अंकिता देशकर
जनसत्ता.कॉम को एक वीडियो मिला, जिसे व्हाट्सएप सहित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बड़े पैमाने पर प्रसारित किया जा रहा है। इस वीडियो के स्वामी विवेकानंद के दुर्लभ वीडियो होने का दावा किया गया था। इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी पड़ताल में इस दावे को झूठा पाया।
क्या हो रहा है वायरल?
कई सोशल मीडिया यूजर्स ने वीडियो को स्वामी विवेकानंद की एक दुर्लभ क्लिप होने का दावा किया।
जांच पड़ताल:
जनसत्ता.कॉम ने इनविड टूल का उपयोग कर अपनी खोज शुरू की। InVid टूल के इस्तेमाल से हमें कुछ स्क्रीनग्रैब्स मिले। इनमें से एक स्क्रीनग्रैब पर एक वॉटरमार्क मिला, जिसपर लिखा था, ‘MIRC@SCEDU’.
हमने इस वॉटरमार्क को गूगल सर्च के द्वारे खोजा। ऐसा करने पर हमें, यूनिवर्सिटी ऑफ़ साऊथ कैरोलिना के ‘मूविंग इमेज रिसर्च कलेक्शन’ का सेक्शन मिला।
https://sc.edu/about/offices_and_divisions/university_libraries/browse/mirc/index.php
हमने ‘स्वामी विवेकानंद’ शब्द का उपयोग करके संग्रहों में खोज की, लेकिन हमें वायरल वीडियो से मेल खाने वाला कोई परिणाम नहीं मिला।
फिर, हमने ‘स्वामी’ शब्द से सर्च किया। फिर हमें एक वीडियो मिला।
https://digital.tcl.sc.edu/digital/collection/MVTN/id/221/rec/1
इस नतीजे से हमें पता चला कि वायरल वीडियो ‘भारत के स्वामी योगानंद’ का है।
जांच के अगले चरण में हमने रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन (मुख्यालय), हावड़ा, पश्चिम बंगाल के अधिकारियों से संपर्क किया। उन्होंने पुष्टि की कि वायरल दावा झूठा है। अधिकारियों ने बताया कि स्वामी विवेकानंद का कोई वीडियो नहीं है। उनकी केवल ब्लैक एंड वाइट तस्वीरें ही उपलब्ध हैं।
रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन मुख्यालय ने हमें ई-मेल के माध्यम से भी बताया कि वीडियो में योगदा सत्संग सोसाइटी के संस्थापक परमहंस योगानंद हैं, स्वामी विवेकानंद नहीं।
निष्कर्ष
स्वामी विवेकानंद इनका बताकर व्हायरल किया जा रहा व्हिडिओ और दावा झूठा है. व्हायरल व्हिडिओ १९२३ में लिया गया स्वामी योगानन्द जी का वीडियो है।