केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा हाल ही में संसद में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार सरकार की आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के लाभार्थियों की संख्या 12 प्रतिशत से अधिक है। आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी तक उनके इलाज की लागत कुल खर्च का लगभग 14 प्रतिशत है।

आंकड़ों से पता चलता है कि जनवरी 2024 तक हॉस्पिटल में भर्ती लगभग 6.2 करोड़ लोगों में से 57.5 लाख 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिक थे। इस योजना के तहत इलाज पर सरकार का खर्च जनवरी 2024 तक पिछले छह वर्षों में 79,200 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जिसमें से 9,878.5 करोड़ रुपये 70 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों के इलाज के लिए आवंटित किए गए थे।

अस्पताल में भर्ती किए गए लोगों की संख्या और लागत भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के लिए एक चुनौती है क्योंकि पार्टी के प्रमुख चुनावी एजेंडे में से एक आयुष्मान भारत का विस्तार भी था। जिसके तहत 70 वर्ष से ज्यादा उम्र के सभी व्यक्तियों को शामिल किया जाएगा चाहे उनकी आर्थिक स्थिति कुछ भी हो। इस कदम से योजना में लगभग 4 करोड़ नए लाभार्थियों को जोड़ने की तैयारी है। वर्तमान में केवल गरीब जो एसईसीसी डेटा में शामिल हैं, योजना के तहत वार्षिक 5 लाख रुपये के कवरेज पाने वाले लोगों में से हैं।

विशेषज्ञों का अनुमान है कि 70 वर्ष से अधिक उम्र के सभी व्यक्तियों के लिए कवरेज का विस्तार करने की लागत सभी आयु समूहों के सबसे गरीब 40 प्रतिशत लोगों को कवर करने की तुलना में अधिक होगी।

सरकारी खजाने पर बढ़ेगा बोझ

ओपी जिंदल विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ गवर्नमेंट एंड पब्लिक पॉलिसी में स्वास्थ्य अर्थशास्त्री और प्रोफेसर डॉ इंद्रनील मुखोपाध्याय ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान कहा, “जब साधन संपन्न वृद्ध लोगों को भी कवर किया जाएगा तो सरकारी खजाने की लागत बढ़ने की संभावना है। जिसका अर्थ है कि पॉलिसी का उपयोग करने वाले लोगों की संख्या बहुत अधिक होने की संभावना है। दूसरा, वृद्ध व्यक्तियों के लिए प्रीमियम भी अधिक होने की संभावना है क्योंकि उन्हें पुरानी बीमारियों और स्वास्थ्य जटिलताओं के लिए देखभाल की ज्यादा जरूरत होती है।”

पूर्ण बजट में नहीं किया गया योजना का विस्तार

फरवरी में जहां सरकार के अंतरिम बजट के दौरान आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए आयुष्मान भारत बीमा योजना का विस्तार किया गया था, वहीं जुलाई में पूर्ण बजट पेश किए जाने के दौरान किसी और विस्तार का कोई उल्लेख नहीं किया गया था। बीमा योजना के लिए आवंटन भी केवल 100 करोड़ रुपये बढ़कर 7,300 करोड़ रुपये किया गया था।

लॉन्गिट्यूडिनल एजिंग स्टडी इन इंडिया (LASI) के अनुसार, भारत की 60 वर्ष से अधिक आयु की जनसंख्या 2011 में 8.6 प्रतिशत से बढ़कर 2050 तक 19.5 प्रतिशत होने का अनुमान है। इसका मतलब है कि 60 वर्ष से अधिक आयु की जनसंख्या 2011 में 103 मिलियन से तीन गुना होकर 2050 में 319 मिलियन हो जाएगी।

महाराष्ट्र में बुजुर्गों के अस्पताल में भर्ती होने का प्रतिशत सबसे ज्यादा

कई राज्यों में वृद्ध व्यक्तियों के अस्पताल में भर्ती का अनुपात देश की कुल जनसंख्या के 10 प्रतिशत से अधिक हो गया है। महाराष्ट्र 20.49 प्रतिशत के साथ सबसे आगे है। उसके बाद केरल (18.75 प्रतिशत), हरियाणा (18.13 प्रतिशत), बिहार (16.56 प्रतिशत), हिमाचल प्रदेश (16.37 प्रतिशत), उत्तराखंड (15.23 प्रतिशत), तेलंगाना (11.53 प्रतिशत) हैं। ), उत्तर प्रदेश (10.99 प्रतिशत), कर्नाटक (10.92 प्रतिशत), झारखंड (10.35 प्रतिशत), और पंजाब (10.14 प्रतिशत) का नंबर आता है।

राज्य अस्पताल में भर्ती होने वाले 70 साल से अधिक उम्र के लोगों की संख्या 70 साल से अधिक उम्र के लोगों की हॉस्पिटलाइजेशन कॉस्ट
महाराष्ट्र 2.5 लाख 844.8 करोड़
केरल 10.2 लाख 1101.1 करोड़
हरियाणा 1.9 लाख 291.9 करोड़
बिहार 1.3 लाख 138 करोड़
हिमाचल प्रदेश 0.38 लाख 48.6 करोड़
Source- Indian Express

तमिलनाडु में आयुष्मान योजना के तहत अस्पताल में भर्ती लोगों का अनुपात सबसे कम

इसके विपरीत तमिलनाडु में आयुष्मान योजना के तहत अस्पताल में भर्ती का अनुपात सबसे कम दर्ज किया गया, जिसमें वृद्ध व्यक्तियों की संख्या कुल भर्ती का केवल 3.12 प्रतिशत थी। कम भर्ती के बावजूद, योजना के तहत वृद्ध व्यक्तियों की देखभाल पर राज्य का खर्च उसके कुल स्वास्थ्य देखभाल व्यय का 7.45 प्रतिशत था। इससे पता चलता है कि तमिलनाडु में अपेक्षाकृत कम वृद्ध व्यक्तियों के लिए इलाज की लागत सामान्य आबादी की तुलना में काफी अधिक है।

बुजुर्गों की देखभाल पर खर्च का सबसे अधिक अनुपात महाराष्ट्र (27.49 प्रतिशत), केरल (19.9 प्रतिशत), हरियाणा (19.8 प्रतिशत), हिमाचल प्रदेश (16.98 प्रतिशत), बिहार (16.8 प्रतिशत), उत्तराखंड (16.56 प्रतिशत), कर्नाटक (15.04 प्रतिशत) और पंजाब (14.67 प्रतिशत) में देखा गया।

बुजुर्गों के लिए सामान्य बीमारियों के इलाज का खर्च भी ज्यादा

फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के डॉ. आकाश जयसवाल ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान कहा, “बुजुर्गों के लिए निमोनिया जैसी बीमारियों के इलाज का खर्च भी बहुत अधिक है। ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्हें ठीक होने में अधिक समय लग सकता है, उन्हें अन्य संक्रमण होने की अधिक संभावना होती है, उनके अन्य पैरामीटर जैसे रक्त शर्करा, इलेक्ट्रोलाइट्स और रक्तचाप को संतुलित होने में अधिक समय लगता है। साथ ही उन्हें आईसीयू देखभाल की जरूरत होने की अधिक संभावना होती है जो कि महंगा होता है। उनमें कई अन्य बीमारियाँ होने की भी अधिक संभावना होती है जो अधिक जटिलताओं का कारण बन सकती हैं।”

केवल चार राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों गोवा, लद्दाख, लक्षद्वीप और झारखंड में वृद्ध व्यक्तियों के लिए अस्पताल में भर्ती होने का अनुपात उन पर खर्च किए गए कुल धन की तुलना में अधिक है।

(Input- Anonna Dutt)