संसद के अंदर और बाहर वक्फ कानून में संशोधन को लेकर काफी हंगामे के बाद इस संबंध में पेश बिल को 31 सदस्यीय संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेज दिया गया है। विपक्षी दलों का कहना है कि मोदी सरकार यह कानून वक्फ बोर्ड के अधिकारों को छीनने के लिए ला रही है। सत्ता पक्ष का कहना है कि वह ज्यादा पारदर्शिता लाने और वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन के मकसद से काूनन में संशोधन कर रही है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने साफ किया है कि वह वक्फ कानून में किसी भी तरह के दखल को बर्दाश्त नहीं करेगा।
भारत में सभी राज्यों के पास वक्फ बोर्ड है और इन्हें वक्फ एक्ट के तहत ही बनाया गया है। वक्फ की संपत्तियों को लेकर होने वाले किसी भी तरह के विवाद को उन राज्यों के वक्फ ट्रिब्यूनल में सुलझाया जाता है।
जेपीसी को भेजा गया विधेयक
लोकसभा में जब इस विधेयक को लेकर विवाद हुआ तो इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेज दिया गया। जेपीसी में कुल 31 सांसदों को शामिल किया गया है। इसमें लोकसभा से 21 और राज्यसभा से 10 सांसद शामिल हैं। जेपीसी अब वक्फ संशोधन विधेयक का अध्ययन करेगी और अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी।
यह कहा जा रहा है कि संशोधन किए जाने के बाद वक्फ बोर्ड की संपत्तियां कम हो जाएंगी। भारत में पहली बार वक्फ बोर्ड एक्ट का गठन 1954 में हुआ था।
संपत्तियों को लेकर बढ़ सकता है विवाद
केंद्र सरकार जो विधेयक लेकर आई है अगर यह कानून बन जाता है तो इसके बाद संपत्तियों को लेकर विवाद बढ़ सकता है और केंद्र और राज्य सरकारों के पास ज्यादा ताकत आ सकती है। अगर सरकार और वक्फ बोर्ड के बीच किसी तरह का विवाद होता है तो उस मामले में किसी भी विवाद का निपटारा करने की शक्ति वक्फ ट्रिब्यूनल से जिलाधिकारियों के पास चली जाएगी।
इस सबके बीच यह जानना जरूरी है कि वक्फ बोर्ड के पास भारत में कितनी संपत्तियां हैं।
2014 में संसद की एक स्थाई समिति की रिपोर्ट में आकलन किया गया था कि भारत में 35 वक्फ बोर्ड हैं और उनके पास कुल 6 लाख एकड़ जमीन है और तब उनकी बाजार में अनुमानित कीमत 1.2 लाख करोड़ थी।
यूपीए सरकार ने बनाया था WAMSI पोर्टल
2008 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने वक्फ की सभी संपत्तियों का आंकड़ा इकट्ठा करना शुरू किया था। तब सरकार ने वक्फ एसेट्स मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ़ इंडिया (WAMSI) बनाया था और यह वक्फ की संपत्तियों के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल की तरह था।
8 अगस्त तक इस पोर्टल ने देश भर में लगभग 8,66,000 अचल संपत्तियों की पहचान कर ली थी। इनमें से एक चौथाई संपत्तियां अकेले उत्तर प्रदेश में हैं और यहां बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार है।
वक्फ की कुल संपत्तियों में से 97% संपत्तियां सिर्फ 15 राज्यों में हैं। इनमें से बीजेपी 8 राज्यों में सत्ता में है और यहां वक्फ की कुल संपत्तियों में से लगभग आधी संपत्तियां हैं।
राज्य का नाम | किसकी है सरकार | वक्फ संपत्तियों की संख्या |
उत्तर प्रदेश | बीजेपी | 2,32,457 |
पश्चिम बंगाल | गैर-बीजेपी | 80,480 |
पंजाब | गैर-बीजेपी | 75,965 |
तमिलनाडु | गैर-बीजेपी | 66,092 |
कर्नाटक | गैर-बीजेपी | 62,830 |
केरल | गैर-बीजेपी | 53,282 |
तेलंगाना | गैर-बीजेपी | 45,682 |
गुजरात | बीजेपी | 39,940 |
महाराष्ट्र | बीजेपी | 37,701 |
मध्य प्रदेश | बीजेपी | 33,472 |
जम्मू और कश्मीर (केंद्र शासित ) | बीजेपी | 32,533 |
राजस्थान | बीजेपी | 30,895 |
