हरियाणा की राजनीति में जिन युवा चेहरों को अपने परिवार की सियासी विरासत संभालनी है उनमें आरती राव का भी नाम प्रमुख है। आरती राव अटेली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं और वह केंद्रीय मंत्री और गुरुग्राम के सांसद राव इंद्रजीत सिंह की बेटी हैं। राव इंद्रजीत सिंह को दक्षिण हरियाणा यानी अहीरवाल का सबसे बड़ा नेता माना जाता है और अब वह अपनी सियासी विरासत आरती राव को सौंपना चाहते हैं।
लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे के बाद से ही आरती राव ने खुलकर ऐलान कर दिया था कि वह अटेली सीट से ही चुनाव लड़ेंगी। राव इंद्रजीत सिंह की पसंद को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने आरती राव को यहां से उम्मीदवार बनाया लेकिन अटेली के सियासी मैदान में आरती राव के लिए मुकाबला आसान नहीं है।
आरती राव का यह पहला विधानसभा चुनाव है। निश्चित रूप से यह सीट राव इंद्रजीत सिंह के सियासी रसूख से भी जुड़ी हुई है। राव इंद्रजीत सिंह अहीरवाल के बेहद ताकतवर रामपुरा हाउस से आते हैं और इसलिए वह अटेली में बेटी की जीत के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं।
छह बार सांसद बन चुके हैं राव इंद्रजीत सिंह
राव इंद्रजीत सिंह छह बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं। वह चार बार गुरुग्राम और दो बार भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से चुनाव जीत कर लोकसभा पहुंचे हैं। 2014 से पहले वह कांग्रेस में थे और यूपीए की सरकार में विदेश और रक्षा राज्य मंत्री रहे थे। राव इंद्रजीत सिंह हरियाणा में चार बार विधायक और कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं। राव के पिता राव बीरेंद्र सिंह हरियाणा के दूसरे मुख्यमंत्री रहे थे।
हालांकि राव इंद्रजीत सिंह अहीरवाल में अपने समर्थकों की जीत के लिए भी जोर लगा रहे हैं लेकिन अटेली की सीट को जीतना उनके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है।
आरती को टिकट देने का हुआ था विरोध
याद दिलाना होगा कि जब आरती राव को बीजेपी ने टिकट दिया था तो कई कार्यकर्ताओं ने इसका पुरजोर विरोध किया था। लेकिन यह राव इंद्रजीत सिंह का सियासी कद ही था जिस वजह से बीजेपी ने यहां से मौजूदा विधायक सीताराम यादव का भी टिकट काट दिया था।
अटेली से हरियाणा की पूर्व डिप्टी स्पीकर और बीजेपी की प्रदेश उपाध्यक्ष संतोष यादव भी टिकट चाहती थीं लेकिन हाईकमान ने राव इंद्रजीत सिंह की पसंद को नजरअंदाज करने का जोखिम नहीं उठाया। आरती राव को टिकट देने पर नरेश यादव, सुनील राव, कुलदीप यादव सहित कई नेताओं ने खुलकर नाराजगी जताई थी।
अहीर नेता ही जीतते हैं चुनाव
अहीरवाल की इस सीट पर लगातार यादव नेता ही चुनाव जीतते रहे हैं। पिछले तीन चुनावों के ही नतीजे देखें तो 2009 में कांग्रेस के टिकट पर अनीता यादव, 2014 में बीजेपी के टिकट पर संतोष यादव जबकि 2019 में सीताराम यादव भी बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीते थे।
अटेली विधानसभा सीट पर 2 लाख 7 हजार मतदाता हैं। इसमें से 50% अहीर मतदाता हैं लेकिन आरती राव के सामने मुश्किल यह है कि बीजेपी के अलावा कांग्रेस और जेजेपी-आसपा गठबंधन ने भी अहीर नेताओं को मैदान में उतारा है।
कांग्रेस की ओर से अनीता यादव और जेजेपी-आसपा गठबंधन की ओर से आयुषी राव भी अहीर समुदाय से हैं इसलिए कुछ हद तक अहीर मतदाताओं के वोटों का बंटवारा जरूर हो सकता है। इस सीट पर एक और मजबूत उम्मीदवार ठाकुर अतरलाल हैं। वह बसपा-इनेलो के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।
बसपा बिगाड़ सकती है खेल
अहीर मतदाताओं के अलावा इस सीट पर 20% दलित और 8% राजपूत मतदाता भी हैं। लेकिन अटेली सीट पर अहीर मतदाता ही हार-जीत का फैसला करने की ताकत रखते हैं।
कांग्रेस की उम्मीदवार अनीता यादव यहां से 2009 में चुनाव जीत चुकी हैं और वह लगातार इस क्षेत्र में सक्रिय रही हैं जबकि बसपा-इनेलो के उम्मीदवार अतरलाल ने 2019 के विधानसभा चुनाव में यहां से 37 हजार वोट हासिल किए थे और वह दूसरे नंबर पर रहे थे। इसलिए बसपा यहां खेल बिगाड़ने की पूरी हैसियत रखती है।
