हरियाणा के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर सत्ता हासिल करने के लिए जोर लगा रही बीजेपी ने सोमवार को कुरुक्षेत्र के पिपली में दलित सम्मान स्वाभिमान समारोह का आयोजन किया। इसके जरिए बीजेपी की कोशिश राज्य के 21% दलित मतदाताओं तक पहुंचने की है।

हरियाणा के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के लिए एक-एक सीट और एक-एक वोट पर कब्जे की लड़ाई है क्योंकि लोकसभा चुनाव के नतीजे ने साफ संदेश दिया है कि विधानसभा चुनाव में बहुमत हासिल करने के लिए इन दोनों दलों को एड़ी-चोटी का जोर लगाना होगा।

हरियाणा में 1 अक्टूबर को वोटिंग होगी और 4 अक्टूबर को नतीजे आएंगे। हालांकि यह भी चर्चा है कि बीजेपी और इनेलो की मांग के बाद चुनाव आयोग वोटिंग की तारीख आगे बढ़ा सकता है।

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हरियाणा में 17 विधानसभा सीटें हैं आरक्षित

17 विधानसभा सीटों के अलावा 35 सीटें ऐसी हैं, जहां दलित मतदाता जीत-हार तय कर सकते हैं। अगर दलित वोटर एकजुट होकर किसी एक पार्टी का समर्थन कर दें, तो आरक्षित सीटों के अलावा भी कई सीटों पर उस पार्टी की जीत तय हो जाएगी। इसलिए बीजेपी की कोशिश है कि इस समुदाय के बड़े हिस्से को अपने पक्ष में लाया जाए। 

विधानसभा सीट का नामजिला
मुलानाअंबाला
नीलोखेड़ीकरनाल
इसरानापानीपत
साढ़ौरायमुनानगर
शाहाबादकुरुक्षेत्र
नरवानाजींद
रतियाफतेहाबाद
कालांवालीसिरसा
उकलानाहिसार
बवानी खेड़ाभिवानी
झज्जररोहतक
कलानौररोहतक
बावलरेवाड़ी
पटौदीगुरुग्राम
होडलपलवल
गुहलाकैथल
खरखौदापानीपत

बीजेपी के लिए हरियाणा में दलित समुदाय तक पहुंचना क्यों जरूरी है, इसे कुछ बातों के जरिये समझते हैं।

दोनों सीटों पर मिली बीजेपी को हार

लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हरियाणा में आरक्षित दोनों लोकसभा सीटों पर हार मिली थी। सिरसा लोकसभा सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा जीती थीं जबकि दूसरी आरक्षित सीट अंबाला से वरुण चौधरी चुनाव जीते थे। पिछले चुनाव में इन दोनों सीटों को जीतने वाली बीजेपी के लिए यह हार निश्चित रूप से हैरान करने वाली थी।

बीजेपी-कांग्रेस को मिली 5-5 सीटें, पिछली बार बीजेपी ने जीती थी 10 सीटें

सीटसांसद का नामराजनीतिक दल
अंबालावरुण चौधरीकांग्रेस
सिरसाकुमारी सैलजाकांग्रेस
कुरूक्षेत्रनवीन जिंदलबीजेपी
करनालमनोहर लाल खट्टरबीजेपी
सोनीपतसतपाल ब्रह्मचारीकांग्रेस
रोहतकदीपेंद्र सिंह हुडाकांग्रेस
हिसारजय प्रकाशकांग्रेस
भिवानी-महेंद्रगढ़धर्मबीर सिंहबीजेपी
गुरुग्राम राव इंद्रजीत सिंहबीजेपी
फरीदाबादकृष्ण पाल गुर्जरबीजेपी

विपक्ष के प्रचार का जवाब

यहां याद दिलाना होगा कि लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान इंडिया गठबंधन में शामिल विपक्षी दलों ने इस बात को मुद्दा बनाया था कि बीजेपी अगर फिर से सत्ता में आती है तो वह संविधान और आरक्षण को खत्म कर देगी। विपक्ष के इस प्रचार का हरियाणा के साथ ही अन्य राज्यों में भी असर देखने को मिला था।

बीजेपी की कोशिश है कि दलित समुदाय के लोगों के बीच कांग्रेस के द्वारा किए गए इस प्रचार का जवाब दिया जाए कि बीजेपी आरक्षण और संविधान की विरोधी है।

लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को हुआ नुकसान

राजनीतिक दलविधानसभा चुनाव 2014 में मिली सीट लोकसभा चुनाव 2014 में मिली सीट विधानसभा चुनाव 2019 में मिली सीटलोकसभा चुनाव 2019 में मिली सीट लोकसभा चुनाव 2024 में मिली सीट
कांग्रेस 15131 05
बीजेपी 47740105

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर बढ़ा, बीजेपी का घटा

राजनीतिक दललोकसभा चुनाव 2019 में मिले वोट (प्रतिशत में)लोकसभा चुनाव 2024 में मिले वोट (प्रतिशत में)
कांग्रेस 28.51 43.67
बीजेपी 58.2146.11 

तीन में दो दलित मतदाता रहे कांग्रेस के साथ

सीसीडीएस-लोकनीति के द्वारा कराए गए पोस्ट पोल सर्वे से यह जानकारी सामने आई थी कि कांग्रेस ने दलित मतों में सेंधमारी की है। हरियाणा में दलित मतों का अधिकतर हिस्सा बीजेपी और बीएसपी को मिलता रहा था लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव में दलित समुदाय के हर तीन लोगों में से दो ने कांग्रेस को वोट दिया।

ऐसे आंकड़े सामने आने के बाद बीजेपी की चिंता बढ़ना स्वाभाविक था।

ऐसे वक्त में जब कांग्रेस और कई विपक्षी दलों ने देश में जातिगत जनगणना करने की मांग को मुद्दा बनाया हुआ है, बीजेपी के सामने दलित समुदाय को पार्टी से जोड़े रखने की चुनौती है। कांग्रेस का कहना है कि जातिगत जनगणना के जरिए ही सभी समुदाय के लोगों को उनके हक और हिस्सेदारी मिल सकेगी।

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हरियाणा में देखने को मिलेगा जोरदार मुकाबला। (Source-FB)

हमने ही दलित समुदाय की मांगों को पूरा किया : बीजेपी

दलित सम्मान स्वाभिमान समारोह के जरिए बीजेपी का कहना है कि हरियाणा में दलित समुदाय की तीन बड़ी मांगों को उसने ही पूरा किया है। दलित नेताओं का कहना है कि दलित समुदाय की मांग थी कि हरियाणा में अनुसूचित आयोग बने, सफाई कर्मचारी आयोग बने और प्रमोशन में रिजर्वेशन दिया जाए। बीजेपी का कहना है कि 1966 में हरियाणा के गठन के बाद से ही किसी ने उनकी मांग को नहीं सुना लेकिन बीजेपी ने अपनी सरकार में यह सभी काम किये।

बीजेपी के दलित सम्मान स्वाभिमान समारोह में पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत गौतम, राज्यसभा सांसद कृष्ण लाल पंवार, अशोक तंवर जैसे बड़े नेता मौजूद रहे।

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क्या पहलवानों के यौन शोषण के मुद्दे से बीजेपी को होगा नुकसान? (Source-deepender.s.hooda/FB)

दलित समुदाय से मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग

हरियाणा की राजनीति में दलित समुदाय का मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग भी उठी है। अगर राज्य में कांग्रेस की सरकार बनती है तो मुख्यमंत्री पद के लिए कुमारी सैलजा मजबूत दावेदार हैं। ऐसे में बीजेपी ने दलित समुदाय के अपने नेताओं को आगे किया है और दलित सम्मान स्वाभिमान समारोह के जरिए मोदी सरकार और हरियाणा सरकार के द्वारा किए गए कामों को लोगों के बीच रखा है।

हरियाणा की राजनीति के लिहाज से दलित समुदाय गैर जाट समुदाय में आता है। बीजेपी ने इस समुदाय को लुभाने के लिए कृष्ण लाल पंवार को राज्यसभा का सांसद बनाया तो कृष्ण कुमार बेदी को प्रदेश महामंत्री नियुक्त किया। इसके अलावा लंबे वक्त तक हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे अशोक तंवर को भी बीजेपी में शामिल किया और उन्हें लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार भी बनाया।

कांग्रेस के पास बड़े दलित चेहरे के रूप में चौधरी उदय भान सिंह हैं। पार्टी ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष जैसा अहम पद दिया है और कुमारी सैलजा भी बड़े कद की नेता हैं।