफार्मर बदलने पर हुआ खर्च भी राज्य सरकार वहन करेगी।
नायब सिंह सैनी हरियाणा बीजेपी की ओर से कुरुक्षेत्र में आयोजित ‘म्हारा हरियाणा नॉन स्टॉप हरियाणा’ विजय शंखनाद रैली के मौके पर उपस्थित पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे। बताना होगा कि सैनी को इस साल मार्च में मनोहर लाल खट्टर की जगह पर मुख्यमंत्री बनाया गया था। इससे पहले वह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और कुरुक्षेत्र के सांसद थे।
बीजेपी ने सैनी को ही विधानसभा चुनाव में पार्टी का चेहरा बनाया है।
नायब सिंह सैनी के इन बड़े ऐलानों के बाद यह सवाल हरियाणा की राजनीति में उठ रहा है कि क्या किसान अब बीजेपी का विरोध करना छोड़ देंगे? क्या वे शांत हो जाएंगे? क्योंकि लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी के उम्मीदवारों को किसानों के जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ा था। कई लोकसभा क्षेत्रों में बीजेपी उम्मीदवारों को इस वजह से चुनाव प्रचार में खासी मुश्किल हुई थी। ऐसा ही पंजाब में भी हुआ था।

सड़क पर उतरे थे हरियाणा के किसान
साल 2020 में जब कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब के किसान दिल्ली पहुंचे थे तो उन्हें हरियाणा के किसानों की ओर से जबरदस्त समर्थन मिला था। उस दौरान बीजेपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर सहित पार्टी के कई बड़े नेताओं को किसानों के गुस्से का शिकार होना पड़ा था। हालांकि मोदी सरकार ने बैकफुट पर आते हुए कृषि कानूनों को वापस ले लिया था लेकिन लोकसभा चुनाव के प्रचार में और नतीजों में किसानों का गुस्सा साफ दिखाई दिया था।
हरियाणा की किसान बेल्ट में आने वाली सीटों- सोनीपत, रोहतक, हिसार में बीजेपी हार गई थी। लोकसभा चुनाव में बीजेपी को पांच सीटें तो गंवानी ही पड़ी, वोट शेयर के मामले में भी उसे जबरदस्त नुकसान हुआ था।
बीजेपी ने गंवाई 5 लोकसभा सीटें
राजनीतिक दल | विधानसभा चुनाव 2014 में मिली सीट | लोकसभा चुनाव 2014 में मिली सीट | विधानसभा चुनाव 2019 में मिली सीट | लोकसभा चुनाव 2019 में मिली सीट | लोकसभा चुनाव 2024 में मिली सीट |
कांग्रेस | 15 | 1 | 31 | 0 | 5 |
बीजेपी | 47 | 7 | 40 | 10 | 5 |
वोट शेयर में कांग्रेस रही आगे
राजनीतिक दल | लोकसभा चुनाव 2019 में मिले वोट (प्रतिशत में) | लोकसभा चुनाव 2024 में मिले वोट (प्रतिशत में) |
कांग्रेस | 28.51 | 43.67 |
बीजेपी | 58.21 | 46.11 |
लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद से ही बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व और हरियाणा में पार्टी की सरकार और संगठन इस बात पर मंथन कर रहे थे कि किसानों की नाराजगी से कैसे निपटा जाए। क्योंकि किसान हरियाणा-पंजाब के शंभू बॉर्डर पर पिछले कई महीनों से डेरा डालकर बैठे हुए हैं और दिल्ली कूच की तैयारी में हैं।
राजनीति को प्रभावित करते हैं किसान
हरियाणा की राजनीति में किसानों का जबरदस्त असर है और कृषि कानूनों के खिलाफ चले आंदोलन में यह साफ दिखाई दिया था क्योंकि तब पूरा विपक्ष किसानों के समर्थन में आ खड़ा हुआ था। हरियाणा के ग्रामीण इलाकों की राजनीति में किसानों का जबरदस्त दखल है और यहां कोई भी राजनीतिक दल उनके समर्थन के बिना चुनाव नहीं जीत सकता।
लोकसभा चुनाव के नतीजों से पता चला था कि कांग्रेस ग्रामीण इलाकों में आगे रही है जबकि बीजेपी शहरी इलाकों में।
किसान लंबे समय से इस बात की मांग करते रहे हैं कि केंद्र सरकार एमएसपी पर कानूनी गारंटी दे और उनकी सभी फसलों को एमएसपी पर खरीदे। मुख्यमंत्री सैनी का कहना है कि हरियाणा की सरकार देश की अकेली ऐसी सरकार है जो किसानों की प्रत्येक फसल को एमएसपी पर खरीदने जा रही है।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी आने वाले दिनों में हरियाणा के सभी 90 हलकों में ‘म्हारा हरियाणा नॉन स्टॉप हरियाणा’ के तहत विजय शंखनाद रैलियां करेंगे।

कांग्रेस को है किसानों का समर्थन मिलने की उम्मीद
दूसरी ओर, लोकसभा चुनाव के नतीजे से कांग्रेस बेहद उत्साहित है और वह इस बात का दावा कर रही है कि हरियाणा में अगली सरकार बनाने में कामयाब होगी। कांग्रेस हरियाणा के विधानसभा चुनाव में किसानों से भरपूर समर्थन मिलने की उम्मीद लगाए बैठी है लेकिन अब जब मुख्यमंत्री सैनी ने किसानों के लिए बड़े ऐलान कर दिए हैं तो देखना होगा कि क्या किसान बीजेपी का समर्थन करेंगे या नहीं?
हरियाणा में मुख्य चुनावी लड़ाई बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही है। हालांकि इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) और बसपा ने गठबंधन करके चुनाव मैदान में ताल ठोकी है। जननायक जनता पार्टी (जेजेपी), आम आदमी पार्टी, लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी के साथ ही कई अन्य पार्टियां भी चुनाव लड़ रही हैं।
कांग्रेस ने अकेले चुनाव मैदान में जाने का ऐलान किया है जबकि बीजेपी ने कहा है कि वह पूर्व मंत्री गोपाल कांडा की हलोपा (हरियाणा लोकहित पार्टी) के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ेगी।