रूस से चल रही लड़ाई के बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमिर जेलेंस्की ने भारत के साथ जर्मनी, चेक गणराज्य, नॉर्वे और हंगरी में यूक्रेन के राजदूतों को बर्खास्त करने की घोषणा की। ये फैसला किस वजह से लिया गया अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है।
हालांकि जर्मनी को लेकर जेलेंस्की की नाराजगी समझ में आती है। पिछले हफ्ते एक इंटरव्यू में जर्मनी के राजदूत ने द्वितीय विश्व युद्ध के समय हिटलर समर्थित नाजियों के बचाव में बयान दिया था। लेकिन बारी राजदूत क्यों हटाए गए हैं, यह खुलासा नहीं हुआ है।
उधर जेलेंस्की ने फिर से दावा किया है कि पश्चिमी देशों की मदद से रूसी सेना को वो पीछे खदेड़कर रहेंगे। 24 फरवरी को शुरू हुई जंग को चार माह से ज्यादा वक्त हो गया है। लेकिन रूसी सेना अभी तक यूक्रेन पर कब्जा नहीं कर सकी है। उसे तीखे विरोध का सामना करना पड़ रहा है। उधर, यूक्रेन में शनिवार को भी रूस का हमला जारी रहा। मारियुपोल और डोनेट्सक समेत कई शहरों पर रूस ने बम और गोले बरसाए। डोनेट्स्क में हुए हमले में 5 लोगों की मौत हो गई और 7 लोग घायल हो गए। इसके अलावा, सेंट्रल यूक्रेन के दो शहरों में रूसी सेना के हमले में एक व्यक्ति की मौत हो गई।
फिलहाल जेलेंस्की ब्रिटेन के हालात से चिंतित है। बोरिस जॉनसन ने इस्तीफा दे दिया है। जॉनसन के इस्तीफे के बाद यूक्रेन को लगता है कि जो सपोर्ट ब्रिटेन से मिल सकता था, वो अब नहीं मिलेगा। कुछ माह पहले बोरिस कीव की सड़कों पर जेलेंस्की के साथ नजर आए थे। जॉनसन यूक्रेन का साथ दे रहे थे।
उधर अमेरिकी विदेश मंत्री ने चीन के विदेश मंत्री से कहा है कि जंग में रूस के खिलाफ बयान दें और यूक्रेन का सपोर्ट करे। अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि अमेरिका चीन से रिश्ते सुधारने की कोशिश में है, लेकिन पहले रूस के खिलाफ चीन बोले। जबकि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने यूरोपीय देशों को चेतावनी देकर कहा कि यूरोपीय देशों ने अगर रूस के खिलाफ प्रतिबंध जारी रखे तो वहां के लोगों को अंजाम भुगतने पड़ेंगे। इसका असर तेल और गैस की कीमतों पर पड़ेगा।