चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड (CJI DY Chandrachud) की बेंच ने एक ऐसा फैसला सुनाया है, जिसके मुरीद कानून मंत्री किरण रिजिजू (Kiren Rijiju) भी हो गए हैं। मामला उत्तराखंड ज्यूडिशियल सर्विस सिविल जज की परीक्षा से जुड़ा है। ‘राइटर्स क्रैंप’ बीमारी से जूझ रहे एक अभ्यर्थी ने प्री एग्जामिनेशन परीक्षा के लिए स्क्राइब की मांग की थी लेकिन आयोग ने यह मांग ठुकरा दी थी।

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मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंचा तो महज कुछ घंटों के भीतर उच्चतम न्यायालय ने उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (UKPSC) को फौरन अभ्यर्थी को स्क्राइब उपलब्ध कराने का आदेश दिया।

क्या है पूरा मामला?

अभ्यर्थी ने अपनी याचिका में बताया था कि वह ‘राइटर्स क्रैंप’ नाम की बीमारी से जूझ रहा है। यह एक तरीके का न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसमें हथेली और उंगलियां ढंग से काम नहीं कर पातीं। अभ्यर्थी को एम्स, नई दिल्ली ने सर्टिफिकेट भी जारी किया था कि उसे परीक्षा में स्क्राइब और अतिरिक्त समय मिलना चाहिए, लेकिन उत्तराखंड पब्लिक सर्विस कमीशन ने अभ्यर्थी की मांग ठुकरा दी।

अभ्यर्थी ने अपनी याचिका में दलील दी कि यदि उसे स्क्राइब की सुविधा नहीं मिली तो परीक्षा छूट जाएगी। यह भी बताया कि इससे पहले साल 2020 में वह हरियाणा सिविल सर्विसेज की परीक्षा में शामिल हुआ था और तब उसे स्क्राइब की सुविधा मिली थी।

CJI ने 12 घंटे के अंदर सुनाया फैसला

अभ्यर्थी के वकील नमित सक्सेना ने ट्वीट कर बताया कि परीक्षा 30 अप्रैल को थी। उन्होंने परीक्षा से ठीक पहले रात 11:30 बजे सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। अगले दिन सुबह 10:15 बजे बजे उन्हें डायरी नंबर मिला और 15 मिनट बाद 10:30 बजे चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा के सामने मामला मेंशन हुआ। सीजेआई चंद्रचूड़ ने फौरन मामले पर सुनवाई करते हुए अभ्यर्थी की सारी दलील सुनी और अंतरिम आदेश जारी कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि उत्तराखंड लोकसेवा आयोग के एक फैसले से अभ्यर्थी का पूरा करियर अधर में लटक जाएगा और उसे स्क्राइब मुहैया न कराना संविधान में दिए गए मूलभूत अधिकारों का हनन है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में ‘विकास कुमार वर्सेज यूपीएससी व अन्य (Vikash Kumar v. Union Public Service Commission & Ors) मामले का हवाला देते हुए उत्तराखंड पब्लिक सर्विस कमीशन को आदेश दिया कि अभ्यर्थी को फौरन स्क्राइब मुहैया कराया जाए।

कानून मंत्री रिजिजू भी हुए सीजेआई चंद्रचूड़ के मुरीद

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ के इस फैसले के कानून मंत्री किरण रिजिजू भी मुरीद हो गए। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, ‘माननीय चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का यह फैसला दिल को छू लेने वाला है। उत्तराखंड न्यायिक सेवा परीक्षा के लिए स्क्राइब की मांग करने वाले एक दिव्यांग उम्मीदवार को बड़ी राहत मिली है। एम्स ने उसे डिसेबिलिटी का सर्टिफिकेट दिया था। एक योग्य व्यक्ति को समय पर न्याय मिलना बहुत संतोषजनक है।

अर्जेंट मैटर के लिए ओरल मेंशनिंग की शुरुआत

सीजेआई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जेंट मैटर्स पर जल्द से जल्द सुनवाई के लिए पिछले दिनों ओरल मेंशनिंग को भी मंजूरी दी थी। जस्टिस चंद्रचूड़ हर दिन सुबह सबसे पहले केसेज की मेंशनिंग देखते हैं। उन्होंने बताया था कि प्रतिदिन करीब 100 मामले मेंशनिंग के लिए आते हैं। कई बार संख्या 120 तक पहुंच जाती है। इस दौरान प्राथमिकता होती है कि अर्जेंट मैटर पर जल्द से जल्द सुनवाई की तारीख मिले।

सीजेआई ने कहा था- अर्जेंट मैटर पर जल्द होगी सुनवाई

सीजेआई चंद्रचूड़ लगातार कहते रहे हैं कि यदि आपके साथ कोई अन्याय हो रहा है तो आपकी आवाज अनसुनी नहीं जाएगी। सीजेआई ने कहा था कि मैं बार को कहना चाहता हूं कि यदि आपका कोई मामला बहुत अर्जेंट है तो उसे जल्द से जल्द लिस्ट किया जाएगा और उस पर सुनवाई होगी। हम हर दिन सुबह मेंशनिंग में जो आधे घंटे का वक्त देते हैं, उसके जरिए देश की जनता को भी संदेश देना चाहते हैं कि यदि आपके साथ कोई अन्याय हो रहा है…आपका घर गिराया जा रहा है या गैर-कानूनी रूप से गिरफ्तारी हो रही है तो कोई है, जो आपकी आवाज सुन रहा है। आपकी आवाज अनसुनी नहीं जाएगी।