शिक्षा प्रोजेक्ट के लिए आवंटित राशि का इस्तेमाल चीन ने मुस्लिमों के लिए जेल बनाने के लिया। इस मामले को लेकर वर्ल्ड बैंक जांच कर रहा है। न्यू यॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2015 में चीन को 50 मिलियन डॉलर को लोन मिला था जिससे चीन के शीजियांग इलाके में एक शिक्षा संबंधी प्रोजेक्ट पूरा करना था। लेकिन चीन ने इसका इस्तेमाल मुस्लिमों के लिए बंदी कैंप बनाने में किया। यह मामला ऐसे में प्रकाश में आया है जब कहा जा रहा है कि चीन ने 10 लाख से ज्यादा उइगर मुस्लिमों को रिएजुकेशन कैंप में बंद कर रखा है जहां उन्हें अनपे धर्म और आस्था को छोड़कर कम्युनिस्ट पार्टी के विचारों का अनुपालन करे।
मानवाधिकार के मामले पर लंबे समय से चुप ट्रंप सरकार ने ने शिनजियांग इलाके में हो रही इस गतिविधि को लेकर आलोचना की है। यह विवाद वर्ल्ड बैंक के नए प्रेसीडेंट डेविड मालपास के लिए थोड़ा मुश्किल भरा है। कोष विभाग के पूर्व अधिकारी रह चुके मालपास को डोनाल्ड ट्रंप ने नियुक्त किया। वर्ल्ड बैंक के प्रवक्ता डेविड थीस का कहना है कि हम इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं।
अगर कार्रवाई की जरूरत पड़ी को हम जरूर करेंगे। लोन 2015 में बैंक के पिछले नेतृत्व में और दो साल पहले इंटर्नमेंट कैंप प्रोग्राम के तहत दिया गया था। यह उस वर्ष चीन को दिए गए कुल $ 1.8 बिलियन की बैंक की अपेक्षाकृत कम राशि थी। 50 मिलियन डॉलर अगले वर्ष के माध्यम से वितरित किया जाना है। बैंक ने प्लान के शुरूआत में कहा था कि इस पैसे से क्षेत्र के हजारों युवाओं को पांच स्थानीय कॉलेजों के समर्थन के माध्यम से “बेहतर तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा और रोजगार के अवसर” प्रदान किए जाएंगे।
शिनजियांग में अनुमानित 24 मिलियन लोगों में से आधे से अधिक मुस्लिम जातीय अल्पसंख्यक समूह से हैं। यह इलाका अलास्का जितना बड़ा है। इस इलाके में ज्यादातर उइगर हैं, जिनका सांस्कृतिक स्वतंत्रता और चीनी शासन के प्रतिरोध का इतिहास है। 2014 में सरकार विरोधी हमलों के बाद चीन ने इस क्षेत्र में दरार डालना शुरू कर दिया। वहीं कई अन्य जानकारों का कहना है कि 2017 में उइगरों को जबरन निर्वासित करने के लिए बड़े पैमाने पर प्रतिबंध और प्रयास किए गए।