दलित नेता और आज़ाद समाज पार्टी- कांशीराम के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद पर बुधवार को जानलेवा हमला हुआ। पुलिस के मुताबिक उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में उनकी एसयूवी कार पर कुछ हथियारबंद लोगों ने गोलियां चलाईं। गोली चंद्रशेखर को छू कर निकल गई। हमला उस वक्त हुआ जब वह देवबंद में अपने एक समर्थक के घर जा रहे थे। घटना के समय कार में चंद्रशेखर और उनके छोटे भाई सहित कुल पांच लोग सवार थे। हमले के बाद चंद्रशेखर को देवबंद अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इस घटना के बाद से चंद्रशेखर आजाद एक बार फिर से चर्चा में हैं।

कितनी संपत्ति के मालिक?

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव-2022 में दाखिल चुनावी हलफनामे के मुताबिक, चंद्रशेखर आजाद, उनकी पत्नी और परिवार के नाम पर कुल 44 लाख रुपये से अधिक की चल-अचल संपत्ति है। चल संपत्ति 26.14 लाख रुपये की है। अचल संपत्ति 17 लाख रुपये की है।

चंद्रशेखर मूलरूप से सहारनपुर जिले के छुटमलपुर के पास स्थित घड़कौली गांव निवासी हैं। शपथ पत्र के मुताबिक, भारतीय स्टेट बैंक की छुटमलपुर शाखा में चंद्रशेखर का अकाउंट है, जिसमें तब 26 हजार 369 रुपए थे। पत्नी वंदना कुमारी के अकाउंट में  84 हजार 307 रुपए थे। वंदना कुमारी का मुजफ्फरनगर के पंजाब नेशनल बैंक में भी अकाउंट है, जिसमें 3 लाख 18 हजार 617 रु की जमा राशि बताई गई थी।

ज्वैलरी की बात करें तो। चंद्रशेखर के पास 40 ग्राम सोना है जिसकी कीमत तब 1 लाख 96 हजार रुपए थी। पत्नी के पास 400 ग्राम गोल्ड ज्वेलरी हैं, जिसकी कीमत 19 लाख 60 हजार रुपए बताई गई थी। इसके अलावा चंद्रशेखर एक कंपनी भी चलाते हैं, जिसका नाम ‘सीए न्यूज नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड’ (CA News Network PVT LTD) है। चंद्रशेखर और उनकी पत्नी को एक बेटा है, जिसका नाम उन्होंने युग रखा है।

कौन हैं चंद्रशेखर आजाद?

भीम आर्मी का नेतृत्व करने के अलावा चंद्रशेखर, आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) के भी प्रमुख हैं। पार्टी की उन्होंने 2020 में की थी। चंद्रशेखर साल 2017 में दलितों के मुद्दों को मुखरता से उठाने की वजह से चर्चा में आए थे। हालांकि चुनाव उनकी पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया। लेकिन चंद्रशेखर ने तेजी से काफी लोकप्रियता हासिल की है। मुख्य रूप से उनकी व्यक्तिगत अपील के कारण और भीम आर्मी द्वारा यूपी और आसपास के राज्यों में दलित मुद्दों को जोर-शोर से उठाने के कारण वह चर्चा में रहे हैं।

चुनावी सफर?

चंद्रशेखर की लोकप्रियता बढ़ने और मायावती की बसपा की गति कम होने के बावजूद, आजाद समाज पार्टी को अब तक कोई बड़ा राजनीतिक लाभ नहीं हुआ है। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले आज़ाद ने कहा था कि वह वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे, लेकिन अंततः उन्होंने एसपी-बीएसपी गठबंधन को समर्थन दिया। 2020 में उन्होंने अपनी पार्टी की स्थापना की।

2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले, वह गठबंधन के लिए समाजवादी पार्टी के साथ बातचीत कर रहे थे, लेकिन अंततः यह कहते हुए पीछे हट गए कि सपा ने दलितों का अपमान किया है। उन्होंने गोरखपुर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ा, लेकिन 4,000 से भी कम वोट पाकर चौथे स्थान पर रहे और अपनी जमानत गंवा दी।