सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) के पिता वाईवी चंद्रचूड़ (Y.V. Chandrachud) भी CJI थे। वह भारत के 16वें मुख्य न्यायाधीश थे और उनके नाम बतौर CJI सबसे लंबे कार्यकाल (1978 से 1985) का रिकॉर्ड है। हालांकि तमाम व्यस्तताओं के बावजूद वाईवी चंद्रचूड़ अपने बेटे के लिए समय निकालना नहीं भूलते थे।
द वीक को दिए इंटरव्यू में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने बताया कि पिता के साथ उनकी कैसी बॉन्डिंग थी। जस्टिस चंद्रचूड़ कहते हैं, “वह एक मज़ेदार व्यक्ति थे। उन्हें स्पोर्ट्स का बहुत शौक था। मेरा बहुत ज्यादा गंभीर रहना, उन्हें पसंद नहीं था।… जैसे-जैसे समय बीतता गया, हम बहुत अच्छे दोस्त बन गये। वह बेहद खुले विचारों के थे। वह समय के साथ बदलने को तैयार थे। बड़े होने के बाद अगर किसी विषय पर मेरे दृष्टिकोण अलग होते थे और वह बात मैं उन्हें बताता था, तो वह उसे स्वीकार करने के लिए तैयार हो जाते थे। हमारा रिश्ता काफी हद तक समानता और दोस्ती का था।”
चंद्रचूड़ आगे बताते हैं, “मेरे पिता ने सीजेआई रहते हुए या उसके बाद भी, परिवार में एक बुजुर्ग के रूप में अपने पोजिशन को कभी बहुत अधिक महत्व नहीं दिया। यहां तक कि जब वह सीजेआई थे, तब भी उनके पास मेरे लिए समय होता था। वह दिन के आखिर में मेरे साथ बैठते थे और कॉलेज के बारे में पूछते थे। जब मैं सेंट स्टीफंस में था, तो उन्हें दोस्तों और टीचर्स के साथ हुई गपशप के बारे में बताता था।”
कानून की पढ़ाई के दौरान पिता से कुछ मिनट की बातचीत में बहुत कुछ सीखते थे
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ लॉ की पढ़ाई के दौरान का किस्सा बताते हुए कहते हैं, “अगर मैं कॉन्ट्रैक्ट लॉ के बारे में कुछ सीख रहा होता था और तब सुबह या शाम में उनके साथ कुछ मिनटों के लिए बैठ जाता था, तो वह उतनी ही देर में मेरे सामने कॉन्ट्रैक्ट लॉ का पूरा ब्रह्मांड खोलकर रख देते थे। इस लिहाज से वह परिवार से भी बहुत जुड़े हुए थे।”
मां के साथ प्यार का रिश्ता
मां के साथ अपने लगाव के बारे में बताते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ कहते हैं, “मेरी मां प्यार का रिश्ता रहा। बिना शर्त, सिर्फ प्यार। वह बहुत प्यारी थीं। लेकिन उन्हें अपनी मर्जी चलानी होती थी। वह परिवार की सबसे पावरफुल सदस्य थीं।”
बता दें कि जस्टिस चंद्रचूड़ के माता-पिता ने अरेंज मैरिज नहीं की थी। उनकी शादी 1943 में हुई। डीवाई चंद्रचूड़ बताते हैं, “उस समय परिवार के बड़ों द्वारा शादी तय न कर पाना बहुत बड़ी बात थी।”
पिता को डर का तबला वादक बन जाएंगे चंद्रचूड़
जस्टिस चंद्रचूड़ के माता-पिता दोनों को शास्त्रीय संगीत का ज्ञान था। जहां जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ ने गंधर्व महाविद्यालय में संगीत सीखा था। वहीं मां प्रभा प्रतिष्ठित शास्त्रीय गायक किशोरी अमोनकर की शिष्या थीं। घर के इस माहौल ने डीवाई चंद्रचूड़ को भी संगीत के करीब ला दिया। उन्होंने बचपन में हारमोनियम और तबला बजाना सीखा। वह तबला इतना अच्छा बजाने लगे थे कि पिता को डर लगने लगा था कि कहीं उनका बेटा तबला वादक न बन जाए। विस्तार से पढ़ें- पिता को डर था कहीं तबला बजाने वाले न बन जाएं डीवाई चंद्रचूड़, संगीत सुनकर बहुत रोते थे CJI
