कलकत्ता हाईकोर्ट ( Calcutta High Court ) ने ध्रुव राठी (Dhruv Rathee) केस में डाबर इंडिया (Dabur India) को कड़ी फटकार लगाई है। जज ने कहा कि इस तरह कोर्ट में महाभारत नहीं शुरू कर सकते हैं।
इस मांग पर अड़ गए थे डाबर के वकील
डाबर की तरफ से पेश वकील देबनाथ घोष (Debnath Ghosh) चाहते थे कि अदालत रियल फ्रूट जूस के संबंध ध्रुव राठी द्वारा बनाए गए एक वीडियो के सारे यूआरएल हटाने का आदेश दे। वकील ने जस्टिस रवि किशन कपूर (Ravi Krishan Kapur) से मांग की कि दूसरे चैनलों द्वारा अपलोड किए गए वीडियो को भी हटाने का आदेश दें। उन्होंने दलील दी कि सभी वीडियो राठी ने ही बनाए थे। वकील की यह मांग कोर्ट को पसंद नहीं आई।
कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने कहा कि ‘आप कह रहे हैं कि ध्रुव राठी ने दुर्भावनावश वीडियो अपलोड किए। अगर आप यह साबित कर दें कि जिन वीडियो की बात कर रहे हैं, वो सारे वीडियोज राठी ने ही अपलोड किए हैं, तब हम इसके खिलाफ आदेश दे सकते हैं। अन्यथा एक बहुराष्ट्रीय कंपनी को एक व्यक्ति के खिलाफ इस तरह का मामला चलाने की अनुमति नहीं दे सकते हैं’। हालांकि इसके बावजूद डाबर के वकील आदेश पारित करने की मांग पर अड़े रहे। जिस पर जज बिफर पड़े।
जज ने कहा- महाभारत की जरूरत नहीं
डाबर के वकील को फटकार लगाते हुए जस्टिस रवि किशन कपूर (Ravi Krishan Kapur) ने कहा कि ‘मिस्टर घोष, मेरा साथ ये सब करने की कोशिश न करें। यहां महाभारत करने की कोई जरूरत नहीं है। उन्हें (ध्रुव राठी को) एफिडेविट फाइल करने दीजिए’। कोर्ट ने राठी को एफिडेविट फाइल करने के लिए 4 हफ्ते का समय दे दिया और मामला 8 मई तक के लिए स्थगित कर दिया है।
हाईकोर्ट ने क्यों हटवाया था वीडियो?
इससे पहले, अदालत ने ध्रुव राठी द्वारा अपलोड किये गए सारे वीडियो हटाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि प्रतिवादी (ध्रुव राठी) का कृत्य उत्पादों की पैकेजिंग, लेबल और लोगो के अनधिकृत उपयोग के बराबर है। उन्होंने ट्रेडमार्क अधिनियम, 1999 की धारा 29 (9) और कॉपीराइट अधिनियम 1957 के तहत याचिकाकर्ता के अधिकारों का उल्लंघन किया। इसी आधार पर वीडियो हटाने का आदेश दिया गया था।
क्या था मामला?
दरअसल, कोर्ट ने यूट्यूब, फेसबुक, और ट्विटर को यू-ट्यूबर ध्रुव राठी से जुड़े जो, वीडियो हटाने का आदेश दिया था उनमें ध्रुव राठी ने दावा किया था रियल फ्रूट जूस (Real Fruit Juice) का लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, खासकर बच्चों के स्वास्थ्य पर। डाबर, इन्हीं वीडियो के खिलाफ कोर्ट गया था।
ध्रुव राठी ने क्या दलील दी?
मामले में सुनवाई के दौरान ध्रुव राठी के वकील नकुल गांधी (Nakul Gandhi) ने कोर्ट को बताया कि उनके क्लाइंट ने कोर्ट के आदेश से एक कदम आगे बढ़कर सभी वीडियोज को प्राइवेट कर दिया था। इसका मतलब यह है कि अगर कोई उन वीडियोज को डाउनलोड कर अपने चैनल पर अपलोड करता है तो उनके क्लाइंट को इसका नोटिफिकेशन मिल जाएगा। इसके बाद वे सीधे इन्हें डिलीट कर सकते हैं। लेकिन यदि वह वीडियोज हटा लेते, तो उन्हें कोई नोटिफिकेशन नहीं मिलता।
ध्रुव राठी के वकील ने यह भी बताया कि कोर्ट के आदेश के बाद उनके क्लाइंट ने सारे वीडियोज डिलीट कर दिए हैं।