Chhattisgarh Assembly Election 2023: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कुछ माह शेष हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अलग-अलग मंचों से अपने कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड पेश कर रहे हैं। सोमवार (18 सितंबर) को मुख्यमंत्री ‘द इंडियन एक्सप्रेस ऑनलाइन मीडिया सर्विसेज’ के कार्यक्रम ‘जनसत्ता मंथन’ में शामिल हुए। सीएम बघेल ने प्रदेश की राजधानी रायपुर में आयोजित ‘जनसत्ता मंथन’ में जनसत्ता.कॉम के संपादक विजय कुमार झा के कई सवालों के जवाब दिए।
यह छत्तीसगढ़ के कल्चर की बात है
विजय कुमार झा ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से पूछा कि कांग्रेस ने अपने लिए 75 पार का लक्ष्य रखा है। विपक्षी भाजपा का कहना है कि कांग्रेस धीरे-धीरे हमारे एजेंडे (हिंदुत्व) पर चलने लगी है। सवाल उठता है कि अगर कांग्रेस ने विकास है किया तो चुनाव हिंदुत्व के मुद्दे पर लड़ने की क्या जरूरत है?”
इस सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा, “मैं छत्तीसगढ़ से हूं तो मुझे छत्तीसगढ़िया होने का गर्व तो होना चाहिए। 15 साल के शासन में उन्होंने (भाजपा) महसूस कराया कि छत्तीसगढ़ी सबसे हीन भावना वाले लोग हैं। लेकिन हमने छत्तीसगढ़ की बोली-भाषा, खान-पान, रहन-सहन और तीज-त्योहार को सम्मान देने का काम किया। हमने अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस के लिए अवकाश की घोषणा की। …ये सब हिंदुत्व की बात है? यह छत्तीसगढ़ के कल्चर की बात है।”

फिर ‘मंदिर निर्माण’ और ‘राम वन गमन पथ’ क्या है?
जनसत्ता डॉट कॉम के संपादक विजय कुमार झा का अगला सवाल था कि क्या छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा कराया जा रहा मंदिर निर्माण, राम वन गमन पथ प्रोजेक्ट… आदि का हिंदुत्व से कोई लेना देना नहीं है?
इस सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने भाजपा के राम और उनके अपने राम में फर्क समझाया। सीएम ने कहा, “ऐसा मानते हैं कि भगवान राम ने सबसे ज्यादा समय यहां (छत्तीसगढ़) गुजारा। भगवान राम वनवास के समय जिन मार्गों पर चले, उसे हम पर्यटन के दृष्टि से विकसित कर रहे हैं। यहां (रायपुर) से 15 किमी की दूरी पर कौशल्या माता (राम की मां) का प्राचीन मंदिर है। यह दुनिया का एकमात्र मंदिर (कौशल्या का) है। भारतीय जनता पार्टी को 15 साल मौका मिला। रमेश बैस (महाराष्ट्र के राज्यपाल) का तो गांव ही है वो। लेकिन उन्होंने कभी इस मंदिर को सजाने-संवारने पर ध्यान नहीं दिया। लेकिन हमने किया। ऐसे ही राजीव लोचन मंदिर है, श्री नारायण मंदिर है, शबरी माता का मंदिर है… बहुत प्राचीन मंदिर है लेकिन उन्हें विकसित करने पर ध्यान नहीं दिया गया। अब हमने इन मंदिरों को सजाने-संवारने का काम कर दियो तो इसमें गलत क्या है। आपको तो मौका मिला था। लेकिन आप सिर्फ अयोध्या के मंदिर के नाम पर लोगों से वोट मांगते रहे, उन्हें बरगलाते रहे। आप गाय के नाम से वोट मांगते रहे। लेकिन गाय की कभी सेवा नहीं की।”
सीएम ने आगे कहा, “हमारे गांव-गांव में राम कोठियां होती हैं। इस बारे में कभी सोचे ये लोग। लेकिन हम लोग काम कर रहे हैं। ये सब छत्तीसगढ़ की धरोहर है। राम इनके लिए वोट दिलाने का काम करते हैं। इनके राम नोट दिलाने का काम कर सकते हैं। हमारे राम वनवासी राम हैं। हमारे राम शबरी के राम हैं। हमारे राम मेहनतकश लोगों के राम हैं। हमारे राम कौशल्या के राम हैं। क्योंकि कौशल्या यहां कि बेटी हैं तो हमारे लिए भांचा राम हैं।”

CM ने बताया बजरंग दल और बजरंग बली का फर्क
कर्नाटक में कांग्रेस की ओर से कहा गया था कि हमारी सरकार आयी तो बजरंग दल को बैन कर देंगे। विजय कुमार झा ने भूपेश बघेल से यह जानना चाहा कि वह इसे लेकर क्या सोचते हैं?
सीएम ने कहा, “बच्चे लोग बजरंगबली को याद करते हैं, क्योंकि वो बलशाली बनना चाहते हैं। जो भक्त हैं वो बजरंगबली को याद करते हैं, क्योंकि उनसे बड़ा कोई भक्त नहीं। ज्ञानी-ध्यानी लोग बजरंगबली को याद करते हैं, क्योंकि वो भी उन्हें अपना आदर्श मानते हैं। लेकिन ये जो बजरंगी (बजरंग दल) हैं, वो बजरंगबली से अलग हैं। इनका काम केवल मारना, पीटना और लूटना-पाटना है। बजरंगबली अलग हैं। बजरंग दल अलग है।”
इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि बजरंग दल को बैन करने की जरूरत नहीं है। सीएम बघेल का ऐसा मानना है कि बजरंग दल धार्मिक आधार पर जितना पोलराइजेशन करना था, कर चुकी। अब नहीं कर पाएगी।
“लोगों के हाथ में पैसा आया है”
मुख्यमंत्री का दावा है कि उनकी सरकार में किसानों की आय बढ़ी है। सीएम ने जनसत्ता मंथन के मंच से कहा, “हमारी सरकार ने किसानों को अपने पैरों पर खड़ा किया। ऋण माफी से लेकर, बिजली सस्ती दर पर उपलब्ध कराने और सिंचाई कर (टैक्स) माफ करने जैसे कदम उठाए। भाजपा ने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने, किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था लेकिन वो सब तो हुआ नहीं। किसान लगातार आत्महत्या कर रहे थे। ऐसे में हमने 2500 रुपये में धान खरीदी का फैसला किया। इससे किसानों के जीवन में बड़ा बदलाव आया। छत्तीसगढ़ में 40 प्रतिशत जंगल है, इसलिए वनोपज बहुत है। लघु वनोपज बहुत है। उसकी न खरीदी की व्यवस्था थी, न समर्थन मूल्य मिल पाता था। ये काम हम लोगों ने किया। जो भी उपज होती है, उसकी खरीदी की व्यवस्था की। पहले सात प्रकार के लघु वनोपज खरीदे जाते थे। अब 67 प्रकार के लघु वनोपज खरीदे जा रहे हैं। उसमें वैल्यू एडिशन कर रहे हैं। पहले तेंदूपत्ता 2500 रुपये प्रति मानक बोरा के दर से खरीदा जाता है। अब 4000 रुपये प्रति मानक बोरा के दर से खरीदा जाता है। हमारी सरकार गोधन न्याय योजना भी लेकर आयी है। इससे लोगों के पास हाथ में पैसा आया। आज छत्तीसगढ़ की जनता के आय में बदलाव आया है।”
“एक करोड़ लोगों को मिला हाट-बाजार क्लीनिक योजना का लाभ”
छत्तीसगढ़ बना तो 40 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के नीचे थे। 41 प्रतिशत लोग कुपोषित थे। 15 से 49 साल की 47 प्रतिशत से अधिक महिलाएं एनीमिया से ग्रस्त थीं। इसके लिए हमने मुख्यमंत्री सुपोषण योजना चलाया। भर पेट भोजन की व्यवस्था की। साथ-साथ इलाज की भी व्यवस्था की और हाट-बाजार क्लीनिक योजना शुरू की। अब तक एक करोड़ से अधिक लोग इसका लाभ ले चुके हैं।

वन संपदा और कला की विरासत
जनसत्ता मंथन में छत्तीसगढ़ में वन, पर्यटन, सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ी संभावनाओं और अवसरों पर एक पैनल डिस्कशन भी आयोजित किया गया। इसका संचालन जनसत्ता डॉट कॉम के संपादक विजय कुमार झा ने किया। पैनल में राकेश चतुर्वेदी (अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ राज्य जैव विविधता बोर्ड), प्रदीप शर्मा (सलाहकार, छत्तीसगढ़ सीएम), धर्मशील गढ़वीर (डायरेक्टर, कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान) और राहुल कुमार सिंह (वरिष्ठ पुरातत्वविद) शामिल हुए।
धर्मशील गढ़वीर ने छत्तीसगढ़ को अनोखा राज्य बताते हुए कहा, “70-80 प्रतिशत ग्रामीण आबादी जंगल के पांच किलोमीटर के क्षेत्र में रहती है। राज्य में प्रचुर मात्रा में वन संपदा और औषधि है। जीवों की बात करें तो भारत में वाइल्ड बफैलो असम के अलावा सिर्फ छत्तीसगढ़ में पाए जाते हैं। बस्तर हिल मैना भी सिर्फ इसी राज्य में पायी जाती है। वह राज्य की राजकीय पक्षी भी है।”

छत्तीसगढ़ राज्य जैव विविधता बोर्ड के अध्यक्ष राकेश चतुर्वेदी ने बताया कि भूपेश बघेल सरकार की पहल से प्रदेश में लघु वनोपज की खरीदी बढ़ी है। देश में कुल जितनी लघु वनोपज की खरीदी होती है, उसमें 75 प्रतिशत हिस्सा अकेले छत्तीसगढ़ का है। पहले बाजार में महुआ का रेट 16-17 रुपये हुआ करता था। सरकार ने 40 रुपये महुआ खरीदना शुरू किया। अब बाजार में महुआ का रेट 50 रुपये किलो हो गया है। जब हमने मोटे अनाज की खरीदी शुरू की। समर्थन मूल्य देना शुरू किया तो मोटे अनाज का रकबा बढ़ गया। इस तरह सरकार डायरेक्ट सपोर्ट कर रही है।
राहुल कुमार सिंह ने छत्तीसगढ़ की पुरातात्विक संपदा पर रोशनी डाली। उन्होंने कहा, “छत्तीसगढ़ जितना जंगल, वनोपज और पशु-पक्षियों के लिए जाना जाता है, उतना ही पुरातात्विक संपदा के लिए जाना जाता है। हमारे यहां भोंगापाल में पांचवीं शताब्दी की बौद्ध संरचना है। यह देश की दुर्लभतम संरचना में से एक है। ऐसी और भी बहुत संरचना हैं।” राहुल कुमार सिंह ने कहा कि विकास कार्य को करते हुए यह ध्यान रखना चाहिए कि उसमें संस्कृति का ध्यान रखा जा रहा है या नहीं।
छत्तीसगढ़ में रोजगार और शिक्षा का हाल
‘जनसत्ता मंथन’ में छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय (भिलाई) के वाइस चांसलर डॉ. एमके वर्मा और स्कूल एजुकेशन गवर्नमेंट ऑफ़ छत्तीसगढ़ के स्पेशल सेक्रेटरी सुनील कुमार जैन ने राज्य की शिक्षा की व्यवस्था और रोजगार के अवसर पर चर्चा की। चर्चा का संचालन साइकोलॉजिस्ट और छत्तीसगढ़ सरकार में सलाहकार डॉ. जवाहर सूरीसेट्टी ने किया।

डॉ. एमके वर्मा ने बताया कि स्कूल, हायर एजूकेशन और टेक्निकल एजुकेशन के क्षेत्र में राज्य आगे बढ़ रहा है। राज्य सरकार ने भर्ती तेज की है। छात्र-छात्राओं का नामांकन दर बढ़ है। सुनील कुमार जैन ने बताया कि शिक्षा का केंद्रीकरण न कर, उसे गांव-गांव तक पहुंचाने की योजना पर ही सरकार को ध्यान देना चाहिए।
