अलाउद्दीन खिलजी (Alauddin Khilji) की क्रूरता के तमाम किस्से मशहूर हैं सबसे मशहूर किस्सा चित्तौड़ के राजा रावल रतन सिंह-रानी पद्मावती (Rani Padmavati) और जौहर से जुड़ा है। अलाउद्दीन खिलजी का जिक्र होता है तो उसके वफादार मलिक काफूर का भी ज़िक्र होता है। खिलजी समलैंगिक था और मलिक काफूर उसका सबसे वफादार गुलाम।
लेखक देवदत्त पटनायक (Devdutt Pattanaik) लिखते हैं कि खिलजी पहली बार गुजरात के ‘बच्चा बाजी’ (गुलामों के बाजार) में काफूर से मिला था। अलाउद्दीन खिलजी, मलिक काफूर (Malik Kafur) को देखते ही उसकी खूबसूरती पर फिदा हो गया और मोटी रकम देकर उसे खरीद लिया।
मलिक काफूर देखते ही देखते हैं अलाउद्दीन खिलजी का सबसे वफादार और साम्राज्य का सबसे ताकतवर शख्स बन गया। फारसी इतिहासकर मोहम्मद कासिम फेरिश्ता (Mahomed Kasim Ferishta) अपनी किताब में लिखते हैं कि अलाउद्दीन खिलजी पूरी तरीके से अनपढ़ था, इसीलिए धीरे-धीरे मलिक काफूर (Malik Kafur) पर निर्भर होता चला गया। काफूर ने इसका फायदा उठाया और खिलजी की सेना का सबसे ताकतवर जनरल बन गया।
खिलजी की हरम का सर्वेसर्वा था मलिक काफूर
काफूर, खिलजी की हरम का भी सर्वेसर्वा था। इतिहासकार के मुताबिक खिलजी के हरम में महिलाओं से कहीं ज्यादा पुरुष थे। इतिहासकारों के मुताबिक खिलजी के हरम में करीब 70000 महिला, पुरुष और बच्चे थे। अकेले 30 हजार महिलाएं थीं। ज्यादातर औरतें ऐसी थीं, जिनके पति का खिलजी ने कत्ल कर दिया था और बंदी बना लिया था।
खिलजी का सबसे वफादार जनरल था काफूर
अलाउद्दीन खिलजी (Alauddin Khilji) ने जब तेलंगाना के काकतीय साम्राज्य पर पर हमले का निर्णय लिया तो काफूर को इसकी कमान सौंपी। इससे पहले कई असफल प्रयास कर चुका था। फेरिश्ता लिखते हैं कि आसपास के हिंदू राजाओं ने काकतीय वंश के आखिरी राजा प्रतापरूद्र की मदद की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे। राजा प्रतापरूद्र ने समर्पण कर दिया।
6000 बैलगाड़ियों में भेजा था सोना
समर्पण के बाद राजा रुद्रपताप ने 300 हाथी, 7000 घोड़े और एक से बढ़कर एक सोने, चांदी और हीरे-जवाहरात खिलजी को पेश किये। एक और इतिहासकार अब्दुल्लाह वासफ (Abdullah Wassaf) लिखते हैं कि काकतीय वंश को हराने के बाद मलिक कफूर ने 6 हजार बैल गाड़ियों में भरकर सोना खिलजी को भेजा था।
काफूर ने ही ली खिलजी की जान
6 जनवरी 1316 को अलाउद्दीन खिलजी का निधन हो गया। इतिहासकारों के मुताबिक खिलजी (Alauddin Khilji)की मौत की वजह उसका वफादार मलिक काफूर ही बना। काफूर को लगा कि वो गद्दी हथिया लेगा और उसने खिलजी को धीमा जहर दे दिया। इसके बाद उसने खिलजी के के 3 साल के बेटे शिहाबुद्दीन उमर को सिंहासन पर बैठा दिया।

बेरहमी से मारा गया था काफूर
कफूर (Malik Kafur) ने खिलजी के दो अन्य बेटों खिज्र खान और शादी खानी की आंखें निकलवा लीं और कत्ल कर दिया। खिलजी के एक और बेटे प्रिंस मुबारक को भी मारने का हुक्म दे दिया, लेकिन मुबारक भाग गया। बाद में खिलजी के दूसरे वफादार ने मलिक काफूर को पकड़ लिया और उसका गला काटकर हत्या कर दी थी।