लोकसभा चुनाव 2024 के बाद नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बने हैं। उनकी सरकार का पहला काम पूर्ण बजट पेश करना है, जो जुलाई में क‍िया जाएगा। 2019 में भी ऐसी ही स्‍थ‍ित‍ि थी, जब नरेंद्र मोदी 2014 से ज्‍यादा बहुमत के साथ लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बने थे। उस साल पांच जुलाई को पूर्ण बजट पेश क‍िया गया था। उस बजट के बनने की इनसाइड स्‍टोरी सुभाष चंद्र गर्ग ने हार्पर कॉल‍िन्‍स से प्रकाश‍ित अपनी क‍िताब ‘वी ऑलसो मेक पॉल‍िसी’ में बयां की है।

गर्ग 2017 से 2019 तक व‍ित्‍त मंत्रालय में आर्थ‍िक मामलों के सच‍िव थे। 2019-20 का बजट भाषण तैयार करने की ज‍िम्‍मेदारी उन्‍हीं की थी। चुनाव नतीजे आने से पहले ही, 20 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने घर पर एक बैठक बुलाई थी। इसमें नीत‍ि आयोग के उपाध्‍यक्ष राजीव कुमार और व‍ित्‍त सच‍िव की हैस‍ियत से गर्ग ने एक प्रेजेंटेशन द‍िया था। इसमें अर्थव्‍यवस्‍था की तस्‍वीर द‍िखाते हुए यह भी बताया गया था क‍ि कौन से कदम उठाए जा सकते हैं।

तब व‍ित्‍त मंत्री अरुण जेटली थे। प्रधानमंत्री ने उनकी बातें ध्‍यान से सुनीं और कहा क‍ि वे यही प्रेजेंटेशन अगली सुबह पीयूष गोयल और न‍िर्मला सीतारमण के सामने पेश करें। अगली सुबह जब उन्‍होंने इन मंत्र‍ियों के सामने प्रेजेंटेशन द‍िया तो उन्‍हें अंदाज हो गया था क‍ि बीमार चल रहे अरुण जेटली की जगह व‍ित्‍त मंत्रालय कौन संभालेगा।

30 मई, 2019 को नरेंद्र मोदी सरकार का शपथ ग्रहण हुआ। न‍िर्मला सीतारमण व‍ित्‍त मंत्री बनीं। 5 जुलाई को बजट पेश करना तय हुआ।

बजट भाषण तैयार करना बड़ा काम था। लेक‍िन, व‍ित्‍त मंत्री से गर्ग के संबंध मधुर नहीं थे। इसका असर बजट भाषण बनाने की प्रक्र‍िया पर भी पड़ा। कैसे, इसका ब्‍योरा गर्ग ने क‍िताब में द‍िया है।

गर्ग ल‍िखते हैं- आर्थ‍िक मामलों का सच‍िव होने के नाते व‍ित्‍त मंत्री के बजट भाषण का ड्राफ्ट तैयार करने की ज‍िम्‍मदेारी मेरी थी। इसके ल‍िए भरोसे और व‍िश्‍वास का माहौल होना जरूरी था। लेक‍िन, दुर्भाग्‍य से हमारे बीच ऐसा कुछ नहीं था।

गर्ग ने 24 जून तक भाषण का पहला ड्राफ्ट व‍ित्‍त मंत्री को सौंप देने की बात कही। व‍ित्‍त मंत्री से ब‍िना क‍िसी ज्‍यादा तालमेल के उन्‍होंने पहला ड्राफ्ट तैयार क‍िया और 24 जून को सीतारमण के हवाले कर द‍िया। इस आग्रह के साथ क‍ि वह ज‍ितना जल्‍द हो सके, अपना शुरुआती ड्राफ्ट भेज दें तो आगे काम शुरू होगा। इस बीच गर्ग प्रधानमंत्री के साथ जी-20 श‍िखर सम्‍मेलन के ल‍िए जापान चले गए। हालांक‍ि, इस वजह से बजट भाषण तैयार करने का काम रुके नहीं, इसका पूरा इंतजाम कर चुके थे। वह यात्रा के दौरान भी इस पर काम करने का प्‍लान कर चुके थे। लेक‍िन, उन्‍हें व‍ित्‍त मंत्री का इनुपट म‍िला ही नहीं।

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29 जून को जापान से लौटते हुए गर्ग ने प्रधानमंत्री के व‍िमान में ही उस ड्राफ्ट को और बेहतर क‍िया जो उन्‍होंने 24 जून को व‍ित्‍त मंत्री को भेजा था। अपने ड्राफ्ट का दूसरा वर्जन 30 जून को गर्ग ने व‍ित्‍त मंत्री को सौंप द‍िया। यह आग्रह करते हुए क‍ि इस पर जल्‍द से जल्‍द काम कर लें ताक‍ि प्रधानमंत्री को सौंपने लायक ड्राफ्ट बनाया जा सके। इस पर चर्चा के ल‍िए प्रधानमंत्री के साथ बैठक के ल‍िए 2 जुलाई की तारीख तय थी।

2 जुलाई को व‍ित्‍त मंत्री ने अपनी ओर से सीधे प्रधानमंत्री को ड्राफ्ट सौंप द‍िया। गर्ग ल‍िखते हैं क‍ि उन्‍हें इसकी एक प्रत‍ि तक नहीं दी गई। जब उन्‍होंने प्रत‍ि मांगी तो व‍ित्‍त मंत्री ने जवाब द‍िया- मैंने आपके भेजे ड्राफ्ट में कुछ पाराग्राफ ही जोड़े हैं, बाकी लगभग सब वैसा ही है जैसा आपने भेजा था।

गर्ग ल‍िखते हैं क‍ि प्रधानमंत्री की अध्‍यक्षता में होने वाली बैठक में आम तौर पर बजट भाषण आर्थ‍िक मामलों के सच‍िव द्वारा ही पढ़ा जाता है। लेक‍िन, यहां तो मेरे पास भाषण की कॉपी ही नहीं थी। प्रधानमंत्री आवास पर बैठक में ब्रजेंद्र नवनीत (पीएमओ में संयुक्‍त सच‍िव) ने वह भाषण पढ़ा। गर्ग के पास भाषण की वही प्रत‍ि थी जो उन्‍होंने व‍ित्‍त मंत्री को भेजी थी। उनके ड्राफ्ट में व‍ित्‍त मंत्री ने 10-12 पाराग्राफ जोड़े थे, कुछ हटाए थे और ज्‍यादातर ह‍िस्‍सा ज्‍यों का त्‍यों था।

प्रधानमंत्री ने तीन-चार घंटे तक ड्राफ्ट का अध्‍ययन क‍िया। व‍ित्‍त मंत्री की जोड़ी कुछ बातों पर उन्‍होंने सहम‍त‍ि जताई और प्रत‍िक्रि‍या दी क‍ि बहुत सारी चीजों का क्रम बदल कर और प्राथम‍िकताओं के बारे में नए स‍िरे से ल‍िखना होगा। 9.30 बजे रात में मीट‍िंंग खत्‍म हुई। प्रधानमंत्री अगले द‍िन नया ड्राफ्ट देखना चाह रहे थे। गर्ग को च‍िंंता सता रही थी क‍ि कैसे अगले द‍िन ड्राफ्ट पूरा क‍िया जाए। 5 जुलाई को बजट पेश होना था।

मीट‍िंंग के बाद गर्ग ने व‍ित्‍त मंत्री से पूछा क‍ि कैसे करना है? उन्‍होंने कहा- मैं सारे कागजात और अपना ड्राफ्ट आपको दे दूंगी और आप इसे कल फाइनल कर लीज‍िए। गर्ग ने कहा- यह कोई तरीका नहीं होता। आपको यह बताना चाह‍िए क‍ि ड्राफ्ट पूरा कैसे क‍िया जाए। सुबह आठ बजे मैं आपके ऑफ‍िस आता हूं और म‍िल कर करते हैं। व‍ित्‍त मंत्री राजी हो गईं। गर्ग ने संबंध‍ित स्‍टाफ को आठ बजे ऑफ‍िस में मौजूद रहने के ल‍िए कहा।

तीन जुलाई की सुबह गर्ग और उनका स्‍टाफ व‍ित्‍त मंत्री के दफ्तर पहुंचे तो वह आई नहीं थीं। उनके स्‍टाफ ने ऑफ‍िस तक नहीं खोला। घर पर फोन क‍िया तो बताया गया क‍ि व‍ित्‍त मंत्री काफी सुबह से ही ड्राफ्ट पर काम कर रही हैं और 9.30 बजे तक ऑफ‍िस पहुंचेंगी।

9.30 बजे व‍ित्‍त मंत्री ऑफ‍िस आईं। तब से करीब चार बजे तक उनके साथ काम करके ड्राफ्ट फाइनल क‍िया गया। इसमें व‍ित्‍त मंत्री ने काफी काम क‍िया था। शाम छह बजे तक ज‍ितना बेहतर बनाया जा सकता था, गर्ग ने इसे अंत‍िम रूप द‍िया। शाम 6.30 बजे ड्राफ्ट प्रधानमंत्री को द‍िखाने का वक्‍त तय हुआ। फ‍िर रात 9.30 बजे तक यह बैठक चली।

प्रधानमंत्री संतुष्‍ट नहीं थे। उन्‍होंने कई नए व‍िचारों पर काम करने का सुझाव द‍िया। लेक‍िन ज्‍यादा वक्‍त नहीं था। सो, उन्‍होंने कहा क‍ि अब ड्राफ्ट उन्‍हें द‍िखाने की जरूरत नहीं है, वह सीधा संसद में ही 5 जुलाई को बजट भाषण सुनेंगे।

4 जुलाई को गर्ग और सीतारमण ने शाम चार बजे तक ड्राफ्ट को लगभग अंत‍िम रूप दे द‍िया। जो ड्राफ्ट उन्‍होंने सबसे पहले तैयार क‍िया था, उसकी अध‍िकांश बातें रह गई थीं। व‍ित्‍त मंत्री ने राजनीत‍िक और सामाज‍िक संदेश देने वाली बातें भाषण के अन्‍य ह‍िस्‍सों में जुड़ी थीं।

ड्राफ्ट पीएमओ को भेजा गया। इस पर दो बार और चर्चा हुई और अंतत: रात के नौ बजे बजट भाषण छपने के ल‍िए चला गया।