Gautam Adani US Court Case: जाने-माने कारोबारी गौतम अडानी के खिलाफ सौर ऊर्जा का कॉन्ट्रैक्ट पाने के लिए रिश्वत देने के आरोपों को लेकर ठंड के इस माहौल में भी सियासत गर्म है। इस मामले में अडानी के साथ ही उनके भतीजे सागर अडानी समेत आठ लोगों को आरोपी बनाया गया है। कांग्रेस इस मामले में एक बार फिर अडानी पर हमला बोल रही है। लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि मोदी सरकार अडानी को संरक्षण दे रही है और वह उन्हें गिरफ्तार नहीं करना चाहती।

अडानी के खिलाफ दायर किए गए आरोप पत्र में कहा गया है कि कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए जो रिश्वत अफसरों को दी गई है, उसमें से 2,029 करोड़ में से 1750 करोड़ रुपए आंध्र प्रदेश के एक बड़े अफसर को दिए गए हैं। ऐसे में यह जरूरी था कि आंध्र प्रदेश की सरकार की ओर से इस मामले में कोई स्पष्टीकरण आना चाहिए था लेकिन राज्य में सरकार चला रही तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) ने इस पर कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं दी है।

इसलिए इस मामले में उठ रहे तमाम सवालों के बीच एक बड़ा सवाल यह भी है कि आखिर आंध्र प्रदेश की चंद्रबाबू नायडू सरकार इस बड़े और अहम प्रकरण पर चुप क्यों है?

वाईसआरसीपी चीफ जगन मोहन रेड्डी। (इमेज-फाइल)

एनडीए में दूसरा सबसे बड़ा दल है टीडीपी

याद दिलाना होगा कि टीडीपी न सिर्फ एनडीए में दूसरा सबसे बड़ा दल है बल्कि राज्य में भी वह बीजेपी और उप मुख्यमंत्री पवन कल्याण की जनसेना पार्टी के साथ मिलकर सरकार चला रही है। मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के बेटे और राज्य में कैबिनेट मंत्री नारा लोकेश नायडू ने कहा है कि विधानसभा में इस मामले में कोई चर्चा नहीं हुई है। टीडीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि हमने अमेरिकी अदालत में चल रहे मामले के बारे में सुना है, हम एक या दो दिन में इसे देखेंगे। टीडीपी की ओर से इस तरह की चुप्पी के पीछे दो से तीन वजह बताई जा रही हैं।

आइए, इन तीन वजहों के बारे में बारी-बारी से बात करते हैं।

पहली वजह यह है कि टीडीपी इस मामले में संभलकर आगे बढ़ना चाहती है। टीडीपी के एक नेता ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, “हमें कोई भी कदम उठाने से पहले इसके फायदे और नुकसान को ध्यान में रखना होगा। हम सावधानी से आगे बढ़ रहे हैं।” यह रिश्वत देने का मामला तब हुआ था जब राज्य में वाईएसआर कांग्रेस की सरकार थी और इसके अध्यक्ष वाईएस जगनमोहन रेड्डी मुख्यमंत्री थे। इसलिए नायडू सरकार कोई जल्दबाजी नहीं चाहती।

Gautam Adani: गौतम अडानी। (इमेज-पीटीआई)

क्या है दूसरी वजह?

दूसरी वजह की बात करें तो नायडू सरकार के एक मंत्री ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू खुद भी राज्य में निवेश लाने की कोशिश कर रहे हैं। वह हाल में ही अडानी पोर्ट्स एंड एसईजेड लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर से मिल चुके हैं। उन्होंने बताया कि आंध्र प्रदेश को सौर ऊर्जा की जरूरत है और ऐसे में मुख्यमंत्री इस स्थिति में नहीं हैं कि अडानी सोलर के साथ किए जाने वाले पावर परचेज एग्रीमेंट को रद्द कर दिया जाए।

2019 में जब जगन मोहन रेड्डी मुख्यमंत्री बने थे तो उन्होंने टीडीपी सरकार द्वारा किए गए कई एग्रीमेंट को रद्द कर दिया था और इस वजह से राज्य में ऊर्जा का संकट पैदा हो गया था। मंत्री ने कहा कि हम नहीं चाहते कि ऐसे हालात बनें।

रिश्ते बिगड़ने का डर

तीसरी वजह यह है कि चंद्रबाबू नायडू ऐसा नहीं चाहते कि उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के साथ रिश्ते बिगड़ जाएं। इसके अलावा वह राज्य सरकार में सहयोगी और उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण को भी चंद्रबाबू नायडू नाराज नहीं करना चाहते। पवन कल्याण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के करीबी हैं और उन्होंने ही टीडीपी-जनसेना पार्टी के गठबंधन में बीजेपी को लाने में अहम भूमिका निभाई थी।

याद दिलाना होगा कि इस साल हुए लोकसभा और विधानसभा चुनाव में इस गठबंधन को विधानसभा और लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत मिली थी और वाईएसआर कांग्रेस को करारी हार मिली थी।

मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में चंद्रबाबू नायडू को पूरा सम्मान देने की कोशिश बीजेपी ने की थी। श्रीकाकुलम के सांसद किंजरापु राम मोहन नायडू को कैबिनेट मंत्री और गुंटूर के सांसद चंद्रशेखर पेम्मासानी को राज्य मंत्री बनाया गया था।

अडानी ग्रुप के मुखिया गौतम अडानी (REUTERS PHOTO)

मोदी सरकार ने दिया आंध्र को बड़ा पैकेज

175 सीटों वाली आंध्र प्रदेश की विधानसभा में हालांकि चंद्रबाबू नायडू के पास अपने दम पर ही स्पष्ट बहुमत है। उनके पास 135 विधायक हैं लेकिन इसके बाद भी वह नहीं चाहते कि बीजेपी और जनसेना पार्टी के साथ उनके रिश्ते खराब हों क्योंकि राज्य में सरकार चलाने के लिए केंद्र सरकार से भी आर्थिक व दूसरी जरूरी मदद चाहिए। इस साल जब मोदी सरकार ने अपना केंद्रीय बजट पेश किया तो आंध्र प्रदेश के लिए 15000 करोड़ रुपए के पैकेज का ऐलान किया था। इस मदद के लिए चंद्रबाबू नायडू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी का धन्यवाद अदा किया था।

इस मामले में जनसेना पार्टी के एक नेता ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि उनका दल क्षेत्रीय दल है और अभी वह इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं कर सकते जबकि वाईएसआर कांग्रेस के नेताओं ने कई बार बातचीत के बाद भी इसका कोई जवाब नहीं दिया।

क्या कहा गया है आरोप पत्र में?

अमेरिका में दायर किए गए आरोप पत्र के मुताबिक, गौतम अडानी ने व्यक्तिगत रूप से आंध्र प्रदेश में ‘फॉरेन ऑफिशियल 1’ से कई मुलाकात की थी। यह मुलाकात इसलिए की गई थी क्योंकि SECI और आंध्र प्रदेश की राज्य बिजली वितरण कंपनियों के बीच एग्रीमेंट (पावर परचेज एग्रीमेंट) लागू हो सके। ये मुलाकातें लगभग 7 अगस्त 2021, 12 सितंबर 2021 और 20 नवंबर 2021 को हुईं।

आरोप पत्र में कहा गया है कि ‘फॉरेन ऑफिशियल 1’ ने मई 2019 से जून 2024 तक आंध्र प्रदेश में एक सीनियर सरकारी अफसर के रूप में काम किया था और रिश्वत में दी गई कुल राशि में से 1750 करोड़ रुपए इस उच्च सरकारी अफसर के पास गए।

CPI ने पूछा जगन मोहन रेड्डी से सवाल

आरोप पत्र में ‘फॉरेन ऑफिशियल 1’ का नाम क्या है, इस बारे में नहीं बताया गया है लेकिन CPI (भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी) ने पूर्व सीएम जगन मोहन रेड्डी की सरकार से सवाल किया है क्योंकि सितंबर, 2021 में तेलुगु मीडिया में खबर आई थी कि अडानी ने तत्कालीन सीएम रेड्डी से मुलाकात की थी और तब CPI ने इसे “सीक्रेट मीटिंग” कहकर सवाल उठाए थे।

अब CPI ने इस मुद्दे को फिर से उठाने का फैसला किया है क्योंकि टीडीपी ने इस पर चुप्पी साध रखी है। जबकि CPI(M) ने कहा है कि CBI को अडानी के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर केस दर्ज करना चाहिए।