चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस (रि.) संजय किशन कौल क्लासमेट थे। दोनों ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर से LLB की पढ़ाई साथ में ही की थी। दोनों छह साल एक साथ एक ही सेक्शन में रहे।
दिलचस्प यह है कि लॉ की पढ़ाई शुरू करने से पहले दोनों ने डीयू के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया था। जनसत्ता डॉट कॉम से बातचीत में कौल कहते हैं कि यह बहुत असामान्य बात थी क्योंकि हम इकोनॉमिक्स से गए थे। लोग स्टीफेंस से इकोनॉमिक्स करने के बाद एमबीए करने जाते थे या दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में जाते थे। हम 10 ऐसे लोग थे जो लॉ करने गए थे।
और कौन-कौन था क्लासमेट?
जस्टिस (रि.) कौल बताते हैं कि उनके क्लास में डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा अभिषेक मनु सिंघवी (वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता), पराग त्रिपाठी (वरिष्ठ वकील और भारत के पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल), रमन कपूर (सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील) और केपी कृष्णन (पूर्व आईएएस और सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च में प्रोफेसर) थे।
बहुत पढ़ाकू थे चंद्रचूड़- कौल
पूर्व जज संजय किशन कौल बताते हैं कि जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ बहुत पढ़ाकू छात्र थे। वह याद करते हैं, “उनके नोट्स हमेशा कंप्लीट रहते थे। वह बहुत डेडिकेटेड स्टूडेन्ट थे। मैं अलग-अलग चीजों में दिलचस्पी लेता था। मैं अलग तरह की पर्सनालिटी था। कभी राजनीति में चला जाता था, कभी थिएटर करने लगता था, बाकी काम भी कर लेता था।”
कौल आगे कहते हैं, “वैसे तो मैं क्लास रेगुलर लेता था। लेकिन जब राजनीति करने लगाता था तो क्लास छूट जाती थी। ऐसे में धनंजय साहब (डीवाई चंद्रचूड़) को यह काम किया दिया गया था कि वो नोट्स ठीक तरह से लें। ताकि हम उनसे नोट्स ले सकें। वह बहुत डिटेल नोट्स लेते थे।”
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जब चुनाव हार गए थे संजय किशन कौल
बता दें कि संजय चुनाव हार गए थे। जनसत्ता से बातचीत में उन्होंने कहा कि चुनाव जिस तरह से होता है, वह उसमें फिट नहीं हुए। उनका कहना था कि हार के कारणों में अलग सोच और उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि शामिल रहे थे। कौल का मानना था कि कॉलेज हड़ताल की जगह नहीं है, पढ़ाई बंद नहीं होनी चाहिए। पारिवारिक पृष्ठभूमि की बात करें तो संजय किशन कौल शाही परिवार से ताल्लुक रखते हैंं। उस जमाने (1976) में वह लाल हेराल्ड कार से कॉलेज आया करते थे। कौल का मानना है कि उनकी अमीरी को चुनावी राजनीति में सही नहीं माना गया।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने भी सुनाया था संजय किशन कौल का किस्सा
दूसरी तरफ कौल के फेयरवेल स्पीच में सीजेआई चंद्रचूड़ ने बताया था कि कॉलेज में संजय के नोट्स की बहुत डिमांड होती थी। चंद्रचूड़ ने कॉलेज के दिन को याद करते हुए कहा था, “लॉ कॉलेज में संजय अपने नोट्स को लेकर बहुत सावधान रहते थे। इनके नोट्स की बहुत डिमांड होती थी। लेकिन संजय अपने नोट्स की पूरी एक्सरसाइज बुक कभी किसी को नहीं देते थे। कोई नोट्स मांगता था तो पूछते थे कि किस दिन का नोट्स चाहिए। फिर उस दिन का पन्ना निकालकर दे देते थे। साथ में यह वादा भी ले लेते थे कि अगले दिन लौटाना है।”
चंद्रचूड़ ने बनाया था मेनिफेस्टो
कॉलेज में संजय किशन कौल ने छात्रसंघ का चुनाव भी लड़ा था। कौल के फेयरवेल स्पीच में सीजेआई चंद्रचूड़ ने याद करते हुए कहा था, “हम संजय के सपोर्टर हुआ करते थे। मुझे घोषणा पत्र बनाने का काम मिला था। हालांकि उस बीच संजय बहुत गंभीर रूप से दुर्घटनाग्रस्त हो गए थे। उस वक्त हम सोच रहे थे कि संजय को इस एक्सिडेंट की वजह से सिम्पथी वोट मिल जाएगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं।”