सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 24 अप्रैल को तेलंगाना हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें सांसद वाईएस अविनाश रेड्डी (Y. S. Avinash Reddy) से पूछताछ के लिए सीबीआई पर कई तरह की बंदिशें लगाई थीं। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) की अगुवाई वाली बेंच हाईकोर्ट के फैसले पर इतना नाराज हुई कि यहां तक कह दिया कि अगर यही हालत है तो सीबीआई की जरूरत ही क्या है? जांच एजेंसी पर ताला लगा देना चाहिए।

दरअसल हाईकोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया था कि वाईएस अविनाश रेड्डी से पूछताछ से पहले उन्हें सारे सवाल लिखित में दें और पूछताछ की रिकॉर्डिंग भी करें। मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट का ऐसा फैसला अपराधिक न्याय शास्त्र के पुनर्लेखन जैसा है।

यही नौबत है तो सीबीआई को बंद कर दीजिए

मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने तीखी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि अगर जांच का यह स्टैंडर्ड है तो सीबीआई को बंद कर देना चाहिए। सोचिए अगर दूसरे आरोपी भी यही उदाहरण देने लगें तो क्या होगा? पहले एंटीसिपेटरी बेल और अब सीबीआई से क्वेश्चनेयर मांगना…। यह तो ऐसा है जैसे आपराधिक न्याय शास्त्र का पुनर्लेखन किया जा रहा। हो सकता है सीबीआई आप को गिरफ्तार करे या ना करे, लेकिन यह कोई तरीका नहीं है। अगर यही बेंच मार्क है तब तो सीबीआई और ईडी की हर जांच में लिखित क्वेश्चनेयर होना चाहिए। फिर हमें सीबीआई की जरूरत ही क्या है?

हाईकोर्ट पर CJI की तीखी टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हमारा मानना है कि हाईकोर्ट ने खुद को गलत तरीके से पेश करते हुए एक असाधारण आदेश पारित किया। इस तरह के आदेश, जांच को प्रभावित करते हैं। खासकर ऐसी परिस्थिति में जब सीबीआई यह पता लगा रही है कि अभियुक्तों की भूमिका क्या है। हाईकोर्ट का ऐसा निर्देश बिल्कुल अनुचित था।

सुनवाई के दौरान सीजेआई ने आगे कहा, ‘हाईकोर्ट का आदेश देखकर हम वास्तव में परेशान थे। अगर सीबीआई को गिरफ्तार करना होता तो पहले कर लेती लेकिन एजेंसी बहुत सावधानी से कदम उठा रही है’।

पिछली सुनवाई पर भी लगाई थी फटकार

आपको बता दें कि इससे पहले पिछले शुक्रवार (21 अप्रैल) को सुनवाई के दौरान भी चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने हाईकोर्ट के फैसले पर कड़ी नाराजगी जाहिर की थी और पूछा था कि यह किस तरह का आदेश है? इसे कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता है।

क्या है पूरा मामला?

वाईएस अविनाश रेडी आंध्र प्रदेश के चीफ मिनिस्टर वाईएस जगन मोहन रेड्डी के चचेरे भाई हैं। उनके खिलाफ वाईएस विवेकानंद रेड्डी मर्डर केस में जांच चल रही है। इसी मामले में उन्होंने हाईकोर्ट के सामने बेल के एप्लीकेशन लगाई थी। बाद में मृतक की बेटी सुनीता रेड्डी ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी और अपनी अर्जी में कहा था कि हाईकोर्ट के फैसले के चलते पूरी जांच पटरी से उतर गई।

आरोपी सांसद ने जांच एजेंसी का कभी सहयोग ही नहीं किया। 24 अप्रैल को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अर्जी को डिस्पोज कर दिया। अब हाईकोर्ट में आरोपी के प्री अरेस्ट बेल पर सुनवाई होगी।

क्या है विवेकानंद रेड्डी मर्डर केस?

वाईएस विवेकानंद रेड्डी आंध्र प्रदेश के सीएम वाईएस जगन मोहन रेड्डी के रिश्ते में चाचा लगते थे। 15 मार्च 2019 को उनकी बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। कडप्पा लोकसभा क्षेत्र से सांसद रहे रेड्डी की उनके घर में ही गोद कर हत्या की गई थी। पहले दावा किया गया कि रेड्डी की मौत हार्ट अटैक से हुई, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट से मर्डर का खुलासा हुआ। आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी के छोटे भाई विवेकानंद रेड्डी एग्रीकल्चर साइंस में ग्रेजुएट थे और विधायक भी रहे थे।

Srinivasulu Reddy
ऐसा है रेड्डी परिवार

सुसाइड कर चुका है एक आरोपी

इस मर्डर केस के एक प्रमुख आरोपी श्रीनिवासुलू रेड्डी (Srinivasulu Reddy) ने कथित तौर पर अपनी जान दे दी थी। जून 2021 में सीबीआई ने इस मामले की जांच शुरू की थी। धीरे-धीरे जांच का घेरा वाईएस अविनाश रेड्डी और उनके परिवार तक पहुंचा। सीबीआई ने 16 अप्रैल को ही अविनाश रेड्डी के पिता वाईएस भास्कर रेड्डी को इस मामले में गिरफ्तार किया था।

कौन हैं वाईएस अविनाश रेड्डी?

वाईएस अविनाश रेड्डी आंध्र प्रदेश के कडप्पा से सांसद हैं और रिश्ते में सीएम के भतीजे लगते हैं। अविनाश रेड्डी ने चेन्नई के सेंट जोसेफ कॉलेज से बीटेक की पढ़ाई की है। इसके बाद इंग्लैंड से एमबीए की डिग्री हासिल की। अविनाश रेड्डी उसी सीट से सांसद हैं, जहां से कभी विवेकानंद रेड्डी लोकसभा पहुंचे थे।