नई 18वीं लोकसभा में दागी सांसद 17वीं लोकसभा से ज्‍यादा द‍िखेंगे। सबसे ज्‍यादा 63 दागी सांसद भाजपा के हैं। इसके बाद कांग्रेस (31) और सपा (17) का नंबर है। नरेंद्र मोदी की तीसरी कैब‍िनेट में भी दागी मंत्री बढ़े (करीब एक फीसदी) हैं।

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने मोदी सरकार के 71 मंत्रियों (जॉर्ज कुर‍ियन को छोड़ कर, क्‍योंक‍ि वह सांसद नहीं हैं) के चुनावी हलफनामों का विश्लेषण किया है। इससे पता चलता है कि 19 मंत्रियों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं।

8 मंत्री ऐसे हैं जिनके खिलाफ हेट स्पीच यानी नफरती भाषण देने को लेकर एफआईआर दर्ज है। दो मंत्री ऐसे हैं जिन पर हत्या के प्रयास का आरोप है। ये दोनों मंत्री पश्चिम बंगाल से हैं।

गंभीर आपराधिक मामलों का सामना कर रहे मंत्रियों की संख्या 2019 के मुकाबले कम हुई  

सालक‍ितने मंत्रियों पर दर्ज मुकदमे (प्रतिशत में)
2024 27%
201929%
201417%

ये हैं हेट स्पीच देने वाले मंत्री

जिन मंत्रियों के खिलाफ हेट स्पीच देने का आरोप है, उनमें अमित शाह, गिरिराज सिंह, धर्मेंद्र प्रधान, बंडी संजय कुमार, शांतनु ठाकुर, सुकांता मजूमदार, शोभा करंदलाजे और नित्यानंद राय का नाम शामिल है। शांतनु ठाकुर और सुकांता मजूमदार के खिलाफ हत्या के प्रयास के मामलों में भी एफआईआर दर्ज है।

अमित शाह और नित्यानंद राय सहित कई मंत्रियों को ऊंची अदालतों से राहत मिल चुकी है। लेक‍िन, मामला अभी खत्‍म नहीं हुआ है। मोदी सरकार के मंत्रियों के खिलाफ कुछ मामले पांच साल से ज्यादा पुराने हैं और इनमें से वे किसी भी मामले में अभी तक दोषी साबित नहीं हुए हैं। अगर वे दोषी साबित होते हैं और उन्हें 2 साल से ज्यादा की सजा होती है तो जेल से रिहा होने के बाद वे 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।

Mamata Banerjee
भबानीपुर से 2011 से विधायक हैं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी। (Source-FB/MamataBanerjeeOfficial)

अम‍ित शाह के खिलाफ मुकदमा तब दर्ज हुआ था जब उन्होंने 2019 में कोंटई में कहा था कि लोकसभा चुनाव के वोटों की गिनती होने पर ममता बनर्जी की सरकार गिर जाएगी और वह हिंसा भड़का सकती हैं। हाईकोर्ट ने मामले में स्‍टे लगा रखा है।

क्या कहा था नित्यानंद राय ने?

बिहार से आने वाले मंत्री नित्यानंद राय के खिलाफ 2018 में एक उपचुनाव में प्रचार के दौरान बिहार के अररिया में मुकदमा दर्ज हुआ था। नित्यानंद राय ने कहा था कि अगर राजद के उम्मीदवार सरफराज आलम चुनाव जीतते हैं तो यह इलाका आईएसआईएस का गढ़ बन जाएगा। उस चुनाव में सरफराज आलम को ही जीत मिली थी।

क्या कहा था गिरिराज सिंह ने?

इसी तरह गिरिराज सिंह के खिलाफ 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान उनके एक बयान को लेकर एफआईआर दर्ज हुई थी। उस वक्त गिरिराज सिंह बेगूसराय से चुनाव लड़ रहे थे और जीते भी थे। गिरिराज सिंह ने कहा था, ‘जो वंदे मातरम नहीं कह सकते, मातृभूमि का सम्मान नहीं कर सकते, देश उन्हें कभी माफ नहीं करेगा। मेरे पूर्वजों की मौत सिमरिया घाट पर हुई थी और उन्हें कब्र की जरूरत नहीं थी लेकिन आपको तीन हाथ की जगह की बराबर जरूरत है।’

केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे के खिलाफ दो एफआईआर लंबित हैं। 

Mamata Banerjee
चुनाव नतीजों का विश्लेषण करेगी टीएमसी। (Source-PTI)

देशभर में जो 542 लोकसभा के सदस्य चुने गए हैं उनमें उनमें से 250 यानी 46% सांसदों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। जबकि कुल सांसदों में से 31% के खिलाफ गंभीर मुकदमे दर्ज हैं। यह जानकारी भी एडीआर ने ही दी है।

2024 में किस राजनीतिक दल में कितने दागी सांसद

राजनीतिक दलगंभीर मुकदमे वाले सांसदों की संख्यागंभीर मुकदमे दर्ज वाले सांसद (प्रतिशत में)
बीजेपी6326.3%
कांग्रेस3131.6%
सपा1745.9%
टीडीपी531.3%
डीएमके627.3%
टीएमसी724.1%
अन्य4040%
एडीआर से मिली जानकारी के आधार पर।

गंभीर आपराधिक मुकदमे वाले सांसदों की संख्या बढ़ी 

सालकम से कम एक गंभीर मुकदमा दर्ज वाले सांसद (प्रतिशत में)अन्य आपराधिक मुकदमे वाले सांसद (प्रतिशत में)
201929.713.8
202431.214.9

ऐसे पांच राज्य जहां आपराधिक मुकदमे वाले सांसदों की संख्या सबसे ज्यादा बढ़ी

राज्यसांसदों की बढ़ी संख्या
ओडिशा 10
तमिलनाडु8
झारखंड 6
तेलंगाना4
कर्नाटक3

ऐसे पांच राज्य जहां आपराधिक मुकदमे वाले सांसदों की संख्या कम हुई

राज्यसांसदों की बढ़ी संख्या
हिमाचल प्रदेश -1
पश्चिम बंगाल-1
उत्तर प्रदेश -2
महाराष्ट्र -4
बिहार-13
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लोकसभा चुनाव में जीत के बाद बीजेपी हेडक्वार्टर में पीएम मोदी (Source- PTI)

कोर्ट ने कहा था- जरूर दर्ज करें एफआईआर

हेट स्पीच को लेकर बीते सालों में देश में काफी बहस हुई है और यह अदालतों तक भी पहुंची है। सुप्रीम कोर्ट ने बीते साल सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया था कि वे हेट स्पीच के मामलों में एफआईआर जरूर दर्ज करें। शीर्ष अदालत ने कहा था कि इस निर्देश का पालन किया जाए और अगर ऐसा नहीं होता है तो इसे अदालत की अवमानना माना जाएगा और ऐसा करने वाले अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।