हरियाणा | बीजेपी | 23,267 |
आंध्र प्रदेश | गैर-बीजेपी | 14,685 |
ओड़िशा | बीजेपी | 10,314 |
WAMSI के मुताबिक केवल 39% अचल संपत्तियां ऐसी हैं जिन्हें लेकर कोई विवाद नहीं है। बाकी संपत्तियों को लेकर या तो पूरी जानकारी नहीं है या उन्हें लेकर कोई विवाद चल रहा है। ऐसे में केंद्र सरकार जो विधेयक लेकर आई है उसके कानून बनने से इन पर असर हो सकता है।
केंद्र ने कब्जे में ले ली थीं 123 संपत्तियां
लगभग 9% संपत्तियां ऐसी हैं जिन पर या तो अतिक्रमण किया जा चुका है या इन्हें लेकर मुकदमे चल रहे हैं। जुलाई 2024 तक मिले आंकड़ों के मुताबिक इस संबंध में 32000 मामले दर्ज किए जा चुके थे। पिछले साल केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने दिल्ली वक्फ बोर्ड की 123 संपत्तियों को अपने कब्जे में ले लिया था। इसमें से संसद भवन के पीछे स्थित एक जामा मस्जिद (पुरानी दिल्ली वाली जामा मस्जिद नहीं) भी थी। इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में मुकदमा चल रहा है।
केंद्र सरकार के द्वारा लाया गया संशोधन विधेयक कहता है कि जिन संपत्तियों को वक्फ की संपत्तियां घोषित कर दिया गया है उन्हें मौखिक रूप से स्वीकार नहीं किया जाएगा। विधेयक यह भी कहता है कि वक्फ बोर्ड उन संपत्तियों पर दावा नहीं कर सकता जिन पर पिछले 12 साल से किसी और का कब्जा है।
वक्फ की आधी संपत्तियों के मालिकाना हक का पता नहीं
बिना विवाद वाली संपत्तियां | 38.9% |
ऐसी संपत्तियां जिनके बारे में जानकारी नहीं है | 50% |
अतिक्रमण वाली वक्फ संपत्तियां | 6.8% |
मुकदमेबाजी वाली वक्फ संपत्तियां | 1.5% |
अन्य संपत्तियां | 2.8% |
केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) दिल्ली को वक्फ संपत्तियों से संबंधित दो सरकारी योजनाओं का अध्ययन करने के लिए कहा था। 2021 में जब आईआईटी, दिल्ली ने अपनी रिपोर्ट सौंपी थी तो इसने 11 राज्यों में वक्फ बोर्ड के पास कितनी संपत्तियां हैं, इस बारे में बताया था।
इस रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र में कुल 30000 अचल वक्फ संपत्तियां थीं और इनमें से लगभग एक तिहाई कृषि भूमि थी।
महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड के पास 2020 में कुल अचल संपत्तियां
कृषि भूमि | 9,437 |
मस्जिद | 6,436 |
घर | 3,022 |
दुकान | 2,105 |
प्लॉट | 2,039 |
दरगाह/मजार/मकबरा | 2,015 |
कब्रिस्तान | 1,500 |
मदरसा | 904 |
स्कूल | 73 |
अन्य | 2,372 |
क्या हैं वक्फ की संपत्तियों के प्रबंधन के तरीके?
वक्फ की संपत्तियों का प्रबंधन अलग-अलग तरीकों से किया जा सकता है। इनमें से सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाला तरीका मुतवल्ली (विश्वसनीय दोस्त) या कोई प्रबंधक है, जो संपत्ति का प्रबंधन करता है। इसके अलावा वक्फ बोर्ड, प्रशासक और प्रबंधक कमेटी के तरीके भी हैं, जिनके जरिए वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन किया जाता है।
मुतवल्ली | 217,002 |
प्रबंधक कमेटी | 127726 |
वक्फ बोर्ड | 95264 |
प्रशासक | 14547 |
कोई नहीं | 3889 |
बिना प्रबंधक की | 413896 |
वक्फ की संपत्तियों पर कट्टरपंथियों का कब्जा: सूफी फाउंडेशन
जब मुस्लिम संगठनों ने वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ गुस्सा जाहिर किया और कहा कि यह वक्फ को कमजोर करने की कोशिश है और संविधान के भी खिलाफ है, तब सूफी फाउंडेशन की ओर से कहा गया कि वक्फ की संपत्तियों पर कट्टरपंथियों ने कब्जा कर लिया है। इंडियन सूफी फाउंडेशन के अध्यक्ष कशिश वारसी ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा था कि शरीयत से वक्फ बोर्ड का कोई लेना-देना नहीं है।