International News: अफ्रीकी देश जिम्बाब्वे में महंगाई बेकाबू हो गई है और डॉलर के मुकाबले स्थानीय करेंसी गिरावट के नए रिकॉर्ड बना रही है। इससे निपटने के लिए सरकार ने सोने के सिक्के बेचना शुरू कर दिया है। 25 जुलाई से इन सिक्कों की बिक्री शुरू हो गई है। 22 कैरेट सोने के इन सिक्कों पर विक्टोरिया फॉल्स की तस्वीर बनी हुई है। सिक्के की कीमत उत्पादन की लागत और अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत के आधार पर तय की जाएगी। यह सिक्का देश-विदेश में मान्य होगा और इसके बदले नकदी ली जा सकेगी। इसका मकसद जिम्बाब्वे के डॉलर की खपत को कम करना है, ताकि इसकी कीमत में कुछ स्थिरता लाई जा सके। राष्ट्रपति एमर्सन म्नांगाग्वा की यह पहल कितनी कामयाब होगी, यह देखना अभी बाकी है।
जानकारों का मानना है कि आम लोग इस पहल का हिस्सा नहीं बन सकेंगे, क्योंकि इनकी कीमत उनके पहुंच से बाहर है। जिम्बाब्वे की आज की स्थिति देख कई लोगों को 2000 के दशक के वर्ष याद आते हैं। तब रॉबर्ट मुगाबे राष्ट्रपति हुआ करते थे। सितंबर 2008 में जिम्बाब्वे में सालाना महंगाई दर रिकॉर्ड 489 अरब प्रतिशत तक पहुंच गई थी। दुकानदार किराने का सामान लेने के लिए कूड़ा डालने वाले थैलों में नोट भरकर जाया करते थे।
उस समय मुगाबे सरकार ने सौ खरब डॉलर के नोट छापे पड़े थे। दुनिया में इतनी बड़ी रकम का नोट अब तक किसी भी देश ने नहीं छपा था। 2015 में इस नोट का चलन बंद हो गया था और अमेरिकी डॉलर का इस्तेमाल शुरू हो गया था। मुगाबे को 2017 में पद छोड़ना पड़ा था। 2019 में फिर से जिम डॉलर का चलन शुरू किया गया था, लेकिन यह नोट अपनी स्थिति मजबूत नहीं कर पाया था।
जिम्बाब्वे महंगाई के साथ-साथ गरीबी, कुपोषण जैसी समस्याओं से भी जूझ रहा है। विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक बीते देशक में यहां के 79 लाख लोग बेहद गरीब की श्रेणी में चले गए। यानी, इन्हें रोज गुजारे के लिए एक डॉलर भी नहीं नसीब होते। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक करीब 53 लाख लोग ऐसे हैं जिन्हें उचित खाना नहीं नसीब हुआ। यह आंकड़ा 2022 में जनवरी से मार्च का है।