भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) के पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ (YV Chandrachud) सुप्रीम कोर्ट के 16वें मुख्य न्यायाधीश थे। वाईवी चंद्रचूड़ के नाम सबसे लंबे समय तक CJI रहने का रिकॉर्ड है। उन्होंने 22 फरवरी, 1978 को CJI का पद ग्रहण किया था और करीब 13 साल बाद 11 जुलाई, 1985 को सेवानिवृत्त हुए थे।

हाल में राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी के पूर्व निदेशक और प्रोफेसर एमेरिटस डॉ. बलराम के. गुप्ता ने इंडियन एक्सप्रेस में वाईवी चंद्रचूड़ से जुड़ी दिलचस्प बातें लिखी हैं। डॉ. गुप्ता के मुताबिक, “पूर्व सीजेआई जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ के परिवार में परंपरा थी कि सुबह की चाय परिवार का मुखिया बनाता था। सीजेआई रहते हुए भी जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ ऐसा करते थे। आश्चर्य होता है आज भी वही परंपरा जारी रखी गई है।”

अपनी पत्नी का सहारा थे वाईवी चंद्रचूड़!

साल 2017 की बात है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (अब CJI) 2017 में फैमिली कोर्ट वर्कशॉप का उद्घाटन करने के लिए चंडीगढ़ न्यायिक अकादमी गए थे। वहां उन्होंने अपनी मां और पिता से जुड़ा एक किस्सा सुनाया था। उन्होंने बताया कि उनकी मां को चलने में कठिनाई होती थी। जब उन्होंने अपने पिता से पूछा कि वह उनके लिए छड़ी क्यों नहीं लाते, तो वाईवी चंद्रचूड़ ने जवाब दिया-  जब तक उसके पास मेरा हाथ और मेरा कंधा है, उसे छड़ी की जरूरत नहीं है।

मेरा ऑक्सफोर्ड नूतन मराठी विद्यालय था- वाईवी चंद्रचूड़

डॉ. बलराम के. गुप्ता ने न्यायमूर्ति एमसी चागला से जुड़ा भी एक किस्सा सुनाया है, जिसमें वाईवी चंद्रचूड़ ने चागला की अंग्रेजी की तारीफ की थी। न्यायमूर्ति एमसी चागला 15 अगस्त, 1947 से सितंबर, 1958 तक बॉम्बे उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे।

जस्टिस चागला की तारीफ करते हुए उनके विदाई भाषण में सरकारी वकील वाईवी चंद्रचूड़ (जैसा कि वह तब थे) ने कहा: “जब आप उन निर्णयों को पढ़ते हैं, तो आपको लगता है कि आप कानून और साहित्य की शादी का जश्न मनाने के लिए एक स्वागत समारोह में हैं।’

न्यायमूर्ति वाईवी चंद्रचूड़ की अंग्रेजी भी बहुत अच्छी थी। लोग उनसे अक्सर पूछते थे कि आपने ऑक्सफोर्ड में कब पढ़ाई की। वह कहते थे कि उनका ऑक्सफोर्ड नूतन मराठी विद्यालय था। इसी स्कूल से वाईवी चंद्रचूड़ ने मराठी माध्यम में पढ़ाई की थी। उन्होंने कक्षा सात में अंग्रेजी भाषा सीखनी शुरू की थी। बाद में वह न्यायिक गद्य के विशेषज्ञ माने गए।

डीवाई चंद्रचूड़ और उनके पिता के बीच था दोस्ताना रिश्ता

द वीक को दिए इंटरव्यू में CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने बताया था कि पिता के साथ उनका दोस्ताना रिश्ता था। वर्तमान सीजेआई के पिता मुताबिक उनके पिता मजेदार व्यक्ति थे, जिन्हें अपने बेटे का ज्यादा गंभीर रहना पसंद नहीं था। परिवार में एक बुजुर्ग के रूप में वह अपनी पोजिशन को बहुत अधिक अहमियत नहीं देते थे। डीवाई चंद्रचूड़ उनसे अपने कॉलेज के किस्से शेयर किया करते थे। खुले विचारों का होने की वजह से वह अपने बेटे के अलग दृष्टिकोण को भी स्वीकार करते थे। (विस्तार से पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें)

बॉम्बे हाईकोर्ट छोड़ सुप्रीम कोर्ट आने को नहीं थे वाईवी चंद्रचूड़

बॉम्बे हाईकोर्ट में बतौर परमानेंट जज वाईवी चंद्रचूड़ 1961 से 1972 तक रहे थे। मूल रूप से महाराष्ट्र के रहने वाले वाईवी चंद्रचूड़ बॉम्बे हाईकोर्ट छोड़कर सुप्रीम कोर्ट (दिल्ली) नहीं आना चाहते थे। वह बॉम्बे हाईकोर्ट में ही चीफ जस्टिस बनना चाहते थे। वाईवी चंद्रचूड़ के पोते और एडवोकेट अभिनव चंद्रचूड़ ने अपनी किताब ‘Supreme Whispers’ में अपने दादा से जुड़े किस्सों का जिक्र किया है।

किताब के मुताबिक, साल 1972 में जब जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ को सुप्रीम कोर्ट की जजशिप ऑफर हुई, तो न वह न उनकी पत्नी को दिल्ली जाने की इच्छा थी। वह बॉम्बे हाईकोर्ट को ही देश के सबसे प्रतिष्ठित कोर्ट मानते थे। हालांकि बाद में उन्होंने ऑफर स्वीकार कर लिया। (विस्तार से पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें)