देश के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ बहुत ही आध्यात्मिक व्यक्ति हैं। वह खूब ध्यान और योग करते हैं। उन्हें यह आध्यात्मिक स्वभाव विरासत में मिली है। दरअसल, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के पिता और पूर्व CJI वाईवी चंद्रचूड़ भी बहुत ही आध्यात्मिक थे। बकौल जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ उनके पिता जिंदा ही मेडिटेशन की वजह से रहे।
द वीक की अंजुली मथाई को दिए एक इंटरव्यू में भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने बताया है, “मैं बहुत आध्यात्मिक हूं। मेरे पिता भी आध्यात्मिक थे। वे ध्यान करते थे। उन्हें नींद न आने की गंभीर बीमारी थी। उन्हें कई-कई दिनों तक नींद नहीं आती थी। वह केवल मेडिटेशन की वजह से ही जीवित रहते थे।”
पिता के लाइफस्टाइल देखकर बेटे का नाम रखा चिंतन
डीवाई चंद्रचूड़ बताते हैं कि मैंने अपने पिता के मेडिटेशन लाइफ को स्वीकार करते हुए अपने छोटे बेटे का नाम चिंतन रखा, क्योंकि चिंता का मतलब होता है प्रतिबिंब।
बता दें कि डीवाई चंद्रचूड़ के दो बेटे हैं- अभिनव और चिंतन। दोनों वकील हैं। अभिनव मुंबई में प्रैक्टिस करते हैं। उन्होंने कई चर्चित किताबें (सुप्रीम व्हिसपर्स, रिपब्लिक ऑफ रिलीजन) भी लिखी हैं। वहीं चिंतन लंदन में वकालत करते हैं। डीवाई चंद्रचूड़ के पिता वाईवी चंद्रचूड़ भारत के 16वें मुख्य न्यायाधीश थे। उनके नाम सबसे लंबे समय तक सीजेआई रहने का रिकॉर्ड है।
90 वर्ष के हैं चंद्रचूड़ के योगा टीचर
पुणे में चंद्रचूड़ के एक अद्भुत योग शिक्षक हैं। वह अब 90 वर्ष के हैं। चंद्रचूड़ बताते हैं, “वह (योगा टीचर) मुझसे हमेशा कहते थे, ‘मैं योग को व्यायाम के रूप में सिखाने के लिए आया हूं। आप अपने आध्यात्मिक विकास के संदर्भ में योग से जो हासिल करते हैं वह व्यक्तिगत रूप से आपके लिए है। मैं तुम्हें योग के भौतिक पहलू सिखाऊंगा, लेकिन यह सुनिश्चित कर लो कि इसके अलावा भी कुछ है।’ मैं उसे कभी नहीं भूला। एक इंसान के रूप में योग मेरे अपने आध्यात्मिक विकास का एक बहुत महत्वपूर्ण स्रोत रहा है।”
प्रार्थना किए बिना घर से नहीं निकलते जस्टिस चंद्रचूड़
चंद्रचूड़ प्रार्थना करने में अपना काफी समय बिताते हैं। वह कभी बिना प्रार्थना किए घर से नहीं निकलते हैं। इंटरव्यू में चंद्रचूड़ बताते हैं, “मैं हर दिन प्रार्थना में काफी समय बिताता हूं। मैं प्रार्थना किए बिना घर से नहीं निकलता। संभवतः इसका कारण मेरी अपनी पृष्ठभूमि है – मेरी पूर्व पत्नी का कैंसर के कारण निधन हो गया। वह करीब एक दशक से कैंसर की मरीज थीं। हम अपने बच्चों को पालने की कोशिश कर रहे थे जो बहुत छोटे थे, इसलिए मुझे अपने दिमाग में चल रहे सभी बातों को बाहर लाने की ज़रूरत होती थी। मुझे लगता है कि धर्म ने मुझे आंतरिक शक्ति की भावना दी है।”
चंद्रचूड़ आगे कहते हैं, “एक वकील और न्यायाधीश के रूप में भी प्रार्थना ने मेरे जीवन में मदद की है। अधिकांश वकील और जज को अपना काम लोगों की भीड़ के बीच करना होता है। हमारी अदालतों में बहुत भीड़ है। मुकदमों की भरमार है। न्यायाधीश के रूप में अपना काम संभालने के लिए आपको भावनात्मक रूप से स्थिर होना होगा। एक न्यायाधीश के रूप में आपको निर्णय लेना होता है, इसलिए आप कॉन्फ्लिक्ट का पार्ट नहीं बन सकते। आपको इससे दूर रहना होता है। यही वजह है कि कई मायनों में मैं सुबह-सुबह एकांत में जो समय बिताता हूं, वह मुझे पूरे दिन के लिए शांति का एहसास देता है।”
पहली पत्नी का नाम रश्मि था
जस्टिस चंद्रचूड़ की पहली पत्नी का नाम रश्मि था। साल 2007 में कैंसर के कारण उनका निधन हो गया था। अभिनव और चिंतन की बायोलॉजिकल मदर रश्मि ही थीं। पहली पत्नी के निधन के कुछ साल बाद डीवाई चंद्रचूड़ ने कल्पना दास से शादी की। कल्पना भी पेशे से वकील हैं और पूर्व में ब्रिटिश काउंसिल के साथ काम कर चुकी हैं।

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