कांग्रेस को उम्मीद है कि वह इस बार हरियाणा में सरकार बनाएगी। पार्टी के चुनाव अभियान का सबसे बड़ा चेहरा पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा हैं। हुड्डा हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता भी हैं और चुनाव नजदीक होने की वजह से वह इन दिनों हरियाणा में एक छोर से दूसरे छोर तक ताबड़तोड़ दौरे कर रहे हैं। द इंडियन एक्सप्रेस के आइडिया एक्सचेंज कार्यक्रम में हुड्डा ने तमाम सवालों के खुलकर जवाब दिए।

कार्यक्रम के होस्‍ट मनोज सीजी ने पूर्व मुख्यमंत्री से यह पूछा कि 2014 के बाद से ही इस तरह की धारणा बनी है कि हरियाणा कांग्रेस को आप ही चला रहे हैं। पिछले कुछ सालों में अशोक तंवर, कुलदीप बिश्नोई, किरण चौधरी और उनकी बेटी पार्टी छोड़ चुके हैं। सभी को ऐसा लगता है कि आप के सिवा हरियाणा कांग्रेस में किसी दूसरे नेता के लिए कोई जगह नहीं है।

इस सवाल के जवाब में हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस ने जिन नेताओं को बड़े पदों पर बैठाया, उन्होंने अपने निजी स्वार्थ के लिए पार्टी को छोड़ दिया। हमारी पार्टी एक लोकतांत्रिक पार्टी है और यहां पर वैचारिक मतभेद हो सकते हैं लेकिन इसे लड़ाई नहीं कहा जा सकता।

हुड्डा का कहना है कि बिना वैचारिक मतभेद के आगे नहीं बढ़ा जा सकता।

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दुष्यंत चौटाला, अभय चौटाला और अरविंद केजरीवाल। (Source-PTI)

लंबे वक्त तक मुख्यमंत्री रहे हुड्डा

हरियाणा में 2005 से 2014 तक कांग्रेस की सरकार थी और उस दौरान भूपेंद्र सिंह हुड्डा ही मुख्यमंत्री थे। पिछले दो चुनावों में लगातार हार के बाद कांग्रेस इस बार मजबूती से तैयारी कर रही है। लेकिन कांग्रेस की सत्ता में वापसी के बीच एक बड़ी अड़चन गुटबाजी है।

गुटबाजी है कांग्रेस की मुसीबत

कांग्रेस में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर, हरियाणा में विपक्ष की पूर्व नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री किरण चौधरी ने जब पार्टी को अलविदा कहा था तो उन्होंने कहा था कि हुड्डा की वजह से उन्होंने कांग्रेस छोड़ी है।

मौजूदा वक्त में हरियाणा कांग्रेस में दो गुट हैं। पहला गुट हुड्डा का है। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष चौधरी उदयभान सिंह को भी हुड्डा का समर्थक माना जाता है जबकि दूसरा गुट कुमारी सैलजा, राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला और पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह का है।

ऐसे में पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को इस बात का डर है कि उसे विधानसभा चुनाव में गुटबाजी से नुकसान हो सकता है। इसे देखते हुए पार्टी ने इस बार विधानसभा चुनाव में किसी को भी चेहरा नहीं बनाया है जबकि बीजेपी ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का फैसला किया है।

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नायब सिंह सैनी के कंधों पर बीजेपी को जीत दिलाने की बड़ी जिम्मेदारी है। (Source-NayabSainiOfficial)

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 2014 के मुकाबले शानदार प्रदर्शन किया है। इतना ही नहीं, पार्टी ने अपना वोट शेयर भी बढ़ाया है। लोकसभा चुनाव के नतीजे से उत्साहित होकर कांग्रेस ने चुनाव में अकेले ही जाने का फैसला किया है जबकि लोकसभा चुनाव में उसने आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन किया था और कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट आम आदमी पार्टी के लिए छोड़ दी थी।

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर और सीटें दोनों बढ़ी

राजनीतिक दललोकसभा चुनाव 2019 में मिले वोट (प्रतिशत में)लोकसभा चुनाव 2024 में मिले वोट (प्रतिशत में)लोकसभा चुनाव 2019 में मिली सीट लोकसभा चुनाव 2024 में मिली सीट
कांग्रेस 28.51 43.6705
बीजेपी 58.2146.11 105

कांग्रेस में गुटबाजी की बात मनगढ़ंत

जब वरिंदर भाटिया की ओर से हुड्डा से यह सवाल पूछा गया कि हरियाणा में कांग्रेस बंटी हुई दिखाई देती है क्योंकि सिरसा की सांसद कुमारी शैलजा अलग पदयात्रा निकाल रही हैं जबकि कांग्रेस की हरियाणा इकाई की ओर से निकाली जा रही ‘हरियाणा मांगे हिसाब’ पदयात्रा की अगुवाई रोहतक के सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा कर रहे हैं। क्या इससे पार्टी को किसी तरह का नुकसान नहीं होगा?

इस सवाल के जवाब में हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस में कोई गुटबाजी नहीं है और यह सब मनगढ़ंत बातें हैं। हम सभी कांग्रेस के लिए काम कर रहे हैं और कहीं कोई परेशानी नहीं है।

असद रहमान के इस सवाल पर कि राज्य के स्तर पर सहयोगी दलों के बीच गठबंधन नहीं होने से एक-दूसरे के वोट कट सकते हैं, हुड्डा ने कहा कि हरियाणा के लोकसभा चुनाव के नतीजे से यह साफ पता चला है कि विधानसभा चुनाव में सीधी लड़ाई कांग्रेस और बीजेपी के बीच है और अन्य राजनीतिक दल जो वोट काट सकते हैं उन्हें जनता ने खारिज कर दिया है। हुड्डा ने कहा कि इनेलो और जेजेपी को चुनाव में 1% से भी कम वोट मिले हैं।

छोटे दलों को पिछले विधानसभा चुनावों में मिली सीटें

राजनीतिक दलविधानसभा चुनाव 2009 में मिली सीट विधानसभा चुनाव 2014 में मिली सीट विधानसभा चुनाव 2019 में मिली सीट
कांग्रेस 401531
बीजेपी 44740
इनेलो31191
जेजेपी10
हजकां(बीएल)62
अन्य978

मनोज सीजी के इस सवाल के जवाब में कि क्या कांग्रेस को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित करना चाहिए?, हुड्डा ने कहा कि पार्टी में इसके लिए एक निश्चित प्रक्रिया है। चुनाव में जीतने वाले विधायकों और पार्टी के पर्यवेक्षकों के फीडबैक के बाद कांग्रेस हाई कमान इस बात का फैसला लेता है कि राज्य में चुने हुए विधायकों और जनता का नेतृत्व कौन करेगा।

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हरियाणा का विधानसभा चुनाव जीत पाएगी बीजेपी?(Source-FB)

मनोज सीजी ने जब यह कहा कि हरियाणा की राजनीति में ऐसा कहा जाता है कि अगर कांग्रेस सत्ता में लौटेगी तो आप ही मुख्यमंत्री होंगे, तक हुड्डा ने कहा- ऐसा आपका मानना हो सकता है।

हुड्डा ने हरियाणा में जाट बनाम गैर जाट के समीकरण को भी खारिज कर दिया और कहा कि जब भी कोई रोड या स्कूल बनाया जाता है तो सभी समुदायों के लोग उसका इस्तेमाल करते हैं।

बीजेपी के 42 बड़े नेता हुए कांग्रेस में शामिल: हुड्डा

हुड्डा से जब विकास पाठक ने पूछा कि कांग्रेस के कई नेता बीजेपी में शामिल हो गए हैं और नवीन जिंदल भी चले गए, आप इसे कैसे देखते हैं? हुड्डा ने जवाब में कहा कि पिछले चार सालों में बीजेपी के 42 पूर्व विधायक, पूर्व सांसद और मौजूदा सांसद कांग्रेस में शामिल हुए हैं। आप जिन लोगों के बारे में बात कर रहे हैं, उन्होंने 2014 में कांग्रेस छोड़ दी थी। उनमें से कुछ वापस भी आ गए। आपको नवीन जिंदल से पूछना चाहिए कि उन्होंने कांग्रेस क्यों छोड़ी?