24 अगस्त 1911 को बंगाल के कृष्णानगर में क्रांतिकारी बीना दास का जन्म हुआ था। जिस वक्त भारत में हथियार चलाना सिर्फ पुरुषों का काम समझा जाता था, तब दास ने भरी सभा में अपनी बंदूक से अंग्रेज अफसर पर पांच फायर किया था। दास को उन क्रांतिकारियों की पंक्ति में रखा जा सकता है, जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ सशस्त्र क्रांति और गांधीवादी आंदोलन दोनों को अपनाया।
बचपन से क्रांतिकारी
प्रसिद्ध ब्रह्मसमाजी शिक्षक बेनी माधव दास और समाज सेविका सरला देवी के घर जन्म लेने वाली बीना दास का स्वभाव बचपन से ही क्रांतिकारी था। नेताजी सुभाष चंद्र बोस बेनी माधव दास के शिष्य थे। यही वजह रही की बीना को भी नेताजी की संगत मिली। जिस परिवेश में उनका पालन पोषण हो रहा था, उसने उन्हें स्कूल के दिनों में ही बागी बना दिया था।
मां सरला देवी गरीब लड़कियों को पढ़ाने के लिए ‘पुण्य आश्रम’ नाम से जो गर्ल्स हॉस्टल चलाती थीं, वह क्रांतिकारियों के लिए बम, हथियार आदि छिपाने का अड्डा भी था। बड़ी बहन कल्याणी दास अंग्रेज विरोधी आंदोलनों की अगुवाई करती थीं और छात्राओं की एक सोसाइटी ‘छत्री संघ’ चलाती थी। यह एक अर्ध क्रांतिकारी संगठन था, जहां लड़कियों को बुनियादी आत्मरक्षा और लाठियों का इस्तेमाल सिखाया जाता था। कलांतर में बीना भी भी युगांतर पार्टी से जुड़ीं और हथियार चलाने की ट्रेनिंग ली।
हालांकि अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह की शुरुआत उन्होंने स्कूल के दिनों में ही कर दी थी। एक बार अंग्रेज वायसराय की पत्नी बीना के स्कूल में आई थीं। सभी बच्चों को आदेश था कि अंग्रेज अफसर की बीबी की चरणों में फूल बिखेर कर उनका स्वागत करना है। बीना ने इसका विरोध किया क्योंकि उन्हें यह अपमानजनक लग रहा था। इसके बाद उन्होंने खुद को स्वागत समारोह के रिहर्सल से अलग कर लिया।
यूनिवर्सिटी में चला दी गोली
साइमन कमीशन के खिलाफ देश में व्यापक आक्रोश था। 1920 के दशक के अंत तक देश के युवाओं का एक बड़ा वर्ग स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने लगा था। इस दौरान बीना दास बेथ्यून कॉलेज में पढ़ रही थीं और अपनी बहन कल्याणी दास द्वारा चलाई जा रही ‘छत्री संघ’ का हिस्सा थीं। विरोध प्रदर्शन आयोजित करने के लिए कल्याणी दास को 9 महीने की जेल हो गई। तब बीना ने कल्याणी दास की दोस्त और गर्ल्स हॉस्टल की वार्डन कमला दास गुप्ता से संपर्क किया। गुप्ता हथियार बनाने और सप्लाई करने में माहिर थीं।
गुप्ता से ही बीना दास को रिवॉल्वर मिला, जिसे वो अपने गाउन में छिपाकर दीक्षांत समारोह में पहुंची। यहां बीना को भी बीए की डिग्री मिलने वाली थी। लेकिन उन्होंने डिग्री की चिंता किए बगैर समारोह के मुख्य अतिथि बंगाल के गवर्नर स्टेनली जैक्सन पर गोली चला दी। यह घटना 6 फरवरी 1932 की है। बीना के हमले से जैक्सन बच गया लेकिन भारत छोड़ दिया।