लोकसभा चुनाव 2024 में पश्चिम बंगाल में एक सीट ऐसी है जहां पर 52% मुस्लिम आबादी है लेकिन हैरानी की बात यह है कि यहां से आज तक एक भी मुस्लिम सांसद चुनाव जीत कर लोकसभा में नहीं पहुंचा है। इस सीट का नाम है बहरामपुर। बहरामपुर से अधीर रंजन चौधरी 1999 से लगातार जीत हासिल करते आ रहे हैं।
अधीर रंजन चौधरी कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में शुमार हैं और वह पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं।

Baharampur Adhir Ranjan Chowdhury: अधीर के खिलाफ यूसुफ मैदान में
अधीर रंजन चौधरी के विजय रथ को रोकने के लिए पश्चिम बंगाल में सरकार चला रही तृणमूल कांग्रेस ने इस बार क्रिकेटर यूसुफ पठान को टिकट दिया है। टीएमसी को कभी भी बहरामपुर लोकसभा सीट पर जीत नहीं मिली है।
लोकसभा चुनाव 2019 में अधीर रंजन चौधरी की जीत का अंतर 81,000 वोटों का रहा था। यूसुफ पठान की जीत के लिए टीएमसी प्रमुख और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पूरी ताकत लगा रही हैं। इसलिए इस बार चौधरी के लिए बहरामपुर में चुनावी मुकाबला आसान नहीं है।
अधीर रंजन चौधरी के सामने एक बड़ी मुश्किल यह है कि इस बार उन्हें एक मुस्लिम उम्मीदवार से चुनौती मिल रही है। जबकि पिछले पांच चुनावों में ऐसा नहीं था।
Baharampur Lok Sabha Election Result: बहरामपुर से कौन जीता चुनाव
बहरामपुर सीट पर अब तक हुए 17 लोकसभा चुनावों में से 11 बार रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी को जीत मिली है। जबकि छह बार कांग्रेस ने यहां से जीत हासिल की है। 1952 से लेकर 1980 तक यहां से एक ही उम्मीदवार लगातार चुनावी जीत हासिल करते रहे। इनका नाम त्रिदीब चौधरी था।
| साल | कौन जीता | किस दल को मिली जीत |
| 1952 | त्रिदीब चौधरी | रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी |
| 1957 | त्रिदीब चौधरी | रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी |
| 1962 | त्रिदीब चौधरी | रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी |
| 1967 | त्रिदीब चौधरी | रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी |
| 1971 | त्रिदीब चौधरी | रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी |
| 1977 | त्रिदीब चौधरी | रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी |
| 1980 | त्रिदीब चौधरी | रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी |
| 1984 | आतिश चंद्र सिन्हा | कांग्रेस |
| 1989 | नानी भट्टाचार्य | रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी |
| 1991 | नानी भट्टाचार्य | रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी |
| 1996 | प्रमोथेस मुखर्जी | रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी |
| 1998 | प्रमोथेस मुखर्जी | रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी |
| 1999 | अधीर रंजन चौधरी | कांग्रेस |
| 2004 | अधीर रंजन चौधरी | कांग्रेस |
| 2009 | अधीर रंजन चौधरी | कांग्रेस |
| 2014 | अधीर रंजन चौधरी | कांग्रेस |
| 2019 | अधीर रंजन चौधरी | कांग्रेस |
Baharampur Lok Sabha Election: अधीर को मिलने वाले वोट हुए 11% कम
2009 के लोकसभा चुनाव के बाद यहां अधीर रंजन चौधरी को मिले वोट में 11% की कमी आई है। 2009 के लोकसभा चुनाव में अधीर रंजन चौधरी को 56.91% वोट मिले थे जबकि 2019 में उन्होंने 45.47% वोट हासिल किए थे।
मुश्किल यहां यूसुफ पठान के लिए भी है क्योंकि उन्हें बांग्ला भाषा नहीं आती और वह हिंदी में ही लोगों को संबोधित करते हैं। इस वजह से यहां पर बाहरी उम्मीदवार का का मुद्दा भी हावी है।

अधीर रंजन चौधरी को लेकर तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के रिश्तों में खांसी तकरार देखने को मिल चुकी है। लोकसभा चुनाव के लिए जब पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और टीएमसी के बीच गठबंधन की चर्चा चल रही थी तब टीएमसी ने अधीर रंजन चौधरी के बयानों को लेकर खासी नाराजगी जताई थी।
टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के साथ चुनावी गठबंधन से इनकार कर दिया था। पश्चिम बंगाल में टीएमसी अकेले चुनाव लड़ रही है जबकि कांग्रेस और वाम दल गठबंधन के तहत चुनाव मैदान में हैं।
West Bengal BJP : मुस्लिम मतों के बंटवारे से है उम्मीद
बीजेपी ने यहां से निर्मल साहा को टिकट दिया है। निर्मल साहा के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चुनावी जनसभा को संबोधित कर चुके हैं। बीजेपी यहां हिंदू मतों को एकजुट करना चाहती है और उसे उम्मीद है कि अगर कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच मुस्लिम वोटों का बंटवारा हुआ तो उसे इसका फायदा मिल सकता है।

Baharampur Caste Equation: मुस्लिमों के बाद एससी मतदाता हैं ज्यादा
बहरामपुर में 52% मुस्लिम के अलावा 13.2% अनुसूचित जाति (एससी) और 0.9% अनुसूचित जनजाति (एसटी) के मतदाता हैं। ईसाई (0.25 %), जैन (0.04 %) और सिख (0.01 %) भी हैं।
बहरामपुर लोकसभा सीट में सात विधानसभा सीटें, बुरवान (एससी), कंडी, भरतपुर, रेजीनगर, बेलडांगा, बहरामपुर और नाओदा हैं। ये सभी सीटें मुर्शिदाबाद जिले में हैं। 2021 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी को सात में से छह सीटों पर जीत मिली थी और एक सीट बीजेपी के खाते में गई थी।
