प्रयागराज के स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेता अतीक अहमद को उमेश पाल अपहरण मामले में दोषी करार दिया है। उमेश पाल ने अतीक अहमद और उनके साथियों पर साल 2006 में अपहरण करने का आरोप लगाया था। दरअसल उमेश पाल बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड (2005) मामले में मुख्य गवाह थे। इस साल 24 फरवरी को उमेश पाल की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई थी।
किस जज ने सुनाई सजा?
अतीक अहमद को सजा सुनाने वाले जज का नाम दिनेश चंद्र शुक्ला है। 2009 बैच के न्यायिक अधिकारी दिनेश चंद्र शुक्ला का जन्म 1 जनवरी 1968 को रायबरेली में हुआ था। पिता का नाम हरी प्रसाद शुक्ला है।
दिनेश शुक्ला ने बीकॉम और एमकॉम के बाद लॉ की पढ़ाई शुरू की थी। उनके पास एलएलबी और पीएचडी की डिग्री है। शुक्ला की पीएचडी साल 2014, एलएलबी 1991, एम.कॉम 1988, बी.कॉम 1986, इंटरमीडिएट 1984 और हाईस्कूल 1982 में कम्पलीट की थी।
दिनेश शुक्ला में न्यायपालिक में अपने करियर की शुरुआत भदोही के ज्ञानपुर में बतौर ज्यूडिशल मैजिस्ट्रेट की थी। इसके बाद वह लॉ से जुड़े कई पदों रहे। साल 2011 में इलाहाबाद के अडिशनल सिविल जज (जूनियर डिविजन) बने। साल 2002 में वह प्रयागराज के स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट में जज बने थे, और तब वहीं कार्यरत हैं। दिनेश शुक्ला के रिटायरमेंट की तारीख 29 फरवरी, 2028 है।
भाजपा नेता को भी सुना चुके हैं सजा
दिनेश चंद्र शुक्ला उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में मंत्री रहे भाजपा नेता नंद गोपाल गुप्ता उर्फ नंदी को भी एक साल की सजा सुना चुके हैं। स्पेशल कोर्ट (एमपी-एमएलए) के प्रीसीडिंग ऑफिसर जज दिनेश चंद्र शुक्ला ने इसी साल 25 जनवरी को 2014 लोकसभा चुनाव से जुड़े एक मामले में योगी सरकार में मंत्री नंद गोपाल नंदी को एक साल की सजा सुनाई थी। साथ ही 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था।
हालांकि नंदी द्वारा स्पेशल कोर्ट (एमपी-एमएलए) के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देने के बाद, उन्हें राहत मिल गई थी। उच्च न्यायलय ने नंदी की सजा पर रोक लगा दी थी।
सपा विधायक पर लगाया था एक लाख का जुर्माना
जज दिनेश चंद्र शुक्ला सपा विधायक विजमा यादव को भी 22 साल पुराने मामले में सजा सुना चुके हैं। यादव पर प्रयागराज के सराय इनायत इलाके में पुलिस पर हमला करने का आरोप लगा था। घटना 21 सितंबर, 2000 की है। इस मामले जज ने विजमा यादव को डेढ़ साल कैद और एक लाख रुपये जुर्माना की सजा सुनाई थी।
राजू पाल और अतीक अहमद की दुश्मनी
बसपा नेता राजू पाल और अतीक अहमद के बीच दुश्मनी की शुरुआत साल 2004 से मानी जाती है। 2004 के लोकसभा चुनाव में अतीक अहमद सांसद बने, जिसके साथ ही इलाहाबाद पश्चिमी सीट खाली हो गई। इस सीट पर उपचुनाव हुआ। अतीक ने अपने भाई अशरफ को मैदान में उतारा, बसपा ने राजू पाल को उतारा। चुनाव में राजू पाल की जीत हुई। चुनाव जीतने के कुछ ही दिनों बाद 25 जनवरी 2005 को राजू पाल की उनके घर के नजदीक गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। (विस्तार से पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें)