कुछ महीने बाद छत्तीसगढ़ में विधानसभा के चुनाव हैं। सत्ताधारी कांग्रेस के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि बीते पांच सालों में उन्होंने जनता के विकास के जो काम किए हैं, उन्हें लेकर वह जनता के बीच जाएंगे। 18 सितंबर (सोमवार), 2023 को रायपुर में मुख्यमंत्री ने इंडियन एक्सप्रेस ऑनलाइन मीडिया सर्विसेज के कार्यक्रम ‘जनसत्ता मंथन’ में यह बात कही। साथ ही, उन कामों को भी गिनाया, जो बीते पांच सालों में उनकी सरकार ने किए हैं। सीएम ने जनसत्ता डॉट कॉम के संपादक विजय कुमार झा के सवालों का जवाब देते हुए बताया कि उन्होंने छत्तीसगढ़ के विकास के लिए क्या किया है। बातचीत के दौरान उन्होंने राज्य में नक्सल आंदोलन के पनपने का कारण भी बताया।
छत्तीसगढ़ जल-जंगल-जमीन वाला राज्य है। वहां की एक तिहाई आबादी आदिवासी है। इस तरह के भौगोलिक और सामाजिक स्थिति वाले राज्य में विकास करना अधिक चुनौतीपूर्ण होता है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से सवाल था कि वह राज्य के आदिवासियों के विकास के लिए क्या कर रहे हैं?
मुख्यमंत्री ने बताया, “जनता के सवालों के हल न ढूंढ़ने के कारण ही राज्य में नक्सलवाद पनपा। हमारी सरकार बनने के बाद सबसे पहले न सिर्फ किसानों का लोन (ऋण) माफ किया। बल्कि उनकी उपज की खरीदी की भी व्यवस्था की। इसके साथ ही लोहंडीगुड़ा में उद्योग लगाने के लिए जो जमीन खरीदी गई थी, वो जमीन हमने आदिवासियों को वापस करने का फैसला लिया। यह देश ही नहीं दुनिया का पहला ऐसा मामला है, जहां आदिवासियों से ली गई जमीन वापस को किया गया। इस पहल से आदिवासी आश्चर्यचकित थे कि सरकार उनके बारे में इतना सोच रही है।”
आदिवासियों और किसानों के कल्याण को लेकर किए कामों का गिनवाते हुए मुख्यमंत्री बघेल ने बताया कि कैसे पहले 40 प्रतिशत वन क्षेत्र वाले छत्तीसगढ़ सात प्रकार के ही लघु वनोपज खरीदे जाते थे। लेकिन उनकी सरकार 67 प्रकार के लघु वनोपज खरीद रही है।
सीएम बघेल ने आगे बताया, “हमने फॉरेस्ट राइट एक्ट के तहत आदिवासियों को पट्टे दिए। बहुत से पुराने आवेदन थे, उनकी समीक्षा की। बहुत ऐसे लोग थे, जिनका कब्जा दो एकड़ था, जबकि उन्हें पट्टा आधा एकड़ का मिला था। तो इसे ठीक किया। हमने व्यक्तिगत और सामुदायिक दोनों तरह के दावों का निपटान किया। इसके अलावा वन संसाधन अधिकार भी दिया। पहले तेंदूपत्ता ढ़ाई हजार प्रति मानक बोरा के दर से खरीदी जाती थी। अब चार हजार मानक बोरा के दर से खरीदी जाती है। कुल मिलाकर हमने जंगल में आदिवासियों के अधिकार सुरक्षित किए।
1996 में कानून बना था, नियम हमने बनाया
सीएम ने बताया कि पेसा कानून 1996 में बन गया था। लेकिन नियम नहीं बने थे। हमने नियम बनाने का काम किया। हमसे पहले सिर्फ छह राज्यों ने नियम बनाए थे। मध्य प्रदेश ने हमारे बाद नियम बनाए। पेसा नियम को बहुत सी भ्रांतियां और शंकाएं थीं। हमने उन्हें दूर किया और कानून लागू किया।
कला, साहित्य और संस्कृति के लिए क्या किया?
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का दावा है कि उनकी सरकार ने आदिवासियों की संस्कृति को न सिर्फ बचाने का काम किया है बल्कि संवर्धित और लिपिबद्ध करने का काम भी किया है। उसका जबरदस्त फायदा भी मिला है। हमने देवगुड़ी, पेनगुड़ी, माता गुड़ी, घोटुल के निर्माण का काम किया। जगदलपुर के पास एक गांव में बादल नाम की संस्था भी बनाई है, वहां कला, साहित्य और संस्कृति को सहेजने का काम किया जा रहा है। इसके अलावा छत्तीसगढ़ में आदिवासियों की बहुत सी बोलियां हैं, उन्हें लिपिबद्ध करने का काम किया है। अब कोशिश है कि प्राथमिक पाठशाला में उन्हें पढ़ाया जाए। यानी एक विषय के तौर पर उसे शामिल किया जाए। उन्होंने बताया कि राज्य में कौशल्या माता का मंदिर बनवाया गया है जो देश में और कहीं नहीं है। उन्होंने इसे छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत समृद्ध बनाने के कार्यक्रम का हिस्सा बताया।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्या किया?
इसके जवाब में भूपेश बघेल ने बताया छत्तीसगढ़ सरकार की ‘हाट-बाजार क्लीनिक योजना’ का जिक्र किया और दावा किया कि इसका अब तक एक करोड़ लोगों को लाभ मिल चुका है। इस योजना को लाने का मकसद था कि गरीब-आदिवासी लोग अस्पताल भले ही न जाना चाहते हों, लेकिन हाट-बाजार जरूर जाते हैं। जब वह बाजार जाएं, तो वहीं इलाज भी करवा ले लें। हाट-बाजार क्लीनिक में डॉक्टर, नर्स, दवाई और जांच की भी व्यवस्था होती है। सीएम दावा है कि हाट-बाजार क्लीनिक में खून की 10 प्रकार की जांच संभव है। यह सब फ्री में होता है।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में कुपोषण की समस्या के मद्देनजर छत्तीसगढ़ की वर्तमान सरकार “मुख्यमंत्री सुपोषण योजना” चला रही है।
पढ़ाई और रोजगार पर सवाल के जवाब में भूपेश बघेल ने बताया कि अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा देने के लिए राज्य भर में आत्माराम स्कूल खोले गए हैं, जिनमें पांच लाख बच्चे पढ़ रहे हैं। उन्होंने 40 हजार सरकारी नौकरियां देने की भी बात कही। इनमें से 30 हजार पद शिक्षकों के हैं, जिन पर क्रमश: नियुक्तियां हो रही हैं।