बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने छात्रों के आंदोलन के बाद देश छोड़ दिया था। उनकी राजनीतिक सक्रियता भी एकदम कम हो गई थी। शेख हसीना ने आनन-फानन में भारत का रुख किया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक फ़िलाहल वह भारत में ही हैं। पिछले कुछ वक़्त से शेख हसीना अपने सोशल मीडिया हैंडल के ज़रिए एक्टिव दिखने लगी हैं। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमलों को लेकर भी उनके बयान सामने आ रहे हैं। वह ऑनलाइन मोड के जरिए अपनी पार्टी अवामी लीग के कार्यक्रमों में भी हिस्सा लेने लगी हैं।

क्या फिरसे अपना आधार मजबूत कर रही हैं शेख हसीना? 

सत्ता से काफी दूर शेख हसीना एक बार फिर अपने राजनीतिक आधार को मजबूत करने का प्रयास कर रही हैं? यह सवाल काफी चर्चा में है। शेख हसीना के बयानों से यह अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि वह अपनी नज़र बांग्लादेश की सियासत पर टिकाए हुए हैं। पिछले दिनों शेख हसीना के बेटे ने भी बयान दिया था कि देश में लोकतंत्र की बहाली के बाद एक बार फिर शेख हसीना बांग्लादेश लौट आएंगी।

अवामी लीग की ओर से लगातार आ रहे बयान

अवामी लीग के सेंट्रल एग्जीक्यूटिव सदस्य मोहम्मद अली अराफ़ात ने कहा कि बांग्लादेश में कानून का शासन खत्म हो चुका है, न्याय का मजाक बनकर रह गया है। सरकार न केवल न्यायपालिका को हेरफेर करती है, बल्कि उसने कानूनी व्यवस्था को आतंक के हथियारबंद साधन में बदल दिया है, वकीलों को व्यवस्थित रूप से चुप करा रही है, अल्पसंख्यकों पर अत्याचार कर रही है और कानूनी प्रतिरोध की किसी भी झलक को कुचल रही है। कोई भी इस फासीवादी, निरंकुश और असंवैधानिक सरकार से कानून के शासन की उम्मीद नहीं करता है – एक शासन जो सत्ता के नशे में इतना चूर है कि अब यह दिखावा भी नहीं करता कि देश में कानून मौजूद है।

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शेख हसीना पर लगे हत्या के आरोपों का किया विरोध

अवामी लीग ने एक बयान में मोहम्मद युनूस सरकार का विरोध किया और कहा कि शेख हसीना पर हत्या के झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं। आवमी लीग ने कहा कि 24 जुलाई को नारायणगंज में एक 20 वर्षीय युवक की अप्राकृतिक मौत हो गई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, मौत का कारण बिजली का झटका था। इस मौत के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया था जिसमें वादी ने अवामी लीग की अध्यक्ष शेख हसीना को मुख्य आरोपी बताया था